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औदुंबर-कंकतिका औदुंबर-वि० [सं०] उदुबर या गूलरका बना हुआ; ताम्र- औरस-वि० [सं०] विवाहिता पत्नीसे उत्पन्न, वैध, जायज । निर्मित । पु० गूलरकी लकड़ीका बना यज्ञपात्र ।
पु० विवाहिता पत्नीसे उत्पन्न पुत्र । औद्धत्य-पु० [सं०] उद्धतता, उजड़पन ।
औरसना*-अ० क्रि० रूठना, अनखाना । औद्यानिक योजना-स्त्री० [सं०] ( हार्टिकल्चरल स्कीम) श्रीरासा*-वि० विलक्षण; बेढंगा-'कहँ अब काल चाल उद्यानों में पेड़-पौधे लगाने तथा उनके रक्षण आदिकी | औरासी'-सू०। योजना।
| औरेब-पु० तिरछापन, टेढ़ापन; कपड़ेकी तिरछी काट; पेच, औद्योगिक-वि० [सं०] उद्योग-संबंधी। -उन्नति-स्त्री० ल । -दार-वि० तिरछी काटवाला । उद्योग-धंधों, कल-कारखानोंकी उन्नति या बाढ़। -तथ्य- औलना-अ० क्रि० गरमी पड़ना, औसना; तप्त होना। पु० (इंडस्ट्रियल डेटा) उद्योग-धंधोंसे संबंध रखनेवाली औलाद-स्त्री० [अ०] संतान, बेटा-बेटी, वंश । प्रामाणिक बातें। -वासव्यवस्था-स्त्री० (इंडस्ट्रियल औला-दौला-वि० लापरवाह, मौजी हाउसिंग) कारखानों में काम करनेवाले श्रमिकोंके लिए औलिया-पु० [अ०] सिद्ध पुरुष, संत, महात्मा, पहुँचा रहनेके मकान बनानेकी व्यवस्था ।
हुआ मुसलमान फकीर ('वली'का बहु०)। औद्योगिकीकरण-पु० (इंडस्ट्रियलिजेशन) अनेक कार- औवल-वि० [अ०] पहला, प्रथम प्रधान, सर्वश्रेष्ठ । खानों, उद्योगों आदिकी स्थापना, विस्तार आदि द्वारा| औशि*-अ० दे० 'अवश्य'। देशको उद्योगप्रधान बनाना ।
औषध-स्त्री० [सं०] दवा, ओषधि, जड़ी-बूटी; एक खनिज औध*-पु० दे० 'अवध' । स्त्री० दे० 'अवधि।
द्रव्य । वि० जड़ी-बूटियोंसे बनी । -निर्देश-पु० श्रीधारना*-स० क्रि० दे० 'अवधारना'; प्रारंभ करना । (प्रस्क्रिपशन ) किसी रोगके शमनार्थ चिकित्सक द्वारा औधि -सी० दे० 'अवधि' ।
दवाओंके नाम, मात्रा, प्रयोगादिके संबंधमें दिया गया औनि*-स्त्री० दे० 'अवनि' । -प-पु० राजा । (लिखित) निर्देश ।-निर्माणशास्त्र-पु० (फारमाकोपीया) औने-पीने-अ० कुछ कम दामपर, कुछ घाटा उठाकर । औषध तैयार करनेकी विद्या या उसकी विधि बतानेऔपचारिक-वि० [सं०] उपचार-संबंधी रस्मी, दिखाऊ।। वाले ग्रंथ । औपटी-वि० स्त्री० अटपटी, कठिन ।
औषधालय-पु० [सं०] दवाखाना । औपनिवेशिक-वि० [सं०] उपनिवेश-संबंधी; उपनिवेशमें औषधि, औषधी-स्त्री० [सं०] दे० 'ओषधि । रहनेवाला । -स्वराज्य-पु. एक प्रकारका स्वराज्य जो औषधोपचार-पु० [सं०] दवा-इलाज । कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि ब्रिटिश उपनिवेशोंको प्राप्त है।। औसत-वि० [अ०] बीचका, दरमियानी; साधारण । पु० औपन्यासिक-वि० [सं०] उपन्यास-संबंधी; उपन्यासके। बीचकी संख्या या राशि, राशियोंके जोड़को उनकी संख्याढंगका; अदभुत । पु० उपन्यासकार ।
से भाग देनेपर भागफलके रूपमें प्राप्त संख्या, परता। औपपत्तिक-वि० [सं०] उपपत्ति-युक्तायुक्ति-संगत, उपयुक्त। -दरजेका-बीचका, न बहुत अच्छा, न बुरा । औपसर्गिक-वि० [सं०] उपसर्ग-संबंधी; उपसर्ग-रूपमें | औसना -अ० क्रि० ऊमस होना; गरमीसे खानेकी चीजका प्राप्त (रोग)।
बिगड़ना; फलादिका सूखकर पकना । औम-वि० दे० 'अवम' ।
औसर*-पु० दे० 'अवसर'। और-अ० दो शब्दों और वाक्योंको जोड़नेवाला एक शब्द; औसान-पु० होश-हवास, चेत-'गै औसान सबन्हकर ब, तथा । वि० दूसरा, अधिक । मु०-का और-कुछका देखि समुदकै बाट'---40% * अंत, अवसान । कुछ, उलटा। -क्या ?-हाँ, अवश्य, नहीं तो क्या ? | औसाना-स० कि० फलादिको भूसे आदिमें रखकर -तो और-दूसरोंकी बात जाने दो, दूसरोंकी तो बात | पकाना । ही क्या ? -ही कुछ-सबसे निराला; जुदा; अनूठा। औसेर*-स्त्री० दे० 'अवसेर' । औरत-स्त्री० [अ०] स्त्री०; पल्ली।
औहत*-स्त्री० अपमृत्यु, कुगति । औरना-अ० क्रि० आगे बढ़ना; सूझना ।
औहाती*-वि० स्त्री० दे० 'अहिवाती'।
क-देवनागरी वर्णमालाका पहला व्यंजन वर्ण । | पीते हैं । -पत्थर-पु० कूड़ा-करकट, रद्दी चीजें। उधा*-स्त्री० दे० 'कौं धा।
कंकड़ी-स्त्री० छोटा कंकड़, छरी; छोटा टुकड़ा, डली,रवा। कंक-पु० [सं०] एक मांसाहारी पक्षी जिसके पंख बाणमें | कंकड़ी(री)ला-वि० कंकड़ मिला हुआ, जिसमें कंकड़ लगाये जाते थे, सफेद चील ।-पत्र-पु० वह बाण जिसमें अधिक हो। कंकका पर लगा हो; कंकका पर ।
कंकण-पु०[सं०] कंगन विवाहके पहले वर-कन्याके हाथमें कंकड़-पु० जमीनके अंदरसे निकलनेवाला एक तरहका बाँधा जानेवाला धागा, विवाहसूत्र । रोड़ा जो सड़क बनानेके काममें आता और जिसे जलाकर कंकणी, कंकणीका-स्त्री० [सं०] कटि आदिमें पहननेके चूना बनाया जाता है; पत्थरका छोटा टुकड़ा, गिट्टी; सूखा घुघरूदार गहने क्षुद्रघंटिका । या सुरतीका चूरा मिला हुआ तंबाकू जिसे गाँजेकी तरह । कतिका, कंकती-तं.. [सं०] कंधी।
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