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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४३ करैत-कर्म करेत-पु० एक जहरीला साँप। कानका पकना । -पाली-स्त्री० कानकी लौ; बाली । करैल-स्त्री० काली मिट्टी जो गीली होनेपर बहुत लसदार -पुट-पु० श्रवणमार्ग ।-फूल-पु० कानका एक गहना। हो जाती है । पु० बाँसका नरम कल्ला। -मल-पु० चूट । -रंध्र-विवर-पु० कानका छेद । करोट-स्त्री० करवट । -रोग-पु० कानमें उत्पन्न होनेवाले रोग, कर्णपाक आदि । करोटन-पु० [अं० कोटन वनस्पतिका एक वर्ग जिसके | -वेध-पु० कनछेदनका संस्कार या रस्म । -वेधनी,पौधोंके पत्ते सुंदर और रंग-बिरंगे होते हैं। वेधनिका-स्त्री० कान छेदनेका औजार । -वेष्ट,करोड़-वि० सौ लाख, एक कोटि। पु०सौ लाखकी संख्या। वेष्टन-पु० कुंडल । -शूल-पु० कानका दर्द।-स्राव -पती-वि० जिसके पास करोड़ों रुपये हों, बहुत बड़ा पु० कानका बहना। -हीन-वि० बहरा । पु० साँप । अमीर । कर्णाटी-स्त्री० [सं०] कर्णाट देशकी स्त्री या वहाँकी भाषा; करोड़ी-पु० रोकड़िया; महसूल इकट्ठा करनेवाला । एक राग। करोदना*-स० क्रि० दे० 'कुरेदना'। कर्णिका-स्त्री० [सं०] करनफूल; बिचली ऊँगली; कमलका करोना*-स० क्रि० खुरचना, कुरेदना छत्ता; हाथीकी टू ड़की नोक; लेखनी। करोर*-वि०, पु० दे० 'करोड़। कर्णिकार-पु० [सं०] कनियारका पेड़ या फूल । करोला*-पु० गडआ। कर्णेजप-पु० [सं०] कानमें लगकर परनिंदा करनेवाला, करौंछा-स्त्री० दे० 'कलाँस'। चुगलखोर; भेद बतलानेवाला । करौंछा*-वि० कुछ-कुछ काला । कर्तन-पु० [सं०] काटना; कतरना; कातना । करौंजी*-स्त्री० दे० 'कलौंजी' । कर्तनी-स्त्री० [सं०] करतनी, कैंची । करौंट*-स्त्री० दे० 'करवट'। कर्तब*-पु० दे० 'करतब। करौंदा-पु० एक काँटेदार झाड़ या उसका फल, करमर्द कतरिका, कर्तरी-स्त्री० [सं०] कैंची, कतरनी; छुरी । एक जंगली फल जो मटरके बराबर होता है और पकने पर कर्तव्य-वि० [सं०] जिसे करना उचित या आवश्यक हो, काला हो जाता है। | करणीय । पु० करणीय कार्य, फर्ज। -मढ-वि० जो करा दिया, करौंदी-वि० करौदेके रंगका । पु० गुलाबीसे | घबराहटके कारण अपने कर्तव्यका निश्चय न कर सके । मिलता-जुलता एक रंग। कर्ता(त)-वि० [सं०] करनेवाला, बनानेवाला । पु० • आरा । स्त्री० रखेली स्त्री। विधाता, ब्रह्माईश्वर; करनेवाला; क्रियाक करनेवालेका करौल, करौला*-पु० [ तु० करावल ] हकवा करने, बोधक कारक (व्या०)। -धर्ता-पु० [हिं०] करने, शिकार खेलानेवाला। धरनेवाला; वह जिसे सब कुछ करनेका अधिकार हो । करौली-स्त्री० सीधी, मूठदार छुरी। (त)-प्रधान-वि० जिसमें कर्ताकी प्रधानता हो कर्क-पु० [सं०] केकड़ा, बारह राशियोंमसे चौथी। (व्या०)।