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खिजमति-खींचा-खींची खिजमति*-स्त्री० दे० 'खिदमत' । -गार-पु० दे० फबना प्रसन्न, प्रफुल्ल होना; भला लगना; पक,भुनकर 'खिदमतगार'।
अलग-अलग हो जाना (चावल, खीले), फट जाना। खिजलाना-अ० कि० चिढ़ना । स० क्रि० चिढ़ाना। खिलवत-स्त्री० [अ०] एकांत खाली, जनशून्य स्थान । खिजाँ-पु०, स्त्री० [फा०] पतझड़की ऋतु हास; हासकाल; | -ख़ाना-पु० अकेले में मिलने, गुप्त मंत्रणाका स्थान । बुढ़ापा।
खिलवाड़-पु० दे० 'खेलवाड़। खिजाना-स० कि० दे० 'खिझाना' ।
| खिलवाना-स० क्रि० दूसरेसे परसवाकर, दूसरेके द्वारा खिजाब-पु० [अ०] सफेद बालोंको स्याह कर देनेवाली किसीको भोजन कराना प्रफुल्ल कराना। दवा, केशकल्प (करना, लगाना)।
खिलवार*-पु० दे० 'खिलवाद'; खेलाड़ी। खिझ*-स्त्री० दे० 'खीज'।।
खिलाई-स्त्री० खिलानेका काम; खिलानेका नेग (खिचड़ी खिझना-अ० क्रि० दे० 'खीजना'।
| खिलाई); बच्चा खेलानेपर नियुक्त मजदूरनी। खिझाना, खिझावना*-स० क्रि० चिढ़ाना, छेड़ना; खिलाड़ी-वि० खेलनेवाला; किसी खास खेलमें कुशल; गुस्सा दिलानेवाली बात करना ।
कुश्ती, गतका आदिमें कुशल । पु० खेलनेवाला; खेलखिड़कना*-अ० क्रि० दे० 'खिसकना'।
तमाशा, करतब दिखानेवाला, बाजीगर । खिड़की-स्त्री० मकान, रेल, जहाज आदिमें हवा और खिलाना-सक्रि०('खाना'का प्रेर०) भोजन कराना; दावत रोशनी आनेके लिए बनाया हुआ छोटा दरवाजा, झरोखा, देना; खिल नेका कारण होना; विकसित, प्रफुल्ल करना । वातायन; किले या परकोटेका चोर-दरवाजा। -दार- मु०-पिलाना-भोजन-पानसे सत्कार करना । वि० जिसमें खिड़की या खिड़कियाँ हों। -बंद-वि० खिलाफ़-वि० [अ०] विरुद्ध प्रतिकूल, उलटा।-कानून(मकान) जो पूरा किरायेपर ले लिया जाय, जिसमें अन्य | वि० कानूनके विरुद्ध, गैरकानूनी। किरायेदार न रहे।
खिलाफ़त-स्त्री० [अ०] खलीफाका पद; पैगंबर या वादखिताब-पु० [अ०] किसीकी ओर मुँह करना, मुखातिब
शाहका जानशीन या प्रतिनिधि होना। -आंदोलनहोना; बात-चीत; पदवी; राज्यकी ओरसे दी जानेवाली पु० [हिं०] प्रथम महायुद्ध (१९१४-१८) के बाद खिलाउपाधि । -याफ्ता-वि० जिसे खिताब मिला हो। फतकी पुनः स्थापनाके लिए भारतमें ब्रिटिश सरकारके ख़ित्ता-पु० [अ०] भूखंड, प्रदेश ।
विरुद्ध चलाया गया आंदोलन । खिदमत-स्त्री० [फा०] सेवा, टहल, चाकरी काम पद । खिलौना-पु० खेलनेकी चीज, साधना काठ, मिट्टी आदिका
-गार-पु० खिदमत करनेवाला, टहलू । -में-सामने, बना हुआ हाथी, घोड़ा, आदि; मनबहलावकी चीज । पास, सेवामें।
खिल्ली-स्त्री० हँसी, मजाक कील; पानका बीड़ा ।-बाज़ खिदमती-वि० [फा०] खिदमत करनेवाला; खिदमतके। -पु० खिल्ली उड़ानेवाला । बदलेमें प्राप्त (खिदमती जागीर)।
खिसकना-अ० कि० हटना, सरकना; चुपकेसे चल देना। खिन*-पु० छन, क्षण।
खिसकाना-स० क्रि० हटाना, सरकाना; चुपकेसे हथिया खिम्न-वि० [सं०] खेदयुक्त दःखी; उदासः चितितः कांत । लेना, उड़ाना। खिपना-अ० क्रि० सपना; मिल जाना, निमग्न होना। | खिसलना-अ०क्रि० दे० 'फिसलना'। खियाना -अ० क्रि० धिस जाना । स० क्रि० खिलाना । खिसलाहट-स्त्री०फिसलनेका भाव । खियाला-पु० खयाल, विचार; हँसी, मजाक । खिसाना-अ.क्रि.० दे० 'खिसियाना'। खिरका-पु०पशुओंका बाड़ा, खरक-'राँभति गौ खिरकन- खिसारा-पु० खसारा, धाटा, हानि । में बछरा हित धाई'-सू० ।
खिसि(आ)याना-अ० क्रि० लज्जित होना; लज्जित होकर, खिरकी -स्त्री० दे० 'खिड़की' ।
बेवकूफ बनकर खीझना; कुढ़ जाना; खफा होना । वि. खिरनी-स्त्री० एक फलवृक्ष या उसका फल, क्षीरिणी।। खिसियाया हुआ; लज्जित । मु. (खिसियानी)बिल्ली खिराज-पु० [अ०] कर, मालगुजारी; अधीन राज्यकी खंभा नोचे-खिसियाया हुआ आदमी अपनी खीस ओरसे प्रभु राज्यको दिया जानेवाला कर ।
दूसरोंपर उतारता है। खिरिरना*-सक्रि० अनाजको साफ करनेके लिए सूराख- | खिसियाहट-स्त्री० खिसियानेका भाव । दार छाजमें रखकर छानना; खुरचना।
खिसी*-स्त्री० लज्जा खीस धृष्टता। खिरौरी*-स्त्री० केवड़े में सुवासित कत्थेकी टिकिया। खिसीहाँ*-वि० लज्जितसा; क्रुद्धसा । खिलअत-पु० [अ०] जोड़ा, पोशाक; वह पहनावा जो खाँच-स्त्री० खींचनेकी क्रिया या भाव; माँग, रफ्तनी। राजा, बादशाह किसीको सम्मानार्थ प्रदान करे।
-तान-स्त्री० खींचा-खींची, नोंक-झोंक; खींच-खाँचकर ख़िलक़त-स्त्री० [अ०] सृष्टि, रचना; प्रकृति जगत् । अर्थ लगाना । खिलखिलाना-अ० क्रि० आवाजके साथ खुलकर हँसना, खींचना-स० क्रि० अपनी ओर आकृष्ट करना, ऐंचना; कहकहा लगाना।
घसीटना; चूसना; सारपदार्थ निकाल लेना चित्रित करना; खिलखिलाहट-स्त्री० खिलखिलाकर हँसनेकी आवाज । | रोक रखना; व्यापारिक वस्तुएँ मँगाना। खिलत, खिलति, खिलवति-स्त्री० दे० 'खिलअत'। खींचा खींची-स्त्री० किसी वस्तुकी प्राप्तिके लिए दोव्यक्तियोंखिलना-अ० क्रि० कलीका विकसित होना, फूल बनना का परस्पर विरोधी उद्योग, नोक-झोंक ।
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