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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३०५ ठकुरसुहाती - स्त्री० व्यक्तिविशेष या स्वामीको प्रिय लगनेवाली बात, चापलूसी, चाटुकारिता । टकुराइत - स्त्री० दे० ' ठकुरायत' । ठकुराइन | - स्त्री० स्वामिनी; ठाकुरकी, नाईकी स्त्री; * रानी । ठकुराई- स्त्री० स्वामित्व, प्रभुता, शासनाधीन प्रदेश, राज्य; क्षत्रिय, स्वामी या जमींदार होनेका रोबदाब | ठकुरानी - स्त्री० जमींदार, ठाकुर या सरदारकी स्त्री; रानी । ठकुराय * - पु० क्षत्रियोंका एक भेद । ठकुरायत - स्त्री० प्रभुता, स्वामित्व, अधीश्वरता; शासनाधीन प्रदेश | ठग - पु० धोखा देकर लूटनेवाला; धोखेबाज आदमी; धूर्त, वंचना करनेवाला | -पना- पु० ठगहाई; ठगनेकी क्रिया; धूर्तता । - मूरी-स्त्री० ठगनेकी गरज से बेहोश करनेके लिए सुधायी जानेवाली एक जड़ी । - मोदक-पु० नशीली वस्तुओंसे युक्त मोदक जिसे खिलाकर ठग पथिकोंको बेहोश करते थे। - लाडू - पु० दे० 'ठगमोदक' |--विद्या- स्त्री० धोखा देने का हुनर | उगना - स० क्रि० धोखा देकर लूटना; दगाबाजी करना, छलना; ग्राहकों से अधिक दाम लेना । * अ० क्रि० ठगा जाना; धोखा खाना; दंग रह जाना । ठगनी - स्त्री० ठगनेवाली स्त्री; ठगकी स्त्री; कुटनी । ठगवाना - स० क्रि० दूसरे द्वारा धोखा दिलवाना । ठगहाई, ठगहारी - स्त्री० दे० ठगपना । गाई। स्त्री० ठगपना । ठगाना - अ० क्रि० धोखा खा जाना; भुलाने में आकर किसी वस्तुका अधिक मूल्य दे देना । ठगाही * - स्त्री० ठगपना । ठगिन - स्त्री० धोखा देनेवाली स्त्री, दगाबाज स्त्री; ठग पत्नी । ठगिनी - स्त्री० दे० ठगिन । ठगिया - पु० ठग | ठगी - स्त्री० ठगनेकी क्रिया; ठगका पेशा; ठगपना | ठगोरी - स्त्री० मोहित कर देनेवाली क्रिया, जादू टोना । ठट - पु० वस्तुओं अथवा लोगों का जमाव; भीड़; ठाट, सजावट । - कीला - वि० भड़कदार | ठटना - अ० क्रि० डटना; अड़ना; विरोध में स्थित रहना; स० क्रि० सजाना; तैयार करना; छेड़ना । ठडा - पु० परिहास । ( उ ) बाज़ - वि० दिलगीबाज । उठई * - स्त्री० दे० 'ठट्टई' | ठठरी - स्त्री० दे० 'ठटरी' | उठाना - स० क्रि० आघात करना; जोरसे पीटना | अ०क्रि० अट्टहास करना, जोर से हँसना । ठठिरिन* - स्त्री० दे० 'उठेरिन' । ठठेरा - पु० धातुके बरतन बनानेवाला, कसेरा । उठेरिन - स्त्री० ठठेरेकी स्त्री । ठठोल - वि० मसखरा, अधिक परिहास करनेवाला । पु० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठकुरसुहाती - ठहनाना परिहास करनेवाला; परिहास । ठठोली- स्त्री० हँसी, मजाक, परिहास । उड़ा, ठढ़rt - वि० खड़ा, सीधा स्थित । टनक- स्त्री० तबला, मृदंग आदिकी ध्वनि; टीस | ठनकना - अ० क्रि० 'ठन-ठन' करके बजना; शंका उत्पन्न होना; रुक-रुककर पीड़ा होना । उनका - पु० दे० 'ठनक' | उनकाना - स० क्रि० धातुखंड या तबला आदि बजाकर शब्द उत्पन्न करना । ( रुपया ठनका लेना- रुपया वसूल कर लेना) । ठनकार - स्त्री० धातुखंडसे उत्पन्न ध्वनि । ठनगन-पु० नेग पानेके लिए हठ करना; हठ, जिद | उनगना - अ० क्रि० ठनगन करना । ठन-ठन गोपाल - पु० वह जिससे जयगोपाल - कोरा शिष्टाचार-के अतिरिक्त कुछ न मिले; निःसार वस्तु | ठनठनाना- स० क्रि० 'ठन-ठन' की ध्वनि उत्पन्न करना । अ० क्रि० 'ठन-ठन' करके बजना । ठनना-अ० क्रि० निश्चित होना; ढ़ता के साथ कार्यका आरंभ होना; छिड़ना; प्रयुक्त होना; लगना; तैयार होना । ठनाका - पु० 'ठन-ठन' की ध्वनि । ठनाठन - अ० 'ठन-ठन' आवाजके साथ | ठप-वि० बंद | उदनि* स्त्री० सजधज; तैयारी; बनाव | ठटरी - स्त्री० ढाँचा; शरीरका ढाँचा; अरथी । मु० - होना- ठलाना* - स० क्रि० गिराना; निकलवाना । अत्यंत कुश होना । ठट्ट - पु० दे० 'ठट' | ठडई - स्त्री हँसी, परिहास । ठपका * - पु० टक्कर, ठोकर, आघात । ठप्पा - पु० साँचा जो छापा या चिह्नविशेष लगानेके काम आता है; साँचेसे उखड़ी हुई छाप । ठमक- स्त्री० सहसा रुक जानेका भाव; इतराते हुए चलनेका भाव; नजाकतभरी चाल । ठमकना - अ० क्रि० भय, आश्चर्य आदिसे चलते-चलते रुक जाना; सहम जाना; इतराते हुए हाव-भाव के साथ चलना । ठमकाना - स० क्रि० चलतेको सहसा रोक देना; * बजाना । ठयना * - सु० क्रि० ठानना; दृढ़ निश्चयके साथ आरंभ करना; तैयार करना; पूरा करना; स्थापित करना; लगाना । अ० क्रि० संकल्पपूर्वक आरंभ होना; उनना; ठहरना, जमना; प्रयुक्त होना । ठरनाt - अ० क्रि० सरदीसे गलना, ठिठुरना; अत्यंत अधिक शीत पड़ना; * स्तब्ध हो जाना । ठर्रा - पु० कड़ा बटा हुआ मोटा सूत; एक देशी शराब । ठवन - स्त्री० अंग-संचालनका ढंग; खड़े होने, बैठने आदिका ढंग स्थिति; मुद्रा । टवना-स० क्रि०, अ० क्रि० दे० 'ठयना' । ठवनि* - स्त्री० दे० 'ठवन' | उस - वि० आलसी, कंजूस; जिससे कुछ निकलता न हो; घनी बुनावटका (कपड़ा), दबीज; (रुपया) जिसकी आवाज भारी हो; हठी; स्थिर; ध्ढ़ । उसक-स्त्री० नखरा, गवली चाल-ढाल; ऐंठ, शान । -दार - वि० ठसकवाला । उसका - पु० सूखी खाँसी; ठोकर, धक्का; फंदा । ठसाठस - अ० खचाखच, हँस-हँसकर (भरा) । ठहनाना * - अ० क्रि० बजना; (घोड़ेका) हिनहिनाना । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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