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गुदड़ी-गुर
११४ मनौती मानते हैं।
गुपाल*-पु० दे० 'गोपाल' । गुदड़ी-स्त्री० चीथड़ों, रंग-बिरंगे टुकड़ोंको सीकर बनाया । गुपुत*-वि० दे० 'गुप्त' । हुआ ओढना, बिछावन, कंथा; टूटी फूटी चीजोंका ढेर; गप्त-वि० [सं०] रक्षितः छिपा या छिपाया हुआ; अदृश्य: गुदड़ी बाजार । -बाज़ार-पु० फटी-पुरानी, टूटी-फूटी | गूढः संपृक्त, संयुक्त । पु० वैश्योंका उपनाम या वर्णसूचक चीजोंका बाजार । मु०-का लाल-साधारण घरमें जनमा उपाधि; भारतका एक प्राचीन राजवंश । -चर-पु० हुआ असाधारण गुणी।
जासूस, छिपकर टोह लेनेवाला। -दान-पु० छिपाकर गुदनहारी-स्त्री० गोदनेवाली।
दिया जानेवाला दान; वह दान जिसे दाताके सिवा दूसरा गुदना-अ० क्रि० गड़ना, चुभना । पु० गोदना ।
न जाने ।-मार-स्त्री० [हिं०] ऐसी मार जिसमें भारनेगुदर*-पु० राजदरबार में हाजिरी ।
का कोई चिह्न ऊपर न देख पड़े। गुदरना*-अ० कित्यागना, अलग होना निवेदन करना, | गुप्ता-स्त्री० [सं०] सुरति छिपानेवाली नायिका रखेली। गुजारिश करना; व्यतीत होना, गुजरना।
गुप्ति-स्त्री० [सं०] ढकने, छिपानेकी क्रिया, गोपन; रक्षण; गुदराना*-स० क्रि० पेश करना; निवेदन करना-'निकट | गड्ढा; गुफा; मलद्वार; कारागार । विभीषण आय तुलाने, कपिपतिसौँ तबही गुदराने'-राम गुप्ती-स्त्री. वह डंडा या छड़ी जिसके भीतर तलवार जैसा गुदरैन-स्त्री० पाठ याद होनेकी परीक्षा देना; परीक्षा। हथियार छिपा हो। गुदवाना-स० कि. गुदाना।
गुफा-स्त्री०पहाड़ या जमीन में बना लंबागढ़ा, खोह, गुहा। गुदांकुर-पु० [सं०] बवासीर ।
गुफ्तगू-स्त्री० [फा०] बातचीत, बोलचाल | गुदा-स्त्री० [सं०] मलद्वार, गुद ।
गुबरैला-पु० गोबर, मैला आदि खानेवाला एक कीड़ा। गदाज़-वि [10] नरम, गुदगुदा; (समासमें) पिघलानेवाला गुबार-पु० [अ०] धूल, गर्द; मनमें संचित दुःख, शिका(गुदगुदाज)।
यत, मैल । मु०-निकालना-मनमें भरी हुई बातें कह गुदाना-स० क्रि० ('गोदना'का प्रर०), गुदवाना । डालना, भड़ास निकालना। गुदारी-वि० गूदेदार, मांसल; गुदाज ।
गुबिंद*-पु० दे० 'गोविंद'। गुदारना*-स० क्रि० सुनाना; पढ़ना-'मुलना तहाँ। गुब्बारा-पु० कागजका बना हुआ गोल थैला जो नीचेसे निवाज गुदाएँ'- छत्र० ।
खुला रहता है और तारमें चीथड़े लपेटकर जला देनेसे गुदारा*-पु० नावपर नदी पार होना, गुजारा दे० हवामें उड़ता है। रेशम आदिका बना और हवासे हलकी 'गुजारा । वि० गूदेदार ।
गैससे भरा हुआ थैला जो आकाशमें उड़ सकता है, बैलून; गुद्दी*-स्त्री० मग्ज, मींगी।
गोलेकी शक्लकी एक आतिशबाजी। गन-पु० दे० 'गुण' ।-गाहक-वि०,पु०दे० गुणग्राहक'। गुम-वि० [फा०] खोया हुआ, गायब, लुप्त, लापता ।
-गौरि-स्त्री० गौरी जैसी सौभाग्यवती, पतिव्रता स्त्री -नाम-वि० जिसका नाम प्रसिद्ध न हो; बिना नामका स्त्रियोंका एक व्रत । -वंत,-वान-वि० गुणी, गुणवान् । (पत्र, लेख)। -राह-वि० जो रास्ता भूल गया हो; गुनगुना-वि० दे० 'कुनकुना'; नाकसे बोलनेवाला। पथभ्रष्ट । -सुम-वि० चुप और निश्चेष्ट, स्तब्ध (होना)। गनगनाना-अ० कि. नाकसे बोलना; बहुत धीमे स्वरभे, | गुमटा-पु० चोट आदिके कारण होनेवाली माथेपरकी गोल अस्पष्ट शब्दोच्चारण करते हुए गाना।
सूजन; कपासका एक कीड़ा। गुनना-स० क्रि० विचार करना; * वर्णन करना; गाना।। गुमटी-स्त्री० मकानमें सबसे ऊपर उठी हुई कमरे या सीढ़ी गुनहगार-वि० [फा०] गुनाहगार, दोषी, अपराधी। की छत चौकीदारके लिए रेलवे लाइनके किनारे बनी हुई गुनही*-वि० गुनहगार ।
छोटी कोठरी। गुना-वि० गुणित (यह शब्द संख्यावाचक शब्दोंके अंतमें गुमना -अ० क्रि० गुम होना,खो जाना। लगकर विशेष्य शब्दकी संख्या या मात्रामें उतनी बारका | गुमर-पु० घमंड, द्वप, गुबार; कानाफूसी । अर्थ उत्पन्न करता है, जैसे तिगुना, चौगुना इत्यादि)। गुमान-पु० [फा०] संदेह, शक; अनुमान; गर्व, घमंड; गुनावन*-पु० विचार।
* बदगुमानी, कुधारणा। गुनाह-पु० [फा०] पाप, दुष्कर्म दोष, अपराध । -गार- गुमाना*-स० कि० खो देना, गँवाना। वि० दोषी, अपराधी; जिसने पाप किया हो।
गुमानी-वि० [फा०] गुमान करनेवाला, घमंडी। गुनाही*-वि० गुनाहगार ।
गुमाश्ता-पु० [फा०] किसी व्यापारी या कोठीकी ओरसे गुनिया--पु० दे० 'गोनिया', विचार करनेवाला । वि० माल खरीदने-बेचनेवाला व्यक्ति, एजेंट । गुणी।
गमिटना*-अ० क्रि० लिपटना, लपेटा जाना। गुनियाला*-वि० गुणोंवाला ।
गुमेटना*-स० क्रि० लपेटना । गुनी-वि० गुणोंवाला । पु०चतुर मनुष्या झाड़-फूंक करने- गुम्मट-पु० दे० 'गुंबद'। वाला।
गुरंब(बा) -पु० दे० 'गुडूंबा'। गुनीला*-वि० गुणोंवाला, गुणी ।
गुरंभर-पु० मीठे आमका पेड़ । गुपचुप-अ० छिपकर, गुप्त रीतिसे । पु० एक मिठाई, गुर-पु० हिसाब निकालनेका संक्षिप्त और पक्का कायदा गुलाबजामुन; लड़कोंका एक खेल; एक खिलौना । कार्य साधनेकी युक्ति, उपाय; * दे० 'गुरु'; दे० 'गुल';
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