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गुडल - वि० गाँठ, गुठलीवाला; कठिन; जड़, मूर्ख । पु० रुई आदिके बनेसे बनी गाँठ; गिलटी । गुडो-स्त्री० मोटी गाँठ; टखना ।
गुठलाना - अ० वि० कुंद, भोथरा हो जाना; खदाईके असर से दाँतों का काटने, चबाने लायक न रहना । गुठली - स्त्री० ( आम, जामुन आदि) फलका कड़ा और कुछ बड़ा बीज, कुसली; गिलटी; गुलधी ।
गुडंबा- ५० गुड़की चाशनी में पकाया हुआ कच्चा आम । गुड - पु० [सं०] ५० दे० 'गुड' | गुड़-पु० ईख या ताड़ खजूर के रसको गाढ़ा करके बनायी हुई बट्टी या भेली । - धनिया, - धानी - स्त्री० भुने हुए गेहूँ को गुड़में पागकर बनाया हुआ लड्डू | - पाक - पु० गुड़की चाशनी में डालकर औषध बनानेकी प्रक्रिया; उस प्रक्रियासे बनी औषध । मु० - खामा, गुलगुलेसे परहेज करना - बड़ी बुराई करना, छोटीसे बचना | - दिखाकर ढेला मारना - लाभका लोभ दिखाकर कष्ट देनेवाला काम करना । -भरा हँसिया - टेढ़ा, साँप - छछूंदरकी गतिवाला काम से मरे तो ज़हर क्यों दे - नरमी से काम चले तो कड़ाई क्यों करे ? गुड़गुड़- पु० हुक्का पीने या आँतोंगें वायुके संचार से होनेवाला शब्द |
गुड़गुड़ाना-अ० क्रि० गुड़गुड़की आवाज होना, निकलना । स० क्रि० हुक्का पीना । गुड़गुड़ाहट - स्त्री० गुड़गुड़की आवाज; वैसी आवाज होना । गुड़गुड़ी - स्त्री० काठकी निगालीवाला छोटा हुक्का । गुड़हर (ल) - पु० अड़हुलका फूल, जपाकुसुम, एक छोटा पेड़ ।
गुडाकू ( खू) - पु० वह तंबाकू जिसमें गुड़ मिला हो । गुडाकेश- पु० [सं०] अर्जुन; शिव ।
गुड़िया - स्त्री० कपड़े की बनी हुई पुतली । मु० - सँवारनाअपनी हैसियत के मुताबिक लड़की की शादी कर देना । गुड़ियों का खेल - बहुत आसान काम ।
गुड़ी* - स्त्री० गुड्डी; गाँठ, कीना ।
गुड़ीort - वि० गुड़ जैसा मीठा ('गुरी । ' - बुंदेल) । गुडुच - स्त्री० एक बेल जिसका डंठल दवाके काम आता है, गुडूची, गिलोय |
गुडुवा - पु० गुड्डा |
गुडूची - स्त्री० [सं०] गुडुच, गुरुच, गिलोय |
गुड्डा- पु० बड़ी गुड़िया, नर गुड़िया; बड़ी पतंग | मु०बाँधना - भाटका किसी कंजूस जजमानको बदनाम करनेके लिए बाँसके सिरे पर उसका पुतला बाँधना और घूम घूमकर उसकी निंदा करना ।
गुड्डी - स्त्री० पतंग; एक छोटा हुक्का; घुटनेकी हड्डी । गुढ़ - पु० छिपने, वचनेका स्थान । गुढ़ना * - अ० क्रि० छिपना ।
गुण - पु० [सं०] जाति-स्वभाव, धर्म, सद्गुण; निपुणता, कमाल; प्रभाव, असरः लाभः प्रशंसनीय बात; विशेषता; प्रकृतिका धर्म - सत्त्व, रज, तमः वीणा आदिका तार; धागा डोरी, प्रत्यंचा; गौण वस्तु; नाव खींचनेकी डोरी; स्नायु; ज्ञानेंद्रियका विषय बत्ती; गुणा, आवृत्तिः ए, ओ
