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कलक-कला
बनावट; चाल, तदबीर । -गर-पु० कलई करनेवाला। एक तरहका बाफता। -कारी-स्त्री० कलमकी कारीगरी; -दार-वि० जिसपर कलई की गयी हो। मु०-खुलना- कलमसे बनाये हुए बेल-बूटे। -तराश-पु० कलम असलीयतका प्रकट हो जाना, पोल खुलना ।
बनानेका चाकू । -दान-पु० काठ, पीतल आदिकी लंबी कलक-पु०[अ०]दुःख, रंज; पछतावा, ग्लानि; विकलता। संदूकची या खुला आधार जिसमें कलम-दावात रखी कलकना-अ० क्रि० चिंघाड़ना, चीत्कार करना। जाय । -बंद-वि० लिखा हुआ, लिपिबद्ध । मु०-करना कलकान (नि)*-स्त्री० दुःख परेशानी; कलह ।
-काटना; छाँटना। -खाँचना-लिखे हुएको काटना। कलक्टर-पु० [अं०] जिलेमें मालका सबसे बड़ा अफसर । -घसीटना,-चलाना-लिखना। -तोड़ना-रचनामें कलक्टरी-स्त्री० कलक्टरकी कचहरी; कलक्टरका पद या| ऐसी सुंदर, अनूठी बात कहना जिससे अधिक सुंदर, कार्य । वि० कलक्टरका कलक्टरसे संबद्ध ।
अनूठी बात न कही जा सके, रचना-कौशलकी पराकाष्ठा कलगी-स्त्री० [फा०] टोपी, पगड़ीमें लगाया जानेवाला कर देना। -फेरना-लिखे हुएको काटना, रद्द करना। तुर्रा या फूंदना; मोर या मुगेके सिरपरकी चोटी; सिरका कलमख*-पु० दे० 'कल्मष' । एक गहना; ऊँची इमारतका शिखर; लावनीकी एक तर्ज । | कलमना*-स० क्रि० कलम करना, काटना। कलचुरी-पु० दक्षिण भारतका एक राजवंश ।
कलमलना*-अ० क्रि० दे० 'कलमलाना' । कलछा-पु० बड़ी कलछी।
कलमलाना-अ० कि० कसमसाना; विकल होना। कलछी-स्त्री० लंबी डाँडीका गोल कटोरीवाला चम्मच कलमा-पु० [अ०] सार्थक शब्द; बात, उक्ति; वह जिससे दाल आदि निकालते हैं।
वाक्य जी मुसलमानोंके धर्म-विश्वासका मूल मंत्र हैकलठुला-पु० लंबी डॉडीका कलछा जिससे भड़भूजा भाड़. 'ला इलाह इलिलाह, मुहम्मद रसूलिल्लाह' । मु०से जलती बालू निकालता है ।
पढ़ना-इसलाम धर्म स्वीकार करना; ईमान लाना। कलजुग-पु० दे० 'कलियुग' ।
(किसीका)-पढ़ना,-भरना-(किसीका) भक्त, अनुगत, कलहर* -पु० दे० 'कलक्टर'।
प्रेमी, प्रशंसक होना; (किसीके) रूप-गुणपर मुग्ध होना। कलत्र-पु० [सं०] पत्नी, भार्या श्रोणि; दुर्ग ।
-पढ़ाना-इसलामकी दीक्षा देना, मुसलमान बनाना । कलन-पु० [सं०] ग्रहण, जानना; समझना; शब्द करना; कलमास*-वि० दे० 'कल्माष'। गणितकी क्रिया; धब्बा; दोष ।
कलमी-बि० हस्तलिखितः कलम काटकर लगाया हुआ कलना-स्त्री० [सं०] ज्ञान; ग्रहण, लेना; छोड़ना, मोचन । (पेड़); रवादार । -शोरा-पु. लंबे रवेवाला और अधिक कलप-पु० दे० 'कला' और 'कल्प'; खिजाब ।
