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चुवाना-चूर
२५२ चुवाना-१०क्रि० दे० 'चुआना'।।
की चोटी; पहाड़की चोटी; मस्तक । पु० कलाई पर पहननेचुसकी-स्त्री० तरल पदार्थको होठोंसे हुक्केके कशकी तरह का एक गहना, कड़ा, कंकण, कुआँ चूडाकरण संस्कार । खींचकर पीना हुक्केका कशा घूट ।
-करण,-कर्म(न्)-पुहिंदू बच्चेका पहली बार सिर चुसना-अ० क्रि० होठोंसे पिया जाना; चूसा जाना; निचु- मुंडानेका संस्कार, मुंडन ।-मणि-पुल्सीसफूल; घुघची। इना खोखला, सारहीन, धनहीन हो जाना ।
वि० सर्वश्रेष्ठ, अग्रगण्य ।-रत्न-पु० सीसफूल । चुसनी-स्त्री० एक खिलौना जिसे बच्चे मुंहमें डालकर चूसते | चूड़ा-पु० चिड़वा।। है। बच्चोंको दूध पिलानेकी शीशी।
चूड़ी-स्त्री० काँच, लाख, सोने, हाथी दाँत आदिका बना चुसवाना-स० क्रि० दे० 'चुसाना।
वृत्ताकार आभूपण जिसे स्त्रियाँ कलाईपर पहनती हैं। चूड़ीचुसाई-स्त्री० चूसनेकी क्रिया या भाव।।
की शकलकी चीज; पुरजा; ग्रामोफोनका रेकर्ड छड़ चुसाना-स० क्रि० चूसनेका काम दुसरेसे कराना । आदिके सिरेपर बनायी जानेवाली चुड़ीकी शकलकी गहरी चुस्त-वि० [फा०] तेज, फुरतीला; तंग, कसा हुआ; दृढ़, | रेखाएँ। -दार-वि० जिसमें चड़ियाँ हों; जिसमें पासमजबूत; ठीक, उपयुक्त फबता हुआ। -(व)चालाक- पास कई लकीरें हों । पु० तंग और लंबी मोहरीका वि० तेज, फुरतीला और चतुर ।
पाजामा जिसे पहननेपर चूड़ियों जैसी सिलवटें पड़ जाती चस्ती-स्त्री० [फा०] तेजी, फुरती; तंग होना, कसाब हैं । मु० (चूड़ियाँ) ठंढी करना, तोड़ना-स्त्रीके विधवा मजबूती।
होनेपर चूड़ियाँ तोड़ देना। -पहनना-जनाना मेस चुहँटी, चुहटी*-स्त्री० चुटकी ।
बनाना, स्त्री बनना :( व्यं० ); विधवाका फिरसे व्याह चुहचुहा-वि० दे० 'चुहचुहाता'।
करना या किसीके घर बैठ जाना। -पहनाना-विधवासे चुहचुहाता-वि० रसीला, मजेदार; फड़कता हुआ। व्याह करना। चुहचुहाना-अ० क्रि० चिड़ियोंका बोलना, चहचहाना; चूत-स्त्री० भग, योनि । पु० [सं०] आमका पेड़ । रस टपकना; भड़कीला लगना ।
चूतड़-पु० कमरके नीचे और जाँघोंके ऊपर पीठकी ओरका चहचही-स्त्री० एक छोटी चंचल चिड़िया जिसकी बोली |
मांसल, गुलगुला भाग, नितंव । मु०-दिखाना-भाग बड़ी प्यारी होती है।
जाना ।-पीटना,-बजाना-बहुत खुश होना । चुहटना*-स० कि० रौंदना, कुचलना।
| चूतिया-वि० मूर्ख, बुद्ध ।-पंथी-स्त्री० बेसमझी, मूर्खता, चहल-स्त्री० हँसी, ठिठोली, मजाक, विनोद । -बाज़ वि० हँसी-ठिठोली करनेवाला, विनोदी। -बाज़ी-स्त्री०चून-पु० आटा, चुगने या खानेकी वस्तु-'चोंच दई जिन ठिठोली।
