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छुभिराना-छेवा छुभिराना*-अ० क्रि० क्षुब्ध होना।
छूना-स० क्रि० किसी चीजसे सट, लग जाना, किसी छुरधार*-स्त्री० छुरेकी धार ।
चीजका हाथ या शरीरके किसी अंगसे स्पर्श करना; छुरा-पु० बड़ा चाकू जो बंद नहीं किया जा सकता और किसीके पास पहुँचना; दौड़ आदिमें (किसीको) पकड़ मांस काटने, आक्रमण करने आदिके काम आता है; बाल लेना; दानके लिए स्पर्श करना (खिचड़ी, सीधा छूना); मूंडनेका औजार, उस्तरा। -(२)बाज़ी-स्त्री० छुरेकी हाथ लगाकर छोड़ देना, थोड़ा ही काममें लाना; बहुत लड़ाई छुरा भोंकनेकी घटनाएँ होना।
हलकी चपत लगाना; पोतना, रंग करना । अ० क्रि० छुरिका-स्त्री० [सं०] छुरी।।
दो वस्तुओंके बीच व्यवधानका अभाव होना, एकका छुरी-स्त्री० [सं०] छोटा छुरा, कमलतराश चाकू । मु०- दूसरीसे सट जाना। कटारी लिये रहना-लड़नेको तैयार रहना।-चलाना,- कना-स० क्रि० घेरना; रोकना; जगह लेना; अक्षर फेरना-बहुत सताना, कष्ट देना; भारी हानि करना। आदि काटना, मिटाना। छुलाना-स० कि० दूसरी चीजसे सटाना, स्पर्श कराना। | छेक-पु० [सं०] पालतू पशु; * छेद कटाव।। छुवाना*-स० क्रि० दे० 'छुलाना'।
छेकानुप्रास-पु० [सं०] अनुप्रास अलंकारका वह भेद जिसमें छुहना*-स० क्रि० चूनेसे पोतना, सफेदी करना; रँगना, एक या अधिक वर्णों की आवृत्ति एक ही बार होती है। पोतना । अ० क्रि० रेंगा, पोता होना ।
छेकापहति-स्त्री० [सं०] अपह्न ति अलंकारका एक भेदछुहाना -अ० क्रि० छोह उत्पन्न होना, स्नेहयुक्त होना; | दूसरेकी अनुमितिका अयथार्थ उक्ति द्वारा खंडन । दया, अनुग्रह करना; रँगा, पोता जाना, सफेदी होना। छेकोक्ति-स्त्री० [सं०] अर्थांतर-गर्भित लोकोक्ति । स० क्रि० रँगवाना, पोतवाना, सफेदी कराना।
छेटा*-स्त्री० रुकावट । छुहारा-पु० खजूरका एक भेद, पिंडखजूर ।
छेड़-स्त्री० छेड़नेकी क्रिया या भाव; उँगलीसे छ, कोंचकर छही -स्त्री० सफेद मिट्टी।
या व्यंग्य, चुटकी द्वारा किसीको चिढ़ानेकी कोशिश छेछा-वि० खाली, रीता; साररहित, खोखला; निर्धन ।। चिढ़ाने, खिजानेवाली बात; नोक-झोंक; एक दूसरेपर मु०-पड़ना*-व्यर्थ जाना, निष्फल होना ।
चो? करना; सुर निकालनेके लिए बाजेको छने दबानेकी ठूछी-वि० स्त्री० दे० ',छा' । स्त्री० दे० 'छुच्छी' । क्रिया। -खानी,-छाड़-स्त्री० छेड़नेवाली बात, काम, छू-पु० फूकने, खासकर मंत्र पढ़कर फूकनेकी आवाज ।। हँसी-ठिठोली, नोक-झोंक । मु०-मंतर होना-तुरत दूर होना, उड़ जाना (पीड़ा छेड़ना-स० कि० हँसाने, चिढ़ानेके लिए उँगली आदिसे आदिका)।
छना, कोचना, व्यंग्य करना, चुटकी लेना; किसीको उत्तेछूछा-वि० दे० ' छा'।
