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उत्थानक-उदघाटन
१०४ वृद्धि; जागना ।-पतन-पु० उठना-गिरना, वृद्धि-हास। एक वैदिक कर्म जो सालमें दो बार किया जाता है; वेदाउत्थानक-पु० [सं०] (लिफ्ट) मकानके नीचेके खंडसे ध्ययन स्थगित करना। ऊपरके खंड में पहुँचाने या वहाँसे नीचे उतारनेवाला उत्सर्जित-वि० [सं०] छोड़ा, त्यागा हुआ। बिजलीका आसन, उन्नयनयंत्र।
उत्सव-पु० [सं०] आनंद, प्रसन्नता; आनंदजनक कार्य, उत्थापन-पु० [सं०] उठाना; जगाना; उभारना । विवाह आदि; जलसा समारोह; उछाव-बधाव (मनाना); उत्थित-वि० [सं०] उठा हुआ; उठता हुआ; बल-वैभवमें
पर्व। बढ़ा हुआ, उन्नत; उद्धार किया हुआ ।
उत्सादन-पु० [सं०] नाश करना; बाधा डालना; घावका उत्पत्ति-स्त्री० [सं०] जन्म; उत्पादन; आरंभ; उद्गम; भरना; ऊपर चढ़ना; उठाना; मालिश करना; खेतकी अस्तित्व ग्रहण करना; सृष्टिः उपज; लाभ ।
दूसरी जोताई करना; (ऐब्रोगेशन) किसी विधि (कानून), उत्पन्ना-वि० [सं०] जनमा हुआ; उपजा हुआ।
अधिनियम, प्रथा आदिको उठा देना, रद्द कर देना; उत्पल-पु० [सं०] कमल; नील कमल; कुमुद ।
(एबॉलिशन) नष्ट करना, अंत करना, विनाशन । उत्पाटन-पु० [सं०] उखाड़ना; जड़मूलसे नाश करना। उत्सादित-वि० [सं०] नष्ट किया हुआ; रद्द किया हुआ; उत्पाटित-वि० [सं०] जड़से उखाड़ा हुआ; हटाया हुआ। आरूढ़ उठाया हुआ। उत्पात-पु० [सं०] ऊपर उठना; उछाल; विपत्सूचक, उत्साह-पु० [सं०] हौसला, उमंग; उद्यम, चेष्टा; प्रवृत्ति आकस्मिक घटना; आफत, उपद्रव, दंगा।
अध्यवसाय; दृढ़ संकल्प; वीर रसका स्थायी भाव । उत्पाती(तिन)-वि० [सं०] उपद्रवी, खुराफाती। उत्साहिल*-वि० दे० 'उत्साही' । उत्पाद-वि० [सं०] जिसके पैर ऊपर उठे हों। पु० जन्म, उत्साही (हिन्)-वि० [सं०] उत्साहयुक्त; उद्यमी ।
उत्पत्ति । -शय,-शयन-पु० शिशुः टिट्टिभ पक्षी। उत्सुक-वि० [सं०] उत्कंठित; अत्यधिक इच्छुक; बेचैन । उत्पादक, उत्पादी-वि० [सं०] पैदा करनेवाला । -व्यय उत्सुकता-स्त्री० [सं०] अधीरता, व्याकुलता, बेचैनी;
-पु० (प्रॉडक्टिव एक्सपेंडिचर) उत्पादन बढ़ानेवाला उत्कंठा प्रबल इच्छा; आसक्ति, प्रेम पश्चात्ताप, अफसोस । व्यय, उत्पादक कार्योंके निमित्त किया जानेवाला व्यय । उत्सृष्ट-वि० [सं०] उत्सर्ग किया हुआ, परित्यक्त । उत्पादन-पु० [सं०] पैदा करना, उपजाना; (माल) उत्सेक-पु० [सं०] छिड़कना; बाढ़, प्लावित करना । तैयार करना तैयार किया गया माल । -बाधा-स्त्री० उथपना*-स० क्रि० उठा देना; उजाड़ या उखाड़ देना । (बाटिलनेक).