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जुगालना - अ० क्रि० जुगाली करना । जुगाली - स्त्री० गाय-बैल आदिका निगले हुए चारेको थोड़ा थोड़ा पेटसे मुँह में लाकर चबाना, रोमंथ; चर्वितचर्वण । जुगुत, जुगुति * - स्त्री० दे० 'युक्ति' ।
जुगुप्सा - स्त्री० [सं०] निंदा; घृणा; बीभत्स रसका स्थायी जुबाद * - ५० एक तरहकी कस्तूरी ।
भाव ।
जुगुप्सित - वि० [सं०] निंदित; घृणित ।
जुगुल * - वि० दे० 'युगल' ।
जुज़ - अ० [फा०] के सिवा, बगैर, बिना । पु० [अ०] अंश, टुकड़ा; बहुत छोटा खंड; पुस्तक के अलग भांजे और सिले हुए पन्ने, फार्म । - बंदी - स्त्री० किताबके जुजोंको जिल्दबंदी के लिए सीना; किताबकी सिलाई जिसमें एकएक जुज या फार्म अलग-अलग सिला जाय ।
जुझाना - स० क्रि० जूझनेको प्रेरित, उत्साहित करना । जुझार* - वि० रणप्रिय वीर । पु० युद्ध । जुट- स्त्री० जोड़ा, युग्म; दो अभिन्न मित्र; गुद |
जुटना - अ० क्रि० जुड़ना, संयुक्त होना; सटना, चिमटना, गुथना; जमा, इकट्ठा होना; पहुँचना; (किसी काममें) मुस्तैदी से लगना; संभोग करना; अभिसंधि करना | जुटली * - वि० बालोंकी लंबी लटोंवाला । जुटाना - स० क्रि० जोड़ना; पास पहुँचाना; इकट्टा करना।
जुटाव - पु० जमाव ।
जुठारना, जुठालना-स० क्रि० जूठा कर देना । जुठिहारा- पु० जूठा खानेवाला ।
जुज्झ* - पु० युद्ध |
जुझाऊ - वि० युद्ध-संबंधी; जूझनेको उत्साहित करनेवाला, जुरा* - स्त्री० बुढ़ापा; मृत्यु । भारू (-बाजा) ।
जुड़वाई - स्त्री० दे० 'जोड़वाई' ।
जुड़वाना - सु० क्रि० ठंडा करना; तृप्त करना; दे० 'जोड़वाना' ।
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जुन्हरी - स्त्री० ज्वार । जुन्हाई, जुन्हैया* - स्त्री० चाँदनी, चंद्रिका; चंद्रमा । जुबराज * - पु० दे० 'युवराज' | जुबली - स्त्री० [अं० जुबिली ] उत्सव; जयंती ।
जुत्थ* - पु० दे० 'यूथ' ।
जुदा - वि० [फा०] अलग; भिन्न; निराला । जुदाई - स्त्री० [फा०] वियोग, बिलगाव | जुद्ध*- पु० दे० 'युद्ध' ।
• जुबान - स्त्री० [फा०] दे० 'जवान' (समास भी) । जुमला - वि० [अ०] कुल, तमाम, सब । पु० जोड़; वाक्य | जुमा - पु० [अ०] शुक्रवार । - (मे) रात - स्त्री० गुरुवार । मु० - जुमा आठ दिन - थोड़े दिन, चंद रोज । जुम्मा-पु० दे० 'जुमा' | जुर* - पु० ज्वर ।
जुरअत - स्त्री० [अ०] बहादुरी, मर्दानगी; साहस । जुरना* - अ० क्रि० दे० 'जुड़ना' ; भिड़ना | जुरमाना - पु० दे० 'जुर्माना' ।
जुराना * - अ० क्रि० ठंडा होना । स० क्रि० एकत्र करना । जराफा - पु० दे० 'जिराफ़ा' |
जुगालना - जुही
जुरावना * - स० क्रि० दे० 'जुराना' ।
जुर्म - पु० [अ०] अपराध, वह काम जो कानून में दंडनीय माना गया हो ।
जुर्माना - पु० [अ०] वह रकम जो किसी अपराधके दंडरूप में देनी पड़े, अर्थदंड |
जुर्रत स्त्री० दे० 'जुरअत' ।
जुर्रा- पु० [फा०] नर बाज | जुर्राब - स्त्री० [तु० ] मोजा ।
जुड़ना - अ० क्रि० जोड़ा जाना, संयुक्त होना; इकट्टा होना; जुलफ, जुलुफ* - स्त्री० दे० 'जुल्फ' ।
जुल - पु० झाँसा, चकमा । -बाज - वि० जुल देनेवाला । जुलकरन*-पु० [अ०जुलकरनैन] सिकंदर ( रूमी) की उपाधि ।
जुतना; उपलब्ध होना ।
जुलाई - स्त्री० [अ०] ईसवी सन्का सातवाँ महीना ।
जुड़पित्ती - स्त्री० एक रोग जिसमें बदन में खुजली होती और जुलाब-पु० दस्त लानेवाली दवा, विरेचन । बड़े-बड़े ददोरे निकल आते हैं, पित्ती । जुड़वाँ - वि० जुड़े हुए, यमल । पु० एक साथ पैदा हुए दो बच्चे ।
जुड़ाना - अ० क्रि० ठंडा होना । स० क्रि० ठंडा करना । जुड़ावना* - स० क्रि० ठंडा करना ।
जुत* - वि० दे० 'युक्त' ।
जुतना - अ० क्रि० जोता जाना; लगना; जुटना ।
जुतवाना - स० क्रि० जोतनेका काम दूसरे से कराना । जुताई - स्त्री० जोतनेकी क्रिया या भाव; जोतनेकी उजरत । जुवा- पु० दे० 'जुआ' | जुताना स० क्रि० दे० 'जोताना' ।
जुतिओवल - स्त्री० आपस में जूतोंसे मारपीट करना । जुतियाना - स० क्रि० जूते लगाना; बुरी तरह अपमानित
करना, जलील करना ।
जुलाहा - पु० कपड़ा बुननेवाला, तंतुवाय; पानी पर तैरने - वाला एक कीड़ा; एक बरसाती कीड़ा ।
जुलूस - पु० [अ०] तख्तनशीनी, राज्यारोहण; राजाकी सवारी; बहुत से लोगोंका इकट्टा होकर समारोहके साथ कहीं जाना या नगर भ्रमण (निकलना, निकालना) । जुलोक*- * - पु० द्युलोक, सुरलोक, वैकुंठ ।
• जुल्फ़-स्त्री० [फा०] पट्टा, काकुल ।
. जुल्म - पु० [अ०] अन्याय; जबरदस्ती; अत्याचार, अंधेर ।
. जुल्मी - वि० [अ०] जालिम, अत्याचारी | जुल्लाब - पु० [अ०] जुलाब, विरेचन । जुवराज * - पु० दे० 'युवराज'
जुवार - स्त्री० दे० 'ज्वार' ।
जुवारी - पु० दे० 'जुआरी' ।
जुष्ट-वि० [सं०] युक्त; जूठा । पु० जूठन, उच्छिष्ट
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जुहाना, जुहावना* - स० क्रि० इकट्ठा करना । अ० क्रि० एकत्र होना - ' ... लाखन विप्र जुहाने' - रघु० । जुहार - स्त्री० अभिवादनका एक प्रकार, प्रणाम । जुहारना - स० क्रि० अभिवादन करना । जुही-स्त्री० दे० 'जूही' ।