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जज़िया - पु० दे० 'जिजिया' । जज़ीरा - पु० [अ०] टापू, द्वीप। जज्ञ* - पु० दे० 'यज्ञ' ।
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-नुमा - पु० प्रायद्वीप ।
जज्ब - पु० [अ०] सोखना; खिंचाव, आकर्षण | जज्बा - पु० [अ०] भाव, मनोविकार; जोश; रोष । जटना - स० क्रि० ठगना; * जड़ना, जकड़ना । ज़टल - स्त्री० बकवास, बेतुकी बात; गप । -क़ाफ़िया - पु० बेतुकी बात; गप -बाज़- वि० बकवासी, गप
हाँकनेवाला ।
जटा - स्त्री० [सं०] उलझे और आपस में चिपके हुए लंबे बाल; पेड़-पौधों की जड़; शाखा; उलझे हुए रेशे । - जूटपु० जूड़ेके रूप में बँधी हुई जटा; शिवकी जटा । जटाना - अ० क्रि० जटा जाना, ठगाना । जटायु - पु० [सं०] रामायण में वर्णित एक गिद्ध जिसने सीताको छुड़ाने के लिए रावणसे युद्ध किया था ।
जटित - वि० जड़ा हुआ
जटिल - वि० [सं०] जटाधारी; उलझा हुआ, पेचीदा; कठिन । जटिलता - स्त्री० [सं०] पेचीदगी, उलझन; कठिनाई । जटी - स्त्री० [सं०] जटा; समूह |
जटी ( टिनू ) - वि० [सं०] जटाधारी । पु० शिव; बरगद | ज ू - वि० जटनेवाला, उचित से अधिक मूल्य लेनेवाला । जठर- पु० [सं०] पेट; कुक्षि, जरायु; एक पुराणोक्त पर्वत । वि० कड़ा, कठिन; वृद्ध, बूढ़ा । -ज्वाला - स्त्री० उदरज्वाला, भूखका कष्ट
जठरागि* - स्त्री० दे० 'जठराग्नि' | जठराग्नि - स्त्री० [सं०] उदरस्थित अग्नि जो आयुर्वेद के मतसे आहारको पचानेका काम करती है; आमाशयकी गिल्टियोंसे निकलनेवाला पाचक रस, (गैस्ट्रिक जूस) । जठरानल - पु० [सं०] दे० 'जठराग्नि' | जठरामय - पु० [सं०] अतीसार; जलोदर रोग । जठेरा* - वि० जेठा, बड़ा । पु० लड़का- 'छलसों कछु करतु फिरतु महरिको जठेरो'- सू० । जड-वि० [सं०] अचेतन, चेतनरहित; निर्बुद्धि, मूर्ख; सदी से ठिठुरा, अकड़ा हुआ; निश्चेष्ट । पु० जड़, अचेतन पदार्थ; जल; सीसा । - जगत्-पु० जडप्रकृति, पांचभौतिक पदार्थों की समष्टि | -पदार्थ- पु० अचेतन पदार्थ, भौतिक जगत्का उपादानरूप द्रव्य । - प्रकृति - स्त्री० जडजगतू, पंचभूत या पांचभौतिक पदार्थोंकी समष्टि । जड़ - स्त्री० पेड़-पौधों का वह भाग जो जमीनके अंदर रहता है और जिसके द्वारा वे धरती से पोषण प्राप्त करते हैं, मूल; नीव, आधार, मूल कारण । मु०- उखाड़ना - समूल नाश करना । - काटना, - खोदना - तबाह करनेकी कोशिश करना, भारी हानि पहुँचाना । जडता - स्त्री०, जडत्व- पु० [सं०] जड होनेका भाव; अचेतनता, अज्ञान, मूर्खता; एक संचारी भाव । जड़ताई * - स्त्री० दे० 'जडता' ।
जड़ना - स० क्रि० एक बस्तुको दूसरी में बैठाना, जमाना, पच्ची करना;ठोकना (कील, नाल); मारना, लगाना (धौल, चाँटा); किसी की चुगली खाना या किसीके खिलाफ किसी के कान भरना, शिकायत करना ।