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गुल-गुडिया और अर् जो क्रमशः अ +इ, अ + उ तथा अ + ऋ के स्थानपर होते हैं (व्या० ) ; तीनकी संख्या । कथन - पु० गुणवर्णन, गुणगान शृंगार रस में नायककी दस दशाओंमेंसे एक । - कारक, -कारी (रिन् ) - वि० असर करनेवाला; लाभ करनेवाला । -कीर्तन- पु० गुणगान । - गान - पु० बखान, गुण-वर्णन | ग्राहक, -ग्राही ( हिन्) - वि०, पु० गुण समझने, गुणका आदर करनेवाला, कद्रदान । ग्राम- पु० गुणोंका समूह । वि० गुणनिधान । - ज्ञ - वि० गुण जानने, समझनेवाला, कद्रदान | -त्रय - त्रितय-पु० प्रकृतिके तीन गुणसत्त्व, रज, तम । - दोष-पु० गुण और दोष, भलाईबुराई । - निधि - वि० गुणों का खजाना। -वाचकपु० गुणद्योतक शब्द, विशेषण | वि० गुणका बोध करानेवाला ।
गुणक - पु० [सं०] वह अंक जिससे गुणा करें । गुणन - पु० [सं०] गुणा करना । - फल - पु० एक अंकको दूसरे से गुणन करने से उपलब्ध अंक । गुणनीय - वि० [सं०] गुणन करने योग्य | गुणवान् (वत्) - वि० [सं०] गुणशाली, गुणी । गुणाकर- वि० [सं०] गुणोंकी खान, गुणराशि । गुणाढ्य - वि० [सं०] बहुतसे अच्छे गुणोंवाला, गुणी । गुणातीत - वि० [सं०] प्रकृतिके तीनों गुणोंसे अलिप्त, परे । पु० परमेश्वर ।
गुणानुवाद - पु० [सं०] गुणगान, गुणकथन | गुणालय - वि० [सं०] बहुत से गुणोंवाला । | गुणित - वि० [सं०] जिसका गुणन किया गया हो; राशीकृत। गुणी (नि) - वि० [सं०] गुणयुक्तः कोई हुनर, कला जाननेवाला ।
गुणीभूत- वि० [सं०] मुख्य अर्थसे रहित; गौण बनाया हुआ । - व्यंग्य - पु० काव्यका वह भेद जिसमें व्यंग्यार्थ वाच्यार्थसे अधिक चमत्कारवाला न हो । गुण्य- पु० [सं०] वह अंक जिसे गुणा करना हो । गुत्थमगुत्था - पु० गुथ जानेका भाव, भिड़ंत । गुत्थी - स्त्री० तागे आदिमें उलझनेसे पड़ी हुई गाँठ, उलझन । गुथना - अ०क्रि० उलझना; लिपटना; भिड़ना; गूँथा जान। । - कर बनाया हुआ । गुद-स्त्री० [सं०] गुदा, मलद्वार। - कील, - कीलक - पु० बवासीर । - पाक-पु० मलद्वारका पक जाना । - भ्रंश - पु० काँच निकलना ।
गुदकार (रा) - वि० गूदेदार; भरा, फूला हुआ; गुदगुदा । गुदगुदा - वि० भरा हुआ; नरम, गुलगुला ! गुदगुदाना -स० क्रि० बगल, तलवे आदिको उँगलियोंसे इस तरह सहलाना कि सुरसुराहट या सुखद खुजली मालूम हो; छेड़ना; उभारना ।
गुदगुदाहट - स्त्री० गुदगुदी । गुदगुदी स्त्री० गुदगुदानेसे पैदा होनेवाली सुखद सुरसुराहट या हँसानेवाली खुजली; चाव, चुल ।. गुड़िया - पु० जो गुदड़ी ओढ़े या चीथड़े लपेटे हो; खेमा आदिभार देनेवाला; गूदड़ बेचनेवाला । - पीर - पु० गाँव के पासका वह वृक्ष जिसमें चीथड़े लपेटकर गँवार
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