चूनहि दैहैं'-सुंद०; एक तरहका थूहड़; * दे० 'चूना' । चुहिया-स्त्री० मादा चूहा; छोटा चूहा ।
चूनर, चूनरी-स्त्री० दे० 'चुनरी'। चुहटना*-अ०क्रि० चिमटना । वि० चिमटनेवाला। चूना-अ०क्रि० टपकना, बूंद-बूंद करके नीचे गिरना पके चुटनी-वि० स्त्री० चिमटनेवाली । स्त्री० घुघची। फल आदिका झड़ पड़ना; * गर्भपात होना। वि० च-पु० छोटी चिड़िया या चिड़ियाके बच्चेकी बोली; 'चूंकी चूनेवाला। पु० पत्थर, कंकड़, सीप आदिको फूंककर आवाज । -चूँ-पु० चिड़ियोंकी बोली । 'ची-चौँ', 'चूँ. प्रस्तुत किया जानेवाला तीक्ष्ण क्षार जो पानमें खाने और चूँ की आवाज; एक खिलौना जिसे दबानेसे 'चूं-धूं की पलस्तर, सफेदी करने आदिके काम आता है । -दानीआवाज निकलती है। म मुरब्बा-तरह-तरह- स्त्री० चुनीटी । मु०-फेरना-सफेदी करना । -लगाना की बेमेल चीजोंका योग । -न करना-तनिक भी उज्र, __-बेवकूफ बनाना; नीचा दिखाना; हानि पहुँचाना । एतराज न करना।
चूनी-स्त्री० अन्न, खासकर चने आदिकी दालके छोटे-छोटे चूंकि-अ० इसलिए कि, यतः, क्योंकि ।
टुकड़े, चुन्नी, अन्नकण । -भूसी-स्त्री० चुन्नी और भूसी चूच*-स्त्री० चोंच।
या चोकर; मोटा-झोटा अन्न । चूंदरी*-स्त्री० दे० 'चुनरी' ।
चूपरी*-स्त्री० घी लगी हुई रोटी। चक-स्त्री० भूल, गलती, खता; अपराध; छल, धोखा । पु० चूमना-स० क्रि० स्नेह प्रकाशके लिए होंठोसे किसीनीबूका सुखाया हुभा रस । बि० बहुत खट्टा।
(प्रियजन)के होठों, गालों आदिका स्पर्श करना, दबाना; चूकना-अ० क्रि० भूल, गलती करना; खोना, गँवाना सम्मानप्रकाशके लिए किसी(गुरुजन)के हाथ या पाँवको (अवसर); लक्ष्यपर न लगना, खता होना (निशाना); कोई होंठोंसे छूना; चुंबन करना, वोसा लेना विवाह या बात करने, कहनेका अवसर आनेपर उसे न करना, न उपनयनमें कुटुंबकी स्त्रियों, लड़कियोंका वर या ब्रह्मचारीके कहना; करने कहनेसे बाज रहना (वह कब चूकनेवाला है)। कंधे, माथे आदिको दूब, चावलसे छूना । चूची-स्त्री० स्तनका अग्रभाग, चूचुका स्तन ।
चूमा-पु० चूमनेकी क्रिया, चुंबन ।-चाटी-स्त्री०चूमनाचूचुक, चूचूक-पु० [सं०] स्तनका अग्रभाग ।
चाटना; चुंबन-आलिंगन । . चूजा-पु० [फा०] मुरगीका बच्चा ।
| चूर-पु० किसी ठोस वस्तुका कूटने पीसने या रेतनेसे बहुत चूडांत-पु० [सं०] चरम सीमा । अ० बहुत ज्यादा । वि० बारीक टुकड़ोंमें हुआ रूपांतर, चूर्ण, धूल, चूरा । वि० - चरम सीमापर पहुँचा हुआ।
डूबा हुआ, निमग्न; बेसुध, बदमस्त (नशेमें चूर); शिथिल, घूडा-स्त्री० [सं०] चोटी, शिखा; मोर या मुरगेके सिरपर- [ पस्त (थककर चूर होना)। मु०-चूर करना-तोड़-फोड़कर
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