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३.८
दे० 'तना हुआ; रुष्ट ।
न*-पु०
तदा-तपन तदा-अ० [सं०] उस समय, तब ।
तनिमा(मन)-स्त्री० [सं०] दुबलापन, कृशता सुकुमारता। तदाकार-वि० [सं०] उसके आकारका, उसकी तरहका । तनियाँ, तनिया-स्त्री० कछनी तनीदार कुरता। तदीय-वि० [सं०] उसका ।
तनी-स्त्री० बंद, बंधन । * वि०, अ० दे० 'तनि'। तदुपरांत-अ० [सं०] उसके बाद ।
तनु-पु० [सं०] शरीर, काय; स्वभाव, प्रकृति; चर्म; लग्नतदुपरि-अ० [सं०] उसके ऊपर या बाद ।
स्थान । वि०विरल अल्पासुकुमार कृश; तुच्छ; छिछला। तद्वत-वि० [सं०] उसमें स्थित तल्लीन; उससे संबद्ध । -कूप-पु० रोमकूप । -ज-पु० पुत्र । -जा-स्त्री० तद्गुण-वि० [सं०] जिसमें वे गुण हों; उसके जैसे गुणों- पुत्री। -त्याग-वि० कंजूस । पु० शरीर-त्याग ।-त्रवाला। पु० एक अर्थालंकार जिसमें किसी वस्तु द्वारा अपने त्राण-पु० कवच, वर्म । -धारी(रिन्)-वि० देहधारी। गुणका परित्याग कर निकटकी दूसरी वस्तुका गुण ग्रहण -पात-पु० मृत्यु । -भव-पु० पुत्र, बेटा। -भवाकर लिया जाना दिखाया जाता है।
स्त्री० पुत्री, बेटी । -भृत्-वि० शरीरधारी। -मध्यमातद्देशीय-वि० [सं०] उस देशका ।
वि० स्त्री० पतली कमरवाली। -मध्या-स्त्री० एक वर्णतद्धित-पु० [सं०] संज्ञा-शब्दोंमें लगनेवाला एक प्रकारका वृत्त; पतली कमरकी स्त्री। -राग-पु० एक सुगंधित प्रत्यय (व्या०)। वि० उसके लिए उपयुक्त।
उबटन जिसमें केसर आदि छोड़ते हैं। इस उबटनके कामके तद्भव-वि० [सं०] उससे उत्पन्न । पु० किसी भाषाका वह गंधद्रव्य । -रुह-पु० रोम, रोआँ । -लता-स्त्री० लता
शब्द जो देशी भाषामें कुछ विकृत रूपमें प्रयोगमें आता है।। जैसी लोचवाली सुकुमार देह । तयपि-१० तथापि, तिसपर भी।
तनुक*-वि०, अ० दे० 'तनिक'। तद्रूप-वि० [सं०] उसी प्रकारका, वैसा ही।-रूपक-पु० तनुता-स्त्री०, तनुत्व-पु० [सं०] पतलापन, कृशता । रूपकालंकारका एक भेद ।
तनू-पु० [सं०] शरीर; पुत्र । -ज-पु.बेटा। -जातद्रूपता-स्त्री० [सं०] सादृश्य, समानता।
स्त्री० बेटी। -रुह-पु० रोम, रोआँ; पंख; पुत्र । तद्वत्-वि० [सं०] वैसा, उसके समान । अ० उसी प्रकार । तनूर-पु० तंदूर।। तन-पु० शरीर, देह; योनि। *अ० ओर, तरफ ।-वाण, तनेना*-वि० तिरछा, वक्र; खिंचा हुआ; रुष्ट । त्रान-पु० कवच । -पात-पु० मृत्यु ।-रुह*-पु० दे० | तनेनी*-वि० स्त्री० दे० 'तनेना' । 'तनूरुह'।-सुख-पु० तनजेब जैसा एक फूलदार कपड़ा। तनै*-पु० दे० 'तनय'। -मनसे-जी-जान लगाकर।