साफ शोरा। कलपना-अ० क्रि० विलाप करना; अंतर्वेदनाको शब्दों में | कलल-पु० [सं०] गर्भका आरंभिक रूप जब वह केवल कुछ व्यक्त करते हुए रोना; विमूरना; दुःख पाना; कुढ़ना आह| कोषोंका गोला रहता है; गर्भाशय । करना। + * स० क्रि० काटना-'कलपी माथ बेगि कलवरिया-स्त्री० कलवारकी दुकान, शराबखाना। निस्तरऊँ-१०। स्त्री० आह, हाय (पड़ना); दे० 'कल्पना'। कलवार-पु० एक हिंदू जाति जो पहले शराब बनाने-बेचनेकलपाना-स० क्रि० सताना, रुलाना।
का पेशा करती थीउस जातिका व्यक्ति, कलाल । कला-पु० धुले कपड़े में कड़ाई, चिकनाई लानेके लिए कलश, कलस-पु० [सं०] घड़ा, कलसा; मंदिर आदिका लगायी हुई लेई या माँडी; चेहरेपस्का काला धब्बा । शिखर, कँगूरा; चोटी (ला०); सिरमौर ।-जन्मा(न्मन्), कलबूत-पु० ढाँचा; टोपी बनानेका ढाँचा, गोलंबर । -भव-पु० अगस्त्य मुनि । कलभ-पु० [सं०] हाथीका बच्चा, हाथी; ऊँटका बच्चा। कलशी(सी)-स्त्री० [सं०] छोटा घड़ा, गगरा; छोटा कँगूरा। कलभक-पु० [सं०] हाथीका बच्चा।।
कलसा-पु० धड़ा; कँगूरा। कलम-स्त्री० [सं०] लेखनी। पु० एक तरहका धान। कलहंस-पु० [सं०] राजहंस; उत्तम राजा; परब्रह्म कलम-स्त्री० [अ०] काटना; सरकंडे, नरसल आदिका कलह-पु० [सं०] झगड़ा, लड़ाई; युद्ध; रास्ता; तलवारका टुकड़ा जिससे लिखनेका काम लेते है। लकड़ी, सेलुलाइड म्यान । -कार-वि० झगड़ालू , लड़ाका। -कारीआदिका गोल लंबोतरा टुकड़ा जिसमें लोहे आदिकी जीभ (रिन्)-वि० कलह करनेवाला ।-प्रिय-वि० झगड़ालू । (निब) लगाकर लिखते हैं, लेखनी; किसी पेड़-पौधेकी टहनी पु० नारद । -प्रिया-वि० स्त्री० लड़ाकी । जो नया पेड़ तैयार करनेके लिए काटी जाय; ऐसी टहनीसे कलहांतरिता-स्त्री० [सं०] पतिका या नायकका अपमान लगाया हुआ पौधा; कनपटियोंपर सुंदरताके लिए छोड़े कर पीछे पछतानेवाली नायिका (सा०)। और कुछ लंबाई में कटे हुए बाल; चित्र बनाने या रंग कलहारी*-वि० स्त्री० झगड़नेवाली । भरनेकी कूँची; काँच या स्फटिकका पहलदार लंबोतरा कलही (हिन्)-वि० [सं०] झगड़ालू । टुकड़ा; नक्काशी या खोदाई करनेका औजार, होरेकी कलाँ-वि० [फा०[ बड़ा; दीर्घाकार । कनी जड़ी हुई लकड़ी जिससे शीशा काटा जाता है। शोरे, कला-स्त्री० [सं०] अंश; छोटा भाग; चंद्रमंडलका सोलहवाँ नौसादर आदिका रवा लिखावट, लिपि; आदेश, हुक्म; भाग; राशिके तीसवें अंशका साठवाँ भाग; कालका एक एक तरहकी फुलझड़ी। वि० कटा, तराशा हुआ।-कसाई मान (१.६ मिनट); रक्त-मांस-मेद आदिको अलग रखने-पु० कुछ लिख-पढ़कर लोगोंकी हानि करनेवाला ।-कार वाली शरीरकी झिल्लियाँ हुनर,गुण; गाने-बजाने आदिकी -पु० लेखक; चित्रकार, चित्रोंकी रेखाओं में रंग भरनेवाला विद्या सुंदर रचना या उसकी रीति व्याज; स्त्रीका रजः
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