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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२५ घड़ी-घरघड़ी-स्त्री० ६० पल या २४ मिनटका कालमान, घटी, घनिष्ठता-स्त्री० [सं०] घनिष्ठ होनेका भाव; गहरी दोस्ती। दंड; समय, वक्त; अवसर, घड़ी, घंटा बतानेवाला यंत्र ।। घनीभूत-वि० [सं०] गाढ़ा; ठोस बना हुआ; केंद्रीभूत । -घड़ी-अ० बार-बार; थोड़ी-थोड़ी देर बाद । -भर- -खाद्य-पु० (कंडेंस्ट फूट) दबाकर छोटा या गाढ़ा अ० थोड़ी देर, क्षणभर । -साज-पु० घड़ीकी सफाई, किया हुआ खाद्य-पदार्थ । मरम्मत करनेवाला । -साज़ी-स्त्री० घड़ीसाजका काम, | धनेरा*-वि० बहुत, अतिशय, बहुसंख्यक । पेशा। मु. (घड़ियाँ)गिनना-बड़ी उत्कंठाके साथ घपची-स्त्री० दोनों हाथोंसे कसकर पकड़ लेना। प्रतीक्षा करना; आसन्नमरण होना । घड़ी टलना- घपला-पु० गड़बड़, गोलमाल । किसी बातका नियत काल, मुहूर्त टलना ।-में घड़ियाल घपुआ, घप्पू-वि० मूर्ख, उल्लू । है-जिंदगीका भरोसा नहीं, छनभरमें न जाने क्या घबड़ाना-अ० क्रि० स० क्रि० दे० 'घबराना। हो जाय। घबड़ाहट-स्त्री० दे० 'घबराहट' । घड़ीदिआ-पु० मृत व्यक्तिके घर मृत्युके स्थानपर दस | घबराना-अ० क्रि० अधीर होना; भय, चितासे अस्थिर, दिनोंतक रखा जानेवाला घड़ा और दिया। उद्विग्न होना; बुद्धिसे काम न लेना; हक्काबक्का होना; घडीची-स्त्री० घड़ा रखनेका चबूतरा या तिपाई । उतावलीमें होना । स० क्रि० अस्थिर, अधीर करना; परेघण*-पु० दे० 'धन'। शान करना; रवाना; हड़बड़ीमें डालना। घतिया-पु० घाती, धोखा देनेवाला । घबराहट-स्त्री० अधीरता, उद्विग्नता; परेशानी; हड़बड़ी। घतियाना-स० कि० घातमें लाना; छिपाना । घमंका-पु० चूसा, मुक्का । घन-वि० [सं०] घना, ठम; गझिन; ठोस; निविड़; दृढ़ घमंड-पु० गर्व, दर्प; शेखी; भरोसा, सहारा। गंभीर; निरंतर; पूर्ण; विशाल । पु० मेघ; लुहारका घमंडी-वि० घमंड करनेवाला, मगरूर शेखीबाज । . बड़ा हथौड़ा; किसी अंकको उसी अंकसे दो बार गुणा घमक-स्त्री० घुसा इत्यादिके प्रहारका शब्द; चोट । करनेसे उपलब्ध गुणनफल (क्यूब); लंबाई-चौड़ाई-मोटाई, घमकना-स० कि० सा मारना। * अ० क्रि० गरजना, विस्तार; दृढ़ता; घनत्व; धातुका बना झाँझ-करताल जैसा घहराना। एक बाज; घंटा; शरीर; * कपूर । -घटा-स्त्री० [हिं०] | घमका-पु० दे० 'घमाका'; ऊमस-'होत घमका विषम बादलोंका जमाव, गहरी काली घटा । -घोर-वि० बहुत | यों न पातु खरकतु है'-सेना। घना; जबर्दस्त; गहरा डरावना। पु० डरावनी गड़गड़ाहट, | घमखोरी-वि० घाम सह सकनेवाला । आवाज।