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टुकड़े टुकड़े कर देना; नष्ट कर देना । चूरण - पु० दे० 'चूर्ण' ।
चूरन - पु० दे० 'चूर्ण'; घीमें भुना हुआ आटा जिसमें चीनी चेटका - स्त्री० श्मशान; चिता । मिली हो; पाचक दवाओं का चूर्ण |
चूरना* - स० क्रि० चूर करना, तोड़ना ।
चूल्हा - पु० मिट्टी, ईंटों आदिकी बनी हुई तीन बाजुओं वाली अँगीठी जिसमें आग जलाकर खाना पकाते हैं । मु० - न्यौतना - सारे घरको भोजनका निमंत्रण देना । - फूँकना - खाना पकाना । ( चूल्हे) में जाय, - में पढ़ेनष्ट हो जाय, भाड़ में जाय (शाप) । - से निकलकर भट्ठी में पड़ना - छोटी मुसीबत से निकलकर बड़ी में फँसना । चूषण - पु० [सं०] चूसना ।
चूष्य - वि० [सं०] जो चूसा जा सके । पु० चूसनेकी चीज । चूसना - स० क्रि० होंठों और जीभके योगसे रसपान करना, रस, सार निचोड़ लेना, खोखला कर देना; धनका हरण करना, शोषण करना ।
चूरमा - पु० बाटी, बाजरेकी मोटी रोटी आदिको मसलकर चेटिकी * - स्त्री० चेटिका । और घी-शकर मिलाकर बनाया हुआ खाद्य । चेटिया * - पु० छात्र । चूरा- पु० किसी वस्तुका चूर्ण रूप, बुरादा, धूल; चिड़वा चेटी-स्त्री० [सं०] दासी । कड़ा, बेरवा । * स्त्री० चोटी; शिखा; मस्तक । - मणि* - मनि* - पु०, स्त्री० दे० 'चूड़ामणि' । चूर्ण-पु० [सं०] चूर;चूरन;गंधद्रव्योंका चूर्ण; अबीर; चूना । चूर्णक - पु० [सं०] सत्तू; सुगंधित चूर्ण; वह गद्य जो सरल आर कर्णकटु वर्णोंसे रहित तथा अल्पसमास हो । चूर्णन - पु० [सं०] चूर्ण करना । चूर्णित - वि० [सं०] चूर किया हुआ; नष्ट, ध्वस्त । चूल - स्त्री० लकड़ी, बॉस आदिका पतला सिरा जो दूसरी लकड़ी, बाँस आदिके छेद में ठोका जाय; : पुराने ढंगके किवाड़का नीचे ऊपरका गोल लंबोतरा भाग जिसपर वह घूमा करता है । पु० [सं०] बाल; चोटी । चूलिका - स्त्री० [सं०] नेपथ्यसे किसी घटना के होनेकी सूचना (ना० ) ।
चूहड़ा - पु० भंगी; डोम ।
चूहर, चूहरा - पु० दे० 'चूहड़ा' ।
चूहा - पु० घरों, खेतों में बिल बनाकर रहनेवाला एक चतुपद जंतु जिसके दाँत बहुत तेज होते हैं, मूषक। - दंतीस्त्री० एक तरहकी पहुँची । -दान-पु० चूहे फँसानेका खटकेदार पिजड़ा । ( चूहे ) दानी -स्त्री० दे० 'चूहादान' । -स्त्री० चिड़ियोंकी बोली । - च- स्त्री० चीं चीं; बकबक । - पैं - स्त्री० चीं-चपड़; बकवाद ।
च-पु० बरसात में उगने वाला एक साग ।
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मिलानेवाला चतुर सेवकः चसका; शीघ्रता । चेटकनी * - स्त्री० चेटिका ।
चेटकी - पु० इंद्रजाल करनेवाला, बाजीगर । चेटिका - स्त्री० [सं०] दासी, लौंडी ।
चूरण- चेहरा