-वाच्य-पु० क्रियाका वह रूप जिसमें कर्ताकी कर्कट-पु० [सं०] केकड़ा; कर्क राशि: कमलकी जड़, सारस- प्रधानता हो (व्या०)। का एक भेद; काँटा तराजूकी डंडीका सिरा । कार-पु० कर्ता; ईश्वर । कर्कटिका-स्त्री० [सं०] छोटी ककड़ी। कर्तृत्व-पु० [सं०] कार्य करनेवालेकी अवस्था में होना। कर्कश-वि० [सं०] कठोर; खुरदरा; तीव्र परुष; निर्दय । | कनिका, कों-स्त्री० [सं०] छुरी; कैची। कर्कशा-वि० स्त्री० [सं०] लड़ाकी कटुभाषिणी। कर्दम-पु० [सं०] कीचड़ मांस; पाप (ला०) । कर्धा-पु० दे० 'करधा'। कर्पट-पु० [सं०] फटा, मैला कपड़ा, चीथड़ा। कचूर-पु० सं०] कचूर; सोना । कर्पटिक, कर्पटी (टिन)-वि० [सं०] जो चीथड़े लपेटे हो; कर्ज-पु० [अ०] ऋण, उधार, देना। -स्वाह-पु० कर्ज भिखारी । नेवाला, महाजन । -दार-पु. ऋणी, कर्ज लेनेवाला। कर्पर-पु० [सं०] कड़ाह; कपाल ठीकरा; एक हथियार । कर्जा-पु० दे० 'कर्ज'। कर्पूर-पु० [सं०] कपूर । -गौर-वि० कपूर जैसा सफेद । कर्ण-पु० [सं०] कान; नावकी पतवारः त्रिभुजके समकोणके कबुर-वि० [सं०] चितकबरा, रंग-बिरंगा । पु० चितकबरा सामनेकी भुजा (हाइपॉटेन्यूज); कुंतीका ज्येष्ठ पुत्र जी। रंगपाप; राक्षस सोना; जल; धतूरा; कचूर । बड़ा दानी था।-कटु-वि० कानोंको अप्रिय लगनेवाला। कर्म(न)-पु० [सं०] शास्त्रविहित नित्य-नैमित्तिक आदि -कुहर-पु० कानका छेद । -गोचर-वि० जो सुना - कर्म; काम; क्रिया; धंधा; आचरण; वह पूर्वकृत कर्म जा सके । -जप-पु० चुगलखोर । -धार-पु० पतवार जिसका फल इस जन्ममें मिल रहा होभाग्यवह जिसपर पकड़नेवाला, माँझी। -धारसमिति-स्त्री० (स्टीयरिंग | क्रियाका फल पड़े (व्या०)।-कर-पु० मजदूर, उजरतपर कमिटी) संयुक्त राष्ट्रसंघ, कांग्रेस आदिकी वह समिति जो काम करनेवाला । -कांड-पु. वेदका वह विभाग जिसमें संघ, कांग्रेस आदिकी विभिन्न समितियोंके कार्यक्रम, नित्य-नैमित्तिक आदि कर्मोंका विधान है; यश, संस्काराविषयक्रम आदिका निर्धारण करती है; (कार्य) संचालन- दिकी विधि बतानेवाला शास्त्र । -कांडी(डिन)-पु० समिति । -नाद-पु० कानमें सुनाई पड़नेवाली गूंज; कर्मकांडका ज्ञाता, पुरोहित। -कार-पु० मजदूर कानका एक रोग जिसमें गूंज सुनाई पड़ती है। -पटह- बेगार; कारीगर लुहार । -कार-हानिपूरण अधिनियम पु० कानके भीतरी हिस्सेका मध्य भाग । -पाक-पु० -पु० (वर्कमेंस कंपेनसेशन ऐक्ट) दे० 'श्रमिक-क्षति-पूर्ति देनेवाला, महान For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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