-चक्कर-वि० [हिं०] मूर्ख, अस्थिरमति, आवारा- | घमघमाना-स० क्रि० लगातार से मारना । अ० क्रि० गर्द । पु०एक आतिशबाजी, चरखी; मूर्ख व्यक्ति ।-नाद- 'घम-धम' शब्द होना। पु० मेघगर्जन मेघनाद । -प्रिय-पु० मोर । -फल- घमर-पु० नगाड़े आदिकी आवाज, गंभीर ध्वनि। पु० लंबाई-चौड़ाई-मोटाईका गुणनफल । -बान-पु० घमरा-पु. मैंगरा, भुंगराज । [हिं०] बादल फैला देनेवाला बाण ।-बेल*-वि० जिस- | घमस-स्त्री० दे० 'घमसा'। पर घने बेल-बूटे बने हों। -मूल-पु० धन राशिका | घमसा-पु० ऊमस घनापन, आधिक्य । मूल अंक। -रव-पु० मेघगर्जन। -वर्धनीय-वि० घमसान-पु० घोर युद्ध, भयानकमारकाट (होना मचना)। (मैलियेबिल) (घनसे) पीटनेपर जो चपटा होकर बढ़ | वि० घोर । -की लड़ाई-घोर युद्ध, विकट संग्राम । जाय ।-वर्धनीयता-स्त्री० मैलियेबिलिटी) किसी ठोसका | धमाका-पु० घूसे या और किसी भारी आपातका शब्द । पीटनेपर चपटा होकर बढ़ जानेका गुण । -श्याम-वि० घमाघम-स्त्री० 'घम-घम'की आवाज घमाका । अ० 'घमजलभरे बादल जैसा काला । पु० कालो बादल; कृष्ण । | घम'के साथ । -सार-पु० जल; कपूर । घमानाt-अ० क्रि० धूप खाना; धूपकी गरमीसे पकना, घनक*-स्त्री० गर्जन, गड़गड़ाहट; चोट, प्रहार । पीला हो जाना। घनकना-अ० क्रि० गरजना, आवाज करना । घमायल-वि० घामसे पका हुआ घाम खाया हुआ। घनकारा-वि० ऊँची आवाज करनेवाला, गरजनेवाला । | घमासान-पु० दे० 'घमसान' । घनघनाना-अक्रि० घन-धन की आवाजहोना, निकलना। घमीला-वि० घाम खाया हुआ; घामसे मरझाया हआ। घनघनाहट-स्त्री० 'धनधन'की आवाज । घमोय-पु० भड़माँड़, सत्यानासी। घनता-स्त्री०, घनत्व-पु० [सं०] घनापन; ठोसपना | घमोरी-स्त्री० अम्होरी, पसीना मरनेसे उत्पन्न फंसियाँ। दृढ़ता; लंबाई, चौड़ाई और मोटाईका भाव । घर-पु० [सं०] आदमीके रहनेकी जगह, आवास, दीवारसे घनांत-पु० [सं०] शरद् ऋतु । घिरा और छाया हुआ स्थान, मकान; [हिं०] कमरा घना-वि० गुजान, जिसके अवयव पास-पास सटे हों (जंगल, स्थान, ठिकाना; पैतृक वासस्थान; स्वदेश, वतन; कुल, बाल); रुस, गाढ़ा; * बहुत अधिक, अतिशय; दृढ़ । * पु० घराना कार्यालय (तारघर); उत्पत्तिस्थान; जहाँ किसी जंगल, पेड़ोंका समूह । चीजकी बहुतायत हो; वह स्थान जहाँ घरका-सा आराम, घनाकर, घनागम-पु० [सं०] वर्षा ऋतु । सुपास मिले; कोठा, खाना (चौसर, संदूक, शतरंज आदि घनाक्षरी-स्त्री० दंडक छंद, कवित्त । का); म्यान, कोश; जन्मकुंडली में ग्रहविशेषका स्थानः घनिष्ठ-वि० [सं०] बहुत धना; गाढ़ा; गहरा; अंतरंग। । चौखटा, फ्रेम, किसी चीजके जड़ने, बैठानेका स्थानः टेट For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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