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जक्ष-जजमानी
२६८ जक्ष*-पु० यक्ष ।
जगद्विख्यात-वि० [सं०] विश्वविश्रुत । जखनी-स्त्री० दे० 'यक्षिणी'।
जगना-अ० क्रि० जागना, नींदसे उठना; सचेत होना; जखम-पु० दे० 'ज.ख्म'।
उभरना; बलना, प्रदीप्त होना; शक्ति, तेजका अधिक जखमी-वि० दे० 'ज.स्मी' ।
परिचय देना; तंबाकू, आदिका सुलगना । जखीरा-पु० [अ०] खजाना; भंडारा ढेर, पेड़-पौधे या जगन्नाथ-पु० [सं०] परमेश्वर; विष्णुः पुरीमें स्थापित बीज मिलनेका स्थान ।
विष्णुमूर्ति । -का भात-जगन्नाथजीका महाप्रसाद; वह जखम-पु० [फा०] घाव, चोट; हानि । -(मे)जिगर- वस्तु जो किसीके छूनेसे अपवित्र न हो, जिसे सभी पु० दिलपर लगी हुई चोट, दुःख, मनोवेदना । मु०- ग्रहण कर सकें। हरा होना-बीते हुए कष्टका फिर लौट आना।
जगन्नियंता(त)-पु० [सं०] जगत्का नियमन करनेवाला, जख्मी-वि० [फा०] घायल, जिसे जख्म लगा हो। परमेश्वर । जग-पु० जगत् , दुनिया । -कारन*-पु. जगत्के| जगनिवास-पु० [सं०] परमेश्वर, विष्णु । कारणरूप परमेश्वर । -जननी*-स्त्री० दे० 'जगज्जननी'। जगन्मयी-स्त्री० [सं०] लक्ष्मी । -जामिनि*-स्त्री० संसाररूपी रात्रि । -जाहिर-वि० जगन्माता(त)-स्त्री० [सं०] दुर्गा; लक्ष्मी । जगत्प्रसिद्ध, सर्वविदित । -जीवन-पु० जगत्के जीवन-जगन्मोहिनी-स्त्री० [सं०] महामाया; दुगो । रूप परमेश्वर । -जोनि-पु० दे० 'जगद्योनि' । जगमग-वि० चमकीला, जगमगाता हुआ, प्रकाशित । -तारन*-पु० जगत्को तारनेवाला, परमेश्वर । स्त्री० जगमगाहट । -निवास-पु० दे० 'जगन्निवास। -प्रान-पु० दे० जगमगाना-अ० कि० अपनी या दूसरेकी रोशनीसे चम'जगत्प्राण' । -बंद*-वि० दे० 'जगद्वंद्य । -बंदन- कना, प्रकाशके कंपनसे झलकना, दमकना, चमचमाना । वि० जगदथ, सबके लिए पूज्य ।-बीती-स्त्री० लोकवृत्त, जगमगाहट-स्त्री० जगमगानेका भाव, चमक, दमक । किस्सा-कहानी । -मोहनी-वि० स्त्री० दुनियाको जगरन*-पु० दे० 'जागरण' । मोहनेवाली, सुंदरी । -सूर*-पु० राजा। -हँसाई- जगर-मगर-वि० दे० 'जगमग' । स्त्री० लोकनिंदा।
जगवाना-स० क्रि० जगानेका काम दूसरेसे कराना । जगच्चक्षु (स्)-पु० [सं०] सूर्य ।।
जगह-स्त्री० अवकाशका अंश-विशेष; अवकाशका वह अंश जगजगानाt-अ०क्रि० जगमगाना, चमचमाना । जिसमें किसी वस्तु या व्यक्तिकी स्थिति हो, स्थान, वस्तु जगजननी-स्त्री० [सं०] जगदंबा, परमेश्वरी ।
या व्यक्ति-विशेषका नियत स्थान; समाई, गुंजाइश पद, जगजयी(यिन)-वि० [सं०] दुनियाको जीतनेवाला । उहदा; नौकरी; अवसर, मौका । -जगह-अ० हर जगण-पु० [सं०] पिंगलके आठ गणोंमेंसे एक जिसमें आदि- जगह, सर्वत्र।
अंत वर्ण लघु और मध्य वर्ण गुरु होता है (उ० रमेश)। | जगाजोति*-स्त्री० जगमगाहट । जगत-स्त्री० कुएँका चबूतरा। पु० जगत् , दुनिया ।। जगात*-स्त्री० दे० 'जकात' । -पति-पु० दे० 'जगत्पति'। -सेठ-पु० राज्य-विशेषका जगाती*-पु० जकात वसूल करनेवाला। सबसे बड़ा महाजन, वह महाजन जिसकी साख सर्वत्र जगाना-सक्रि० सोतेसे उठाना, जागनेको प्रेरित करना; मानी जाय।
सजग, सावधान करना; सुलगाना, प्रदीप्त करना (ज्योति जगती-स्त्री० [सं०] धरती; दुनिया, जगत् मानवजाति ज०); यंत्र-मंत्रको सिद्ध करना या उनका प्रभाव बनाये -तल-पु० धरती; दुनिया।
रखने के लिए ग्रहण आदिपर उनका जप आदि करना । जगत-प० [सं०] दनिया, संसार, वायु । वि. जंगम, जा*-स्त्री० जागरण. जागति ।
चल । -कर्ता(त)-पु० परमेश्वरः ब्रह्मा। -कारण- जगीर*-स्त्री० दे० 'जागीर' । पु० सृष्टिके कारणरूप परमेश्वर । -पति,-पिता(त) जगीला*-वि० उनी दा । पु० परमेश्वर । -प्राणं-पु० वायु ।
जग्य*-पु० यश । जगदंबा, जगदंबिका-स्त्री० [सं०] दुर्गा, जगज्जननी। जघन-पु० [सं०] स्त्रियोंका पेड़ नितंब सेनाका पिछला जगदामा(स्मन्)-पु० [सं०] परमेश्वर; वायु । भाग।-चपला-स्त्री० कामुका, व्यभिचारिणी स्त्री। जगदाधार-पु० [सं०] परमेश्वर; वायुः काल ।
जघन्य-वि०[सं०] अंतिम; नीच; निंदित, हेय । पु० शूद्र । जगदीश-पु० [सं०] जगत्पति, परमेश्वर विष्णु । जच्चा-स्त्री० [फा०] सद्यःप्रसूता; वह स्त्री जिसे प्रसव किये जगदीश्वर-पु० [सं०] परमेश्वर शिव; इंद्र; राजा। ४० दिन न हुए हों। -ख़ाना-पु. प्रसवगृह । जगद्गुरु-पु० [सं०] परमेश्वर, त्रिदेव; नारद; शंकरा- | जच्छ*-पु० दे० 'यक्ष' । चार्यकी गद्दीपर बैठनेवालोंकी पदवी।
जज-पु०[अं॰] वह अधिकारी जिसे मुकदमे सुनकर उनका जगद्धाता(त)-वि० [सं०] जगत्को धारण करनेवाला। ! फैसला करनेका अधिकार हो, विचारक । पु० परमेश्वर; ब्रह्मा।
जजना*-स० क्रि० आदर करना, पूजना; -'कलि पूर्जे जगद्धात्री-स्त्री० [सं०] दुर्गा; सरस्वती ।
पाखंडको ज न स्रति आचार'-दीनद० । जगद्योनि-पु० [सं०] परमेश्वर; त्रिदेव ।
जजमान-पु० दे० 'यजमान'। जगढुंध-वि० [सं०] सबका पूज्य ।
जजमानी-स्त्री० दे० 'यजमानी'।
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