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जज़िया - जन
जड़वाना - स० क्रि० दे० 'जड़ाना' । जड़हन - पु० अगहनी धान ।
जड़ाई - स्त्री० जड़नेका काम; जड़नेकी उजरत ।
जड़ाऊ - वि० जिसपर नग या रत्न जड़ा हो, जड़ाववाला । जड़ाना - स० क्रि० जड़ने का काम दूसरेसे कराना । अ० क्रि० जाड़ा लगना, जाड़ा खाना । जड़ाव - पु० जड़नेका काम, पच्चीकारी ।
जड़ावर - पु० जाड़े में पहनने ओढ़नेके गरम कपड़े । जड़ित - वि० जड़ा हुआ; जड़ाऊ । जडिमा (मन्) - स्त्री० [सं०] जडता, स्तब्धता; संज्ञाहीनता । जड़िया- पु० नग जड़नेका काम करनेवाला ।
जड़ी - स्त्री० वनौषधि, बूटी; वह वनौषधि जिसकी जड़ दवाके काम में लायी जाय । -बूटी - स्त्री० वनौषधि । जडीकृत परिसंपत् - स्त्री० [सं०] ( फ्रोजन एसेट्स) वह परिसंपत् जिसके विक्रय, हस्तांतरण आदिकी मनाही कर दी गयी हो ।
जडीभूत - वि० [सं०] जो हिलता डुलता न हो, निःस्पंद । जड़ेया । - स्त्री० जाड़ा देकर आनेवाला ज्वर, जूड़ी । जत* - वि०, अ० जितना । जतन - पु० दे० 'यत्न' ।
जतनी - वि० यत्न करनेवाला; चालाक, चतुर । जतलाना - स० क्रि० दे० 'जताना' ।
जताना - स० क्रि० बताना, अवगत कराना; आगाह करना । जति* - पु० दे० 'यति' ।
जती | - पु० दे० 'यती' ।
जतु-पु० [सं०] गोंद; लाख; शिलाजतु । -गृह- पु० लाख - का बना घर (जैसा दुर्योधनने पांडवोंको जलानेके लिए बनवाया था ) । - रस - पु० लाख; महावर । जतुक - पु० [सं०] हींग; लाख; चमड़ेपरका दाग जो जन्मसे हो, लच्छन ।
जतुका - स्त्री० [सं०] लाख; चमगादड़; पर्पटी लता । जतेक* - वि०, अ० जितना ।
जत्था - पु० कार्य- विशेषके लिए संघटित छोटा दल, यूथ ।
- (स्थे) दार - पु० जत्थेका नायक, दलनायक । -बंदी - स्त्री० जत्था बनाना, दलबंदी ।
जथा* - अ० दे० 'यथा'। स्त्री० धन, पूँजी । पु० दे० ' जत्था' | जथारथ * - वि० दे० 'यथार्थ' । जद - अ० जब; यदि । जदपि* - अ० दे० 'यद्यपि ' ।
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ज़दा - वि० [फा०] भरा हुआ, पीड़ित (मुसीबतज़दा) । जदु* - पु० दे० 'यदु' | - कुल * - पु० दे० 'यदुकुल' । - नाथ, - पति-पु० दे० 'यदुनाथ' ।-पुर-पु० मथुरा | - बंसी - वि० दे० 'यदुवंशी' | - राइ, - राय - पु० यदुराज, कृष्ण । - वीर - पु० कृष्ण । जद्द - *वि० प्रबल; अधिक । स्त्री० [अ०] कोशिश । - (दो) जेहद - स्त्री० प्रयत्न, दौड़-धूप; आंदोलन | जद्दपि * - अ० यद्यपि ।
जन- पु० [सं०] मनुष्य; व्यक्ति; मनुष्य-समूह, लोक; जाति; सेवक, दास । - आंदोलन - पु० किसी उद्देश्यकी सिद्धिके लिए जनता द्वारा चलाया गया आंदोलन । -कल्याण