वह वस्तु जो उत्पादनका कार्य सुचाररूपसे | उथलना* --अ० क्रि० डगमगाना; उलटना । -पुथलनाचलनेमें बाधक हो। -शुल्क-पु० (एक्साइज ड्यूटी) नीचे-ऊपर होना; इधरका उधर होना । देशमें उत्पादित कतिपय वस्तुओंपर लगनेवाला कर उथल-पुथल-स्त्री० भारी उलट-फेर हलचल । (भारतमें चीनी, तंबाकू आदिपर लगनेवाले करकी आय उथला-वि० छिछला, कम गहरा । केंद्रीय सरकारको तथा अफीम, गाँजा आदिपरकी आय उदंड*-वि० दे० 'उदंड' । राज्यकी सरकारोंको मिलती है)।
उदंत-वि० जिसके (दूधके) टूटे दाँत न जमे हो। उत्पादित-वि० [सं०] उत्पन्न; उपजाया, पैदा किया हुआ। उदक-पु० [सं०] पानी । -कर्म (न),-कार्य-दानउत्पीडक-वि० [सं०] दबानेवाला; सतानेवाला ।
पु० दे० 'उदकक्रिया। -क्रिया-स्त्री० पितरोंको जल उत्पीडन-पु० [सं०] दबाना; सताना, जुल्म करना। देना, पितृतर्पण । -दाता(त),-दायी (यिन्)-वि० उत्पीडित-वि० [सं०] दबाया, सताया हुआ, मजलूम। पितरोंको पानी देनेवाला; वारिस। -स्पर्श-पु० शरीरके उप्रवासी(सिन्)-पु० [सं०] (एमीग्रैंट) एक देश छोड़कर विभिन्न अंगोंका जलसे स्पर्श कराना; शपथ, प्रतिज्ञा आदिके अन्य देशमें जा बसनेवाला ।
पूर्व जलका स्पर्श करना। उत्प्रेक्षा-स्त्री० [सं०] उद्भावना, अनुमान; उपेक्षा; अर्था- उदकअद्रि*-पु० हिमालय । लंकारका एक भेद जिसमें प्रस्तुत वस्तुमें सादृश्यके कारण उदकना*-अ० क्रि० उछलना-कूदना छटकना। अन्य वस्तुकी कल्पना की जाती है ।
उदकार्थी (थिन्)-वि० [सं०] प्यासा; जल चाहनेवाला । उप्रेषणलेख, उत्प्रेषणादेश-पु० [सं०] (सशीऔररी) उदके वर-वि० [सं०] जलचर ।
अधीन न्यायालयमें विचार किये गये किसी मामलेके उदकेशय-वि० [सं०] जलमें सोने या रहनेवाला । कागज-पत्र प्रेषित करनेका उच्च न्यायालयका आदेश। उदगरना-अ० क्रि० निकलना, प्रकट होना; उभड़ना । उत्फुल्ल-वि० [सं०]खिला हुआ, पूर्णतः विकसित प्रसन्न । उदगार*-पु० दे० 'उद्गार'। उत्संग-पु० [सं०] गोद, अंक; मध्यभाग; नितंबके उदगारना*-स० क्रि० उगलना; डकार लेना भड़काना । ऊपरका भाग।
उदगारी*-वि० उगलने, डकार लेनेवाला। उत्स-पु० [सं०] स्रोत, सोता; जलमय स्थान ।
उदग्ग-वि० दे० 'उदय'। उत्सन्न-वि० [सं०] क्षीण; नष्ट, उच्छिन्न, जिसकी जड़ उदग्र-वि० [सं०] ऊपरको उभरा हुआ; उदार: वयोवृद्ध; उखाड़ दी गयी हो; उठाया हुआ; अभिशप्त; विलुप्त । ऊँचा; उन्नत प्रवर्धित; विशाल; असह्य प्रचंडप्रबल; उग्रः उत्सर्ग-पु० [सं०] अलग करना; छोड़ना, त्यागना; दान; | भयंकर; क्रुद्ध । समापन (अध्ययन आदिका )।
उदघटना*-अ० क्रि० प्रकट होना । उत्सर्जन-पु० [सं०] उत्सर्ग करना; त्यागा दान करना; उदघाटन*-पु० दे० 'उद्घाटन।
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