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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३१७ तटी - स्त्री० [सं०] तीर, किनारा; * नदी; समाधि | तड़-पु० जातिका उपविभाग, बिरादरी; थप्पड़ मारने या कड़ी चीज तोड़नेकी आवाज । - बंदी - स्त्री० जातीयताकी दृष्टि गुट बनाने की क्रिया, दलबंदी । तड़क- स्त्री० तड़कनेकी क्रिया या भाव; तड़कनेका चिह्न | www.kobatirth.org - भड़क - पु० ठाट-बाट; चमक-दमक । तड़कना - अ० क्रि० आँच पाकर 'तड़ की आवाज के साथ फटना या टूटना; कर्कश स्वर में बोलना; झुंझलाना; उमंगके साथ जोर से उछलना । तड़का - पु० प्रभात, सबेरा; बधार । तड़कानां - स० क्रि० 'तड़' शब्द के साथ तोड़ना; खिजाना । तड़कीला - वि० भड़कीला, चमकीला; तड़कनेवाला । तड़का * - अ० शीघ्र, झटपट । तड़तड़ाना - अ० क्रि० 'तड़-तड़' शब्द होना । स० क्रि० 'तड़-तड़' शब्द उत्पन्न करना । तड़प - स्त्री० तड़पने की क्रिया या भाव; बिजलीकी कड़क; बिजली की चमक । -दार- वि० भड़कीला, चमकीला । तड़पना - अ० क्रि० अत्यंत दुःखी होना, कलपना, छट पढ़ाना; गरजना; कूदना- फाँदना । तड़पाना - स० क्रि० अत्यधिक कष्ट पहुँचाना, कलपाना । तड़फड़ाना - अ० क्रि. ० बेचैन होना । स० क्रि० व्याकुल करना, कष्ट पहुँचाना । तडाक- पु० [सं०] दे० 'तडाग' | तड़ाक - स्त्री० तड़ाकेका शब्द; कड़ी चीजके जोरसे टूटनेका शब्द | अ० झटपट । -पढ़ाक, फड़ाक - अ० चटपट, फौरन । - से- 'तड़ाक' शब्द के साथ । तड़ाका - पु० 'तड़' की आवाज । अ० चटपट । तडाग - पु० [सं०] तालाब, सरोवर, हिरन फँसानेका फैदा । तड़ागना * - अ० क्रि० डींग मारना; उछल-कूद मचाना; कोशिश करना । तड़ातड़ - अ० 'तड़-तड़' की ध्वनि के साथ । तड़ावा- पु० दिखावटी तड़क-भड़क । तड़ित, तड़िता * - स्त्री० दे० ' तडित्' । तडित् - स्त्री० [सं०] बिजली, विद्युत्; हिंसा। पति-पु० मेघ । - प्रभा - स्त्री० कात्तिकेय की एक मातृका; बिजलीकी चमक | तडित्वान् (वत्) - पु० [सं०] मेघ । वि० बिजलीवाला | तडिद्गर्भ- पु० [सं०] मेघ, बादल । तड़िपाना* - अ० क्रि० दे० 'तड़पना' । तडिल्लेखा-स्त्री० [सं०] बिजलीकी लीक | तड़ी - स्त्री० चपत, थप्पड़ । तड़ीत* - स्त्री० दे० 'तडित्' । तत - वि० तप्त; उतना । पु० तत्त्व; सार वस्तु; तंतु । - बाउ* - पु० दे० ' तंतुवाय' । -सार-स्त्री० लोहा आदि तपानेकी जगह । ततकार, ततकाल * - अ० दे० 'तत्काल' । ततखन * - अ० दे० 'तत्क्षण' । ततछन * - अ० दे० 'तत्क्षण' | ततपर* - वि० दे० 'तत्पर' | ततबीर* - स्त्री० दे० 'तदबीर' | तत्त* - पु० दे० 'तत्त्व' । तत्ता* - वि० गरम, उष्ण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तताई * - स्त्री० गरमी । ततुवाउ* - पु० दे० ' तंतुवाय' । ततैया - स्त्री० बरें भिड़, हड्डा । वि० तेज; चालाक । तत् पु० [सं०] ब्रा; वायु । सर्व० वह । -काल- अ० तत्क्षण, तुरत, उसी समय । -कालीन - वि० उस या उसी समयका । -क्षण-अ० दे० 'तत्काल' | - तदेशीय - वि० उस उस या भिन्न-भिन्न देशका | -पर-वि० कार्य विशेष में लगा हुआ, तल्लीन; सन्नद्ध । - परता - स्त्री० तत्पर होनेकी क्रिया या भाव, मुस्तैदी; सन्नद्धता; तल्लीनता । - पश्चात् - अ० उसके बाद, पीछे । - पुरुष - पु० परम पुरुष; एक समास ( व्या० ) । - सदृश, - सम-वि० उसके समान, उसके जैसा । - पु० किसी अन्य भाषाका वह शब्द जो देशी भाषा में अविकृत रूपमें प्रयुक्त होता हो । तटी - तदर्थ ताई - स्त्री० नाचके शब्द या बोल । तत्तोथंबी- पु० बीचबचाव; दिलासा । तत्त्व - पु० [सं०] यथार्थता, वस्तुस्थिति, असलीयत; सार; स्वरूप; ब्रह्म; सांख्यशास्त्रोक्त प्रकृति आदि पचीस पदार्थ; पंचभूत; मूल पदार्थ । - ज्ञ-पु० ब्रह्मको जाननेवाला; वह जिसे सार वस्तुका ज्ञान हो; अध्यात्मवेत्ता; दार्शनिक । - ज्ञान - पु० ब्रह्म, आत्मा और जगद्विषयक ययार्थ ज्ञान, ब्रह्मज्ञान । - ज्ञानी (निन्) -- पु० ब्रह्मज्ञानी । - दृष्टि - स्त्री० तत्त्वज्ञान प्राप्त करानेवाली दृष्टि । - निष्ठ-वि० सिद्धांतका पक्का । - भाषी (पिन्) - वि० यथार्थवक्ता । - विद् - पु० दे० 'तत्त्वज्ञ' ; परमेश्वर । - विद्या - स्त्री० दर्शनशास्त्र, अध्यात्मविद्या । - वेत्ता (तू) - पु० तत्त्वश; दार्शनिक । तत्त्वतः - अ० [सं०] यथार्थ रूपमें, वास्तव में । तत्वावधान - पु० [सं०] देखरेख | तत्र - अ० [सं०] वहाँ, उस जगह । तत्रत्य - वि० [सं०] वहाँ रहनेवाला । तथा - अ० [सं०] और, वः वैसा; वैसा हो । कथित - वि० दे० 'तथोक्त' । गत- पु० बुद्धका एक नाम । - विध-वि० उस प्रकारका । तथापि - अ० [सं०] तो भी, तिसपर भी, वैसा होनेपर भी । तथास्तु-अ० [सं०] ऐसा ही हो, एवमस्तु । तथैव - अ० [सं०] उसी प्रकार । For Private and Personal Use Only तथोक्त - वि० [सं०] तथाकथित; नाम मात्रका | तथ्य - पु० [सं०] सत्य, सच्ची बात, यथार्थता । - भाषी(पिन), - वादी (दिन्) - वि० सच्ची, सारगर्भ बात कहनेवाला । तदनंतर - अ० [सं०] उसके बाद । तदनुरूप - वि० [सं०] उसीके रूपका, उसीके जैसा | तदनुसार- अ० [सं०] उसके अनुसार । तदपि - अ० [सं०] वह भी; * तो भी, तथापि । तदबीर - स्त्री० [अ०] उद्योग, यत्न, प्रयास; उपाय; प्रबंध । तदर्थ - अ० [सं०] उसके लिए । समिति - स्त्री० (एडहॉक कमिटी) किसी विशेष कार्यके लिए बनी हुई समिति जो कार्य संपादन के बाद स्वतः विघटित हो जाती है।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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