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.जुहूर-जेब
२८८ .जुहर-पु० [अ०] प्रकट होना; नुमाइश ।।
जूरना*-स० क्रि० जोड़ना, इकट्ठा करना। अ० क्रि० गूं-पु०,स्त्री० मैल और पसीना मरनेसे सिरके बालों में पैदा
- इकट्टा होना। हो जानेवाला एक नन्हा कीड़ा, ढील । मु(कानोपर)- जूरा*-पु० दे० 'जूड़ा' । न रेंगना-स्थितिपर ध्यान न जाना, होश न होना। जूरी-स्त्री० पूला, जुट्टी; एक तरहकी पकौड़ी; [अं०] पंचोंगूंठन-स्त्री० दे० 'जूठन'।
का मंडल जो फौजदारी मुकदमे में अभियुक्तके अपराधी जू-अ० नामके साथ लगाया जानेवाला आदरसूचक शब्द होने या न होनेके संबंध में जजको अपनी राय देता है। 'जी'का व्रज, बुंदेलखंडी आदि भाषाओं में प्रचलित रूप। जूस-पु० दालका पानी; रोगीको दिया जानेवाला पथ्य । जूआ-पु० दे० 'जुआ।
जूसी-स्त्री० राबके ऊपर छूटने या शकर बनानेमें उसके जूजू-पु० बच्चोंको डरानेके लिए कल्पित जीव, होआ। मैल और नमीके रूपमें निकलनेवाला शारा, चोटा। जूझ*-पु० युद्ध ।
जूह*-पु० दे० 'यूथ'। जूझना-अ० क्रि० लड़ना; लड़ते हुए मर जाना। जूहर-पु० दे० 'जौहर'।। जूट-पु० [सं०] जूड़ा; जटा; [अं०] पटसन ।
जूही-स्त्री० एक झाड़ जिसके फूल बहुत छोटे, सुकुमार जूटना* स० क्रि० जोड़ना, मिलाना। अ० क्रि० एकत्र और बड़ी मधुर गंधवाले होते हैं। एक आतिशबाजी । होना; प्रवृत्त होना, लगना ।
जभ-पु० [सं०] जम्हाई; फैलाव; खिलना। जूठन-स्त्री० खाकर छोड़ा हुआ भोजन, उच्छिष्ट; इस्तेमाल जभक-वि० [सं०] जंभाई लेनेवाला; सुस्त करनेवाला । की हुई चीज।
पु० एक अस्त्र; एक रुद्रगण ।। जूठा-वि० खाकर छोड़ा हुआ, जुठारा हुआ, उच्छिष्ट; जभण-पु० [सं०] जम्हाई लेना; फैलना खिलना। जिसमें खाया-पिया गया हो (बरतन, चौका); जिसमें भा-स्त्री० [सं०] दे० 'जभ' । जूठा लगा हो (हाथ, मुँह ); * झूठा । पु० जूठन। जभिका-स्त्री० [सं०] जम्हाई; आलस्य । जूड़*-वि० शीतल प्रसन्न । पु० दे० 'जूड़ा।
जभित-वि० [सं०] जिसने जम्हाई ली हो; फैला हुआ जूडा-पु० सिरके बाल जो लपेटकर बाँध दिये गये हों, जूट, फैलाया हुआ; चेष्टित: खिला हुआ। चोटी; गेंडुरी।
अँगना*-पु० जुगनू-जगनाकी जोति कहा रजनी बिलात जूड़ी-स्त्री० जाड़ा देकर आनेवाला ज्वर, जड़ेया बुखार । । है'-संद०। जूता-पु० चमड़े, किरमिच, रबर आदिका बना हुआ पाद- | जैना*-स० क्रि० दे० 'जीमना'। त्राण, उपानह, पापोश। -खोर-वि० पीटे जानेका जे वन-पु० खानेकी चीज या कार्य । आदी, लतखोर,बेहया ।मु०-उछलना-मार-पीट होना, जैवना-स० क्रि० दे० 'जीमना' । पु० भोजन । जूती-पैजार होना।(जूते)गाँटना-जूतोंकी मरम्मत करना; जेवनार-स्त्री० दे० 'जेवनार' । नीच काम करना । -चलना-दे० 'जूता उछलना'। जवाना-स० कि० भोजन कराना। -चाटना-चापलूसी करना । -पड़ना,-बरसना- जे*-सर्व० 'जोका बहु०। जूतोंकी मार पड़ना। -मारना-जुते लगाना; जलील | जेड, जेउ, जेऊ*-सर्व० दे० 'जो'। करना; मुँहतोड़ जवाब देना। -लगना-जूते पड़ना; जेट-स्त्री० ढेर; गोद । नुकसान होना, घाटा पड़ना; अपमानित होना ।-लगाना जेटी-स्त्री० पानीके ऊपर बना हुआ लकड़ी आदिका चबू-जूते मारना; अपमानित करना, लथेड़ना । (
तरा जिसपरसे जहाजपर माल चढ़ाया-उतारा जाता है। खबर लेना.-से बात करना-जूते लगाना।
जेठंस-पु०, जेठंसी-स्त्री. बड़े भाईका हिस्साज्येष्ठांश । जूती-स्त्री० जनाना जूता; जूता । -कारी-स्त्री० जूतोंकी जेठ-वि० ज्येष्ठ, उम्र में बड़ा। पु० पतिका बड़ा भाई; मार -खोर,-खोरा-वि०जूते खानेका आदी; निर्लज्ज । बैसाख और असाढ़के बीच पड़नेवाला चांद्रमास । -छि(छ)पाई-स्त्री० जूते छिपाने और लौटानेका नेग। जेठा-वि० बड़ा, ज्येष्ठ; श्रेष्ठ । -पैजार-स्त्री० जूता चलना, मार-पीट; गंदी लड़ाई। | जेठाई-स्त्री० जेठा होना, जेठापन । म०-की नोकपर मारना-कुछ न समझना। -की जेठानी-स्त्री० पतिके बड़े भाईकी स्त्री। नोकसे-(मेरी) बलासे, कुछ परवाह नहीं। -के बरा- जेठी-वि० जेठका जेठमें होनेवाला । * स्त्री० जेठानी। बरन समझना-तुच्छ,हेय समझना । जूतियाँ चटखाते जेठीमधु-पु० मुलेठी।। फिरना-मारा-मारा फिरना ।
जेठौत, जेठौता-पु० जेठका लड़का । जूथ*-पु० दे० 'यूथ' ।
जेतव्य-वि० [सं०] जीतने योग्य, जेय । जूथका, जूथिका*-खो० दे० 'यूथिका'। जून-* वि० जीर्ण, पुराना । पु० वेला, वक्त दिनका | जेता(त)-वि० [सं०] जीतनेवाला, विजयी । पु० विष्णु ।
अर्द्ध भाग; तृणः [अं०] ईसवी सन्का छठा महीना । जेतिक*-अ० जितना । जूप*-पु० जुआ, घत; विवाहमें वर-वधूके जुआ खेलनेकी जेते*-वि० जितने । एक रीति; दे० 'यूप' ।
जेना-१०क्रि० दे० 'जीमना'। जूमना*-अ० क्रि० जुटना, इकट्ठा होना ।
जेब-पु० [अ०] गरेबान; कुरते, कमीज आदिमें रुपये-पैसे, जूर*-पु० जोड़ ढेर ।
| घड़ी-रूमाल आदि रखनेके लिए लगी हुई थैली, खीसा,
जितना ।"
जेता
ठा महीना ।
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