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तकदमा-तटिनी तक़दमा-पु० [अ०] अंदाजा, तखमीना; पेश करना फैसला। था। इसे १७३९ में नादिरशाह लूटकर ले गया। तक़दीर-स्त्री० [अ०] भाग्य, किस्मत । -बर-वि० भाग्य | तख्ता-धु० [फा०] ऊँची चौकी; लकड़ीका लंबा और कम वान् । मु०-आज़माना-माग्यके भरोसे कोई काम मोटा चौकोर टुकड़ा, पला । मु०-उलट जाना-बरबाद करना ।-ऊँची जगह लड़ना-अमीर घर में शादी होना। हो जाना, नष्ट-भ्रष्ट हो जाना, तबाह हो जाना। -का खेल-भाग्यके करिश्मे । -का धनी-भाग्यवान् । तख्ती-स्त्री० लकड़ी, धातु आदिका छोटा, चौकोर टुकड़ा; -जागना-भाग्यका उदय होना । -फटना-किस्मत छोटा तख्त पटिया। खराब होना।
तगड़ा-वि० हट्टा-कट्टा, मोटा-ताजा मजबूत । तक़दीरी-वि० [अ०] भाग्य-संबंधी।।
तगण-पु० [सं०] तीन वर्गों का एक मात्रिक गण । तकना*-स० कि० देखना ताकमें रहना; आश्रय लेना। तगना-अ०क्रि० तागा जाना। तकमा -पु० तमगा मुद्धी।
'तगमा-पु० दे० 'तमगा' । तकरार-स्त्री० [अ०] बार-बार कहना हुज्जत, झगड़ा। तगर-पु० [सं०] एक वृक्ष । तकरारी-वि० [अ०] तकरार करनेवाला ।
तगा*-पु० तागा। तकरीबन-अ० [अ०] लगभग।
तगाई-स्त्री० तागनेका काम या उजरत । तकरीर-स्त्री० [अ०] बोलना; बातचीत, भाषण । तगादा-पु० दे० 'तकाजा'। तकला-पु० सूत लपेटनेके काम आनेवाली चखेंमें लगी। तगाना-स० क्रि० तागनेका काम दूसरेसे कराना । लोहेकी सलाई, टेकुआ।
तगीर*-पु० स्थिति-परिवर्तन, तबदीली । तकली-स्त्री० छोटा तकला; सूत कातने तथा लपेटनेका तचना*-अ० क्रि० अत्यंत तप्त होना, तपना; दुःखी होना। एक छोटा आला ।
तचा*-स्त्री० त्वचा, चमड़ा। तकलीफ़-स्त्री० [अ०] दुःख, कष्ट, केश ।
तचाना*-स० क्रि० संतप्त करना, तपाना । तकल्लुफ़-पु० [अ०] तकलीफ उठाना शिष्टाचार, बनावट। तचित -वि० तपा हुआ, संतप्तः दुःखी। तकवाना-स. क्रि० किसीको ताकने में प्रवृत्त करना। तच्छ*-पु० दे० 'तक्ष'। तक्रसीम-स्त्री० [अ०] बाँटना; बँटवारा; एक संख्यासे तच्छक*-पु० दे० 'तक्षक' । दूसरी संख्याको भाग देना (ग०) ।
तच्छिन-अ० तत्क्षण, उसी समय । तक़सीर-स्त्री० [अ०] कुसूर, अपराध, गुनाह, दोष। तज-पु० दारचीनीकी जातिका एक वृक्ष जिसकी छाल तकाई-स्त्री० ताकनेका क्रिया ।
दवाके काम आती है । इसके पत्तेको 'तेजपत्ता' कहते हैं। तक़ाज़ा-पु० [अ०] तगादा, पावना माँगना; इच्छा; आव- तजकिरा-पु० [अ०] जिक्र, चर्चा: जीवन-चरित । श्यकता आदेश; अनुरोध; कोई काम करनेके लिए किसी- तजन*-पु० त्याग; चाबुक । से बार-बार कहना।
तजना-स० क्रि० छोड़ना, त्यागना । तकाना-स० क्रि० देखने में प्रवृत्त करना; दिखाना। | तजरबा-पु० [अ०] अनुभव; किसी वस्तुके बारेमें शान तकावी-स्त्री० [अ०] बीज, नैल आदि खरीदनेके लिए प्राप्त करनेके लिए की गयी परीक्षा; आजमाइश ।-कारकिसानोंको सरकारकी ओरसे दिया जानेवाला ऋण । | वि० अनुभवी । तकिया-पु० [फा०] बालिश; भरोसा, सहारा; आश्रय- | तजवीज़-स्त्री० [अ०] सलाह, राय; फैसला, निर्णय स्थान; छज्जे आदिपर रोकके लिए लगायी जानेवाली निर्देश विचार। -सानी-स्त्री० किसी फैसलेका उसी पत्थरकी पटिया; फकीरोंके रहनेकी जगह । -कलाम- अदालतमें पुनर्विचार ।। पु० सखुनतकिया।
तज्जनित, तज्जन्य-वि० [सं०] उससे उत्पन्न । तकुआ-पु० दे० 'तकला' देखनेवाला।
तज्जातीय-वि० [सं०] उस जातिका । मटा जिसमें एक चौथाई भाग जलका हो, तज्ञ-वि० जानकारी तत्त्वविद । छाछ । -सार-पु० मक्खन ।
तटक-पु० कानका एक गहना, कर्णफूल । तक्ष-पु० [सं०] रामके भाई भरतका ज्येष्ठ पुत्र; एक नाग। तट-पु० [सं०] पहाड़की ढाल; क्षितिज; किनारा, कूल, तक्षक-पु० [सं०] आठ नागोंमेंसे एक जिसने परीक्षित्को तीर; नदीके किनारेकी भूमि, प्रदेश क्षेत्र; शिव । अ० काटा था; विश्वकर्मा; सूत्रधारः बढ़ई।
पास, समीप।-स्थ-वि० जो समीप रहता हो, निकटस्थ; तक्षण-पु० [सं०] लकड़ी आदि छीलना, काटना । जो मतलब न रखता हो, उदासीन; जो गुटबंदीसे पृथक, तक्षणी-स्त्री० [सं०] लकड़ी तराशनेका औजार, बसूला। हो । पु० उदासीन व्यक्ति । तखमीनन्-अ० [अ०] अंदाजन् , अनुमानतः । तटका-वि० ताजा, तुरंतका। तख़मीना-पु० [अ०] अंदाजा आमद या खर्चका अंदाजा। तटनी*-स्त्री० दे० 'तटिनी'। तखल्लुस-पु० [अ०] कवि या लेखकका उपनाम । तटस्थीकरण-पु० [सं०] (न्यूट्रलिजेशन) किसी देश या तख्त-पु० [फा०] सिंहासन; लकड़ीकी बड़ी चौकी। । स्थानको तटस्थ बना देने, घोषित कर देनेकी क्रिया प्रति
-गाह-स्त्री० राजधानी। -नशीन-वि० सिंहासना• कूल गुण, शक्ति आदि द्वारा किसीके गुण या शक्तिका फल रूढ़ । -पोश-पु० तख्तपर बिछानेकी चादर ।-ताऊस- अथवा प्रभाव बेकार कर देनेकी क्रिया। पु० शाहजहाँका प्रसिद्ध सिंहासन जो मोरके आकारका तटिनी-स्त्री० [सं०] नदी । -पति-पु० समुद्र ।
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