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ओलियाना - औदासीन्य
ओलियाना+ - स० क्रि० गोद में भरना; घुसाना । ओली-स्त्री० गोद; अंचल; झोली ।
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ओल्यो * - पु० बहाना - 'बैठी बहू गुरु लोगनिमें लखि लाल गये करिकै कछु ओल्यो'- भाववि० । ओषध* - स्त्री० दे० 'औषध' ।
ओषधि, ओषधी - स्त्री० [सं०] वनस्पति; जड़ी-बूटी । ओषधीश - पु० [सं०] चंद्रमा कपूर ।
ओष्ठ - पु० [सं०] ओठ ।
ओष्ठ्य - वि० [सं०] ओठसे संबद्ध; ओठसे उच्चरित । - वर्ण ओहट* - स्त्री० ओट |
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कता की पूर्ति नहीं हो सकती । - पढ़ना - बेरौनक हो जाना; उदासी छाना; उत्साह नष्ट हो जाना; ठंडा हो जाना । ओसरी - स्त्री० अवसर, बारी।
ओसाई - स्त्री० ओसाने की मजदूरी या काम | ओसाना-स० क्रि० माँड़े हुए अनाजको हवा में उड़ाकर दानेको भूसे आदिसे अलग करना । ओसारा - पु० सायबान, बरामदा । ओह - अ० दुःख या आश्चर्यसूचक शब्द ।
- पु० उ, ऊ, प्, फ् ब् भ् म् ।
ओहदा - पु० [अ०] पद, स्थान । - (दे ) दार - पु० पदाधिकारी !
ओस - पु० हवाकी भाप जो रात में जलकणके रूपमें जमीनपर गिरती है, शबनम | -का मोती क्षणभंगुर । मु० - चाटने से प्यास नहीं बुझती - थोड़ीसी वस्तुसे बड़ी आवश्य
ओहार - पु० पालकी आदिपर परदे या शोभाके लिए डाला हुआ कपड़ा ।
औ
दाना* - अ० क्रि० उन्मत्त होना; व्याकुल
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औ - देवनागरी वर्णमालाका ग्यारहवाँ (स्वर) वर्ण । आँगना - स० क्रि० दे० 'ओंगना' |
आँगा* - वि० गूँगा ।
आँघना, आँधाना - अ० कि० दे० 'ऊँघना' ।
औचित्य - पु० [सं०] उचित होना, उपयुक्तता, मुनासिबत ।
आँजना* - अ० क्रि० ऊबना, व्याकुल होना । स० क्रि० औज-पु० दे० 'ओज'; [अ०] ऊँचाई, बुलंदी; उत्कर्ष । उझिलना, ढालना ।
औजड़ * - वि० उजड्डु | औज़ार - पु०
आँटन - पु० चारा आदि काटनेका ठीहा ।
आँटना - स० क्रि० दे० 'औटना' ।
ठ - स्त्री० बरतन आदिका उठा हुआ किनारा; ओंठ । औड* - पु० ओड़; बेलदार ।
औड़ा* - वि० गहरा; उभड़ा या उभड़ता हुआ । औदना, होना ।
आँधना - अ० क्रि० उलट जाना, औंधा होना । स० क्रि० उलट देना ।
आँधा - वि० जिसका मुँह नीचेकी ओर हो, उलटा; नीचा । मु० - हो जाना - बेसुध होना; गिर पड़ना । आँधी खोपड़ीका - वि० मूर्ख । - समझ - उलटी बुद्धि । आँधे मुँह गिरना - धोखा खाना; भूल करना । आँधाना - स० क्रि० नीचा या उलटा करना । औरा - पु० आँवला ।
औ* अ० दे० 'और' ।
औक़ात - पु० [अ०] वक्त, समय; जमाना ('वक्त'का बहु० ) । औतार - पु० दे० 'अवतार' |
स्त्री० हैसियत ।
औगत* - वि० दे० 'अवगत' । * स्त्री० दे० 'अवगति' । औगाहना * - सु० क्रि० अ० क्रि० दे० 'अवगाहना' । ओगी - स्त्री० चाबुक, पैना; जंगली जानवरको फँसानेके लिए बना हुआ गड्ढा; कारचोबी जूतेका ऊपरका चमड़ा । औगुन* - पु० दे० 'अवगुण' ।
औगुनी * - वि० दोषी; दुर्गुणी ।
औय - पु० [सं०] उग्रता, भयंकरता । औघट* - वि० कठिन, दुर्गम । पु० दुर्गम मार्ग । औघड़ - पु० अघोरी; फक्कड़, मनमौजी । वि० अटपट । औघर - वि० अनगढ़; अटपटा, टेढ़ा; विचित्र |
औचक - अ० अचानक, यकायक ।
औचट - स्त्री० कठिनाई, संकट । अ० अचानक; भूलसे । औचित* - वि० निश्चित, बेखबर ।
[अ०] कोई काम करनेका साधन, आला,
उपकरण ।
औज्ज्वल्य - पु० [सं०] उजलापन; चमक । औझक* - -अ० दे० 'औचक' । औझड़ (₹) *. * - अ० लगातार, निरन्तर । औटन * - स्त्री० औटनेकी क्रिया; ताव, आँच । औटना - स०
क्रि० दूध, रस आदिको आँच देकर गाढ़ा करना, देर तक उबालना, खौलाना । अ० क्रि० खीलना, आँच खाना; पगना; तपना; * भटकना । औटनी - स्त्री० ओटी जानेवाली चीजको चलानेकी कलछी । औटाना - स० क्रि० औटना, आँच देकर गाढ़ा करना औठपाय* - पु० अठपाव, शरारत, धूर्तता । औढर - वि० चाहे जिधर ढल जानेवाला; थोड़े में प्रसन्न होकर निहाल कर देनेवाला, आशुतोष । - दानी- वि० प्रार्थी, भक्तको निहाल कर देनेवाला ।
औतरना* - अ० क्रि० अवतार ग्रहण करना, जन्म लेना ।
औत्तरेय - पु० [सं०] उत्तरासे उत्पन्न, परीक्षित । औत्पत्तिक - वि० [सं०] उत्पत्ति-संबंधी; सहज, पैदाइशी । औरस - वि० [सं०] झरनेमें उत्पन्न या झरना-संबंधी । औत्सुक्य- पु० [सं०] उत्सुकता । भौथरा * - वि० उथला, छिछला । औदकना* - अ० क्रि० चौंकना ।
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औदरिक - वि० [सं० [ उदर-संबंधी; बहुत खानेवाला, पेटू । औदसा * - स्त्री० अवदशा, दुर्दशा, विपत्ति । औदार्य - पु० [सं०] उदारता ; महत्ता; अर्थगांभीर्य । औदासीन्य, औदास्य- पु० [सं०] उदासीनता, उदासी; एकाकीपन, निर्जनता; वैराग्य ।