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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छिलाई-छुभित २६४ छिलाई-स्त्री० छीलनेका काम; छीलनेकी मजदूरी। | छीलर-पु० मोटका पानी उड़ेलनेके लिए कुएँके पास बना छिलाना-स० कि० दे० 'छिलवाना' । हुआ गड्ढा छिछला गड्डा, तलैया । वि० छिछला । छिहत्तर-वि०सत्तर और छ । पु० छिहत्तरकी संख्या,७६।। छीव-वि० उन्मत्त, मतवाला। छिहानी*-स्त्री० मरघट, मसान । छुगनी, ऊँगली-स्त्री० धुंधरूदार अंगूठी । छींक-स्त्री० छींकनेकी क्रिया या आवाज । | छुआछूत-स्त्री० छूतछातका खयाल; अस्पृश्यको छूना। छींकना-अ० क्रि० नथुनोंमें खुजली, चुनचुनाहट पैदा छुआना। -स० क्रि० दे० 'छुलाना' । करनेवाली या श्वासक्रियामें बाधक वस्तुको निकालनेके छुईमुई-स्त्री० लज्जावती, लजालू ; बहुत ही नाजुक या लिए भीतरकी वायुका वेगके साथ बाहर आना। नाजुकमिजाज या चिड़चिड़ा आदमी; बहुत कमजोर चीज । छीका-पु० दे० 'छीका'। छुगनू*-पु० घुघरू। छाँट-स्त्री० वह कपड़ा जिसपर रंग-बिरंगी बूटियाँ छपी छुच्छा-वि० दे० 'छंछा'। हो; दे० 'छींटा'-'आनन रहीं ललित पय छीटें'-सू०। छुच्छी-वि० स्त्री० दे० 'छछी' । स्त्री० पतली, छोटी नली; छीटना-स० क्रि० छितराना, बिखेरना। | जुलाहोंकी नरी; नाकमें पहननेका एक गहना,कील की। छाँटा-पु० पानी या दूसरे द्रव द्रव्यकी बूंदें जो फेंकने, | छट-*अ० छोड़कर, सिवाय । वि० 'छोटा'का समासमें उछालनेसे किसी चीजपर पड़ें; छीटेका दाग; नन्हासा | व्यवहृत रूप । -पन-पु० छोटापन, छुटाई; बचपन । दाग हलकी वर्षा; बौछार; हलका आक्षेप, व्यंग्योक्तिः | -भैया-पु० छोटे दरजे, हैसियतका आदमी। हाथसे बखेरकर बोये हुए बीज; इस तरहकी बोआई। दे० छुटकाना*-स० क्रि० त्यागना, छोड़ना; अलग करना । 'छोटा' । मु०-छोड़ना,-फेंकना-आक्षेप करना, व्यंग्य छटकारा-पु० बंधनसे छटना, रिहाई, निस्तार; छुट्टी। करना । -देना-भड़काना, उकसाना। छुटना*-अ० क्रि० दे० 'छूटना'।। छी-अ० पृणा, तिरस्कार या धिक्कारका सूचक शब्द, थू, छुटाना -स० क्रि० दे० 'छुड़ाना' । अ० कि० गाय-भैसका धिक्कार । | दूध देना बंद करन।। छीका-पु० रस्सी, तार आदिकी बनी, झोली जैसी चीज छटौती-स्त्री० सूद या लगान जो छोड़ दिया जाय । जिसे छत आदिसे लटकाकर उसपर खाने-पीनेकी चीजें छुट्टा-वि० जो बंधा न हो; अकेला, बिना बाल-बच्चेका। रखते हैं, सीका, सिकहर; मोहरा झूलेका पुल; छितनी। | -पान-पु. वह पान जिसका बीड़ा न लगा हो। मु०-टूटना-संयोगसे बिना प्रयत्न किये कोई लाभ हो जाना। छुट्टी-स्त्री० छुटकारा, अवकाशकाल, फुरसत; काम