तनैया-स्त्री० दे० 'तनया' । तन-पु० [फा०] शरीर । -जेब-पु० बढ़िया महीन तनोज*-पु० रोम; पुत्र ।
मलमल । -दिही-स्त्री० मुस्तैदी, तत्परता; मिहनत । तनोरुह-पु० दे० 'तनूरुह' । तनक-स्त्री० एक रागिनी ।*वि० थोड़ा छोटा । *अजरा। तन्ना-पु० तानेका सूत । तनकना-अ० क्रि० दे० 'तिनकना।
तन्नी-स्त्री० वह रस्सी जिससे तराजूका पलड़ा बंधा होता है । तनखाह-स्त्री० दे० 'तनख्वाह'।
तन्मनस्क-वि० [सं०] तन्मय, तल्लीन । तनख्वाह-स्त्री० [फा०] वेतन, तलब ।
तन्मय-वि० [सं०] दत्तचित्त, तल्लीन । तनगना*-अ० क्रि० दे० 'तिनकना'।
तन्यता-स्त्री० (डक्टिलिटी) तारके रूपमें खींचे जा तनज-पु० [अ०] 'तंज' ताना; मजाक ।
सकनेका ठोसका गुण । तनजल-पु० [अ०] नीचे उतरना, अवनति, हास । तन्वंग-वि० [सं०] दुर्बल, सुकुमार शरीरवाला । तनजुली-स्त्री० दे० 'तनजुल'।
तन्वंगी-वि० स्त्री० [सं०] दुबली, नाजुक, सुकुमार तनतनाना-अ० क्रि० झुंझलाना।
अंगोंवाली। तनना-अ० कि० खिंचकर कड़ा होना; फैलना; खड़ा होना तन्वी-वि० स्त्री० [सं०] कृशांगी, सूक्ष्मांगी। स्त्री० पतली, खिंचना, रुष्ट होना।
सुकुमार स्त्री। तनमय-वि० दे० 'तन्मय' ।
तपःकृश-वि० [सं०] तपसे क्षीण । तनय-पु० [सं०] पुत्र, बेटा; कुल ।
तपःपूत-वि० [सं०] जो तपस्या करके पवित्र हो गया है। तनया-स्त्री० [सं०] पुत्री, लड़की।
तपःसाध्य-वि० [सं०] तपसे सिद्ध होनेवाला । तनवाना-स० क्रि० ताननेका काम दूसरेसे कराना । तप-पु० [सं०] तपस्या; ताप, दाह; सूर्य; ग्रीष्म ऋतु; तनहा-वि० [फा०] अकेला । अ० अकेले ।
ज्वर । वि० जलानेवाला; तप्त करनेवाला; कष्टकर । तनहाई-स्त्री० [फा०] अकेलापन; एकांत स्थान । तप(स्)-पु० [सं०] ताप; सूर्य; अग्नि; कष्ट; विषयत्यागतना-पु० [फा०] धड़ । * अ० ओर, तरफ।
पूर्वक कष्टदायक व्रत, नियम, उपासना आदिका आचरण; तनाउ*-पु० दे० 'तनाव'।
भूख-प्यास, शीत-उष्ण आदि सहने की क्रिया; मौन आदि तनाज़ा-पु० [अ०] झगड़ा, लड़ाई ।
व्रत; चांद्रायण, प्राजापत्य आदि प्रायश्चित्त मन, इंद्रियोंको तनाय*-पु० दे० 'तनाव' ।
एकाग्र रखनेकी क्रिया एक लोक । तनाव-पु० तननेका भाव या क्रिया; रस्सी ।
तपकना-अ० क्रि० धड़कना; टपकना; चमकना। तनि, तनिक*-वि० थोड़ा, अल्प; छोटा-'इहाँ हुती मेरी तपती-स्त्री० [सं०] सूर्यकी एक कन्या; ताप्ती नदी। तनिक मडैया'-सू० । अ० जरा।
तपन-पु० [सं०] तपनेकी क्रिया या भाव; ताप, गरमी
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