चेत (स्) - पु० [सं०] होश, संज्ञा; याद; ज्ञान; चित्त, मन । चेतक - वि० [सं०] चेत करानेवाला; चेतन । पु० (हिप) वह अधिकारी जो संसद या विधान सभा में अपने दल के सदस्यों द्वारा 'सभा' में अनुशासन पालन कराने, उनकी उपस्थिति ठीक रखने, उन्हें आवश्यक सूचना देने, उन्हें वोट देनेके लिए बुलाने आदिकी व्यवस्था करता है, सचेतक । चेतन - पु० [सं०] आत्मा, जीव; परमेश्वर; मनुष्य; प्राणी; मन । वि० प्राणयुक्त, चैतन्य - विशिष्ट । चेतना - अ०क्रि० होश में आना; बुद्धि-विवेक से काम लेना, सावधान होना । स०क्रि० सोचना, बिचारना (भला चे०, आगम चे०) । स्त्री० [सं०] चैतन्य; ज्ञान; होश; याद; बुद्धि; चेत ; जीवनी शक्ति, जीवन । चेतवनि* - स्त्री० चितवन; चितावनी । चेतावनी- स्त्री० सावधान करने, किसी हानिकर कार्यसे रोकने के लिए कही गयी बात, तंबीह, खतरेकी पूर्वसूचना | चेतिका* - स्त्री० चिता |
वेदि - पु० [सं०] एक प्राचीन जनपद; वहाँ के निवासी; वहाँका राजा । - पति, - राज - पु० शिशुपाल | चेप-पु० गाढ़ा, लसदार रसः लासा; * उत्साह । - दारवि० चेपवाला, लसदार ।
चेर* - पु० दास, सेवक । [स्त्री० 'चेरि', 'चेरी' ।] चेरा* - पु० दास, सेवक, चेला, शिष्य । चेराई -स्त्री० गुलामी, चाकरी; शागिदीं । चेल - पु० [सं०] कपड़ा, वस्त्र । चेल का ई* - स्त्री० दे० 'चेलहाई' |
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चेलहाई+ - स्त्री० चेलोंका समूह; चेला बनानेका व्यवसाय; चेलोंके यहाँ घूमकर भेंट, पूजा लेना ।
चेला- पु० शिष्य, शागिर्द, दीक्षा, गुरुमंत्र लेनेवाला । स्त्री० चेल्हवा मछली । मु० - मूँड़ना - चेला बनाना । चेलिन, चेली - स्त्री० गुरुदीक्षा प्राप्त करनेवाली स्त्री चेल्हवा- स्त्री० एक छोटी मछली ।
चेष्टा - स्त्री० [सं०] गति, हरकत; क्रियासाधक कायिक व्यापार; मनका भाव बतानेवाली अंगोंकी गति, भावभंगी; प्रयत्न, कोशिश ।
टुआ * - पु० चिड़ियाका बच्चा ।
चेक - पु० [अ०] किसी बंकके नाम किसीको रुपये देनेका | चेहरा- पु० [फा०] सिरका सामनेका, माथेसे लगाकर ठुड्डी
लिखित आदेश; चारखाना। - बुक-स्त्री० चेक-बही । चेचक स्त्री० एक छुतहा रोग जिसमें ज्वरके साथ सारी देहमें दाने निकल आते हैं, शीतला । चेजा* - पु० छेद, सूराख ।
तकका भाग, मुखमंडल; सामनेका रुख, आगा; किसी देवदानवकी धातु, मिट्टी आदिकी मुखाकृति; रजिस्टर आदिमें लिखी जानेवाली हुलिया । -मुहरा - पु० सूरत शकल । मु०-उतरना - चेहरेसे सुस्ती, उदासी, गहरी चिंता आदि प्रकट होना, चेहरेपर तेज, प्रफुल्लता न रहना । - पीला हो जाना- रोग, भय आदिके कारण चेहरेपर पीलेपनकी झलक आ जाना। - बिगाडना
चेट - पु० [सं०] दास, सेवकः पति; नायक और नायिकाको मिलानेवाला; भाँड़; एक मछली ।
चेटक - पु०जादू; [सं०] दास; उपपति; नायकको नायिकासे