बंद छीछड़ा-पु० दे० 'छिछड़ा। रहनेका दिन, तातील; आये हुएको जानेकी अनुमति छीछालेदर-स्त्री० दुर्दशा, फजीहत । मौकूफी । मु०-मनाना-अवकाशका आनंद लेना। छीज-स्ली० छीजनेका भाव, क्षय, घटाव, हास; * घाटा। छुड़वाना-स० क्रि० छोड़नेका काम दूसरेसे कराना। छीजन-स्त्री० छीजने, खराब होने इत्यादिके कारण होनेछुड़ाई-स्त्री० छोड़ने या छुड़ानेकी क्रिया; छोड़नेके बदलेमें वाली कमी, दे० 'छीज'। दिया जानेवाला धन ।। छीजना-अ० क्रि० क्षीण होना; घटना; नष्ट होना; खराब छुड़ाना-सक्रि० पकड़ रखी हुई वस्तु या व्यक्तिके छूटने होना हानि होना। का उपाय करना, छुटकारा दिलाना; रिहा करानाबंधनसे छीटा-पु० बाँसकी तीलियोंका बना टोकरा, बड़ी छितनी।। निकालना; दूसरेके कब्जेसे निकालना ( रेहन, खेत इ०); छीति -स्त्री० हानि, घटी। महसूल आदि चुकाकर ले लेना; दूर करना (दाग, मैल छीदा-वि० बहुतसे छेदोंवाला; विरल । इ०); नौकरीसे अलग करना; दे० 'छोड़वाना' । छीन*-वि० दे० 'क्षीण' । छुड़ेया-पु० छुड़ानेवाला; बचानेवाला। स्त्री० गुडीको छीनना-स० क्रि० दूसरेसे जबरदस्ती ले लेना, उचक लेना, ऊपर उठाकर झटकेसे छोड़ देना। ऐंठ लेनाछिन्न करना, काट देना; सिल आदि कूटना। छुड़ौती -स्त्री० छोड़नेके लिए दिया जानेवाला धन; छीना*-स० क्रि० छूना, स्पर्श करना। छुटौती। छीना-खसोटी, छीना-छीनी, छीना-झपटी-स्त्री० एक छत(ति)हा -वि० छूतवाला; जिसे छूत लगी हो। दूसरेके हाथसे छीन लेनेकी कोशिश । -अस्पताल-पु० वह अस्पताल जहाँ संक्रामक रोगोंसे छीप-स्त्री० छाप, दाग; सेहुओँ । * वि० तेज, वेगवाला। पीड़ित रोगियोंका इलाज किया जाता है । छीपी-पु० छीटें छापनेवाला । छत्*-स्त्री० दे० 'क्षुत्' । छीबर*-स्त्री० छीटकी साड़ी; बेल-बूटेदार कपड़ा। छद्र - वि० दे० 'क्षुद्र'। -घंट-पु०,-घंटिका-स्त्री० दे० छीमी-स्त्री० फली; मटरकी फली। 'क्षुद्रघंटिका'। छीर*-पु० दे० 'क्षीर'; कपड़ेका छोर । -ज-पु० चंद्रमा | छुद्रावली*-स्त्री० दे० 'क्षुद्रटिका' । दही। -धि-पु० क्षीरसागर । -प-पु० दूध पीनेवाला छधा-स्त्री० भूख, क्षुधा। बच्चा।-समुद्र-सागर,-सिंधु-पु० दे० 'क्षीरसागर'। छुधित-वि० भूखा, क्षुधित । छीलक*-पु० छिलका। छुपना-अ० क्रि० दे० 'छिपना'। छीलना-स० क्रि० छिलका उतारना; खरोंचना; खुरचकर छुपाना-स० क्रि० दे० 'छिपाना' । अलग करना; गले आदिमें चुनचुनाहट पैदा करना। छभित*-वि० दे० 'क्षुभित'। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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