जित करनेके लिए कुछ करना, कहना, छेड़-छाड़ करना; छूट-स्त्री० छूटनेका भाव, छुटकारा; अवकाश; (कुछ करने
आरंभ करना (काम, चर्चा); स्वर निकालने के लिए बाजेकी) आजादी, रोक न होना; लगान, मालगुजारी या को छूना, दबाना। ऋणकी (अंशतः) माफी (रेमिशन); बने, पटे आदिकी वह
छेत्र-पु० दे० 'क्षेत्र। लड़ाई जिसमें चाहे जहाँ वार किया जा सके (लड़ना); | छेद-पु० छोटे मुँहवाला गहरा गडढा, बिल, सूराख; वह अश्लील परिहासकर्तव्यकर्म करने में चक, नागा फकड़- छिद्र जो किसी चीजके आर-पार हो गया हो; दोष; [सं०] बाजी; तलाक।
छेदन खंडन; नाश; कटनेका धाव । छूटना-अ० क्रि० बंधन दूर होना, छुटकारा होना बझी | छेदक-पु० [सं०] छेदनकर्ता, काटनेवाला; भाजक; दे० हुई चीजका खुल जाना; सटी, चिपकी हुई चीजका अलग 'छेदकरेखा' । -रेखा-स्त्री० (सीकेट) वह सरल रेखा होना, निकलना खुलना, रवाना होना ( रेल आदिका); जो वृत्तको दो विंदुओंपर काटती है। चलना वेगसे फेंका, मारा जाना (तीर, बंदक आ०); छेदन-पु०[सं०] काटना, दो टुकड़े करना; दर, निराकरण बिछुड़ना, (से) जुदा, वियुक्त होना; दूर होना, जाता। करना; नाश करना काटने, छाँटनेका अख। रहना (रोग, ज्वर, आदत); धारारूपमें बेगसे निकलना छेदनहार*-वि० काटनेवाला; नाश करनेवाला । (पिचकारी, आतिशबाजी); रसना, निचुड़ना (पानी छ०); | छेदना-सक्रि० छेद, सूराख करना, बेधना; धाव करना। बचना, बाकी रहना; बंधे हुए पशुका निकल भागना | छेदनीय-वि० [सं०] छेदन करने योग्य ।। बंधकसे निकलना; किसी काम या चीजको भूल जाना, छेना-पु० फटे हुए दूधका पानी निचोड़ देनेपर बच रहनेचूक, प्रमाद होना; नौकरी आदिसे अलग किया जानाः | वाला ठोस अंश । स० क्रि० ताड़, खजूरके तनेको रस चलना रुकना, बंद होना (नाड़ी, साँस); मिटना, उड़ना निकालने के लिए छीलना काटना । * अ०क्रि० क्षीण होना। (दाग, रंग)।
छेनी-स्त्री० पत्थर या कोई धातु काटने या उसपर खुदाई छत-स्त्री० छूने, छु जानेका भाव, स्पर्श; स्पर्शजनित अशु. करनेका औजार, टाँकी; अफीम पाछनेकी नहन्नी । चिता, स्पर्शदोष; स्पर्शसे एकका रोग दूसरेको होना, छेम-पु० दे० 'क्षेम' । -करी-स्त्री० सफेद चील । लगना; स्पर्शसे होनेवाले रोगका विष; बुरा प्रभाव; मनहूस | छरी-स्त्री० बकरी । आदमी या भूत-प्रेतकी छाया । -का रोग,-की छेव-पु० वार, चोट; घाव छेद; अंत । बीमारी-वह रोग जो रोगी या उसके मल-मूत्र आदिके | छेवना-स० कि० काटना चिह्नित करना; * फेंकना । स्पर्शसे दूसरेको हो जाय।
छेवा*-पु० दे० 'छेव' ।
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