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उदघाटना-उदुंबर उदघाटना*-स० क्रि० प्रकट करना; खोलना।
उदसना*-अ० क्रि० उजड़ना; उद्ध्वस्त होना। उदजन-पु० (हाइड्रोजन) दे० 'जलजन'।
उदात्त-वि० [सं०] ऊँचा; महान् ; श्रेष्ठ, उदार; ऊँचे स्वरमें उदथ*-पु० सूर्य।
उच्चरित । पु० स्वरके तीन भेदोंमेंसे एक, ऊँचा स्वर दान उदधि-पु० [सं०] समुद्र । -कन्या,-तनया-स्त्री० एक अर्थालंकार, जहाँ अतिशय समृद्धिका वर्णन किया लक्ष्मी। -मेखला,-वस्त्रा-स्त्री० पृथ्वी। -संभव- जाय; नायकका एक प्रकार; एक तरहका बड़ा ढोल । पु० समुद्री नमक । -सुत-पु० चंद्रमा, अमृत, शंख | उदान-पु० [सं०] प्राण वायुके पाँच भेदोंमेंसे एक जिसका आदि । -सुता-स्त्री० लक्ष्मी ।।
स्थान कंठ और गति हृदयसे कंठ-तालुतक है; साँस । उदन्वान्(न्वत्)-पु० [सं०] समुद्र ।
उदाम*-वि० दे० 'उद्दाम'। उदपान*-पु० कमंडलु 'कर उदपान काँध बधछाला'-५०। उदायन*-पु० उद्यान, बाग। उदबस*-वि० उजड़ा हुआ, सूना; उद्वासित; जो आज उदार-वि० [सं०] दानशील; ऊँचे दिलवाला; खरा; यहाँ, कल वहाँ रमता रहे।
उच्च; दयालु; भला विशाल । -चरित-वि० ऊँचे चरित्रउदबासना-स० क्रि०किसी स्थानसे हटा, भगा देना। वाला। -चेता (तस्),-मना (नस्)-वि० ऊँचे उदवेग-पु० दे० 'उद्वेग।
दिलवाला। -दर्शन-वि० देखने में भला लगनेवाला । उदभव*-पु० दे० 'उद्भव' ।
-धी-वि० प्रतिभाशाली; ऊँचे दिलवाला, भला । पु० उदभौत-पु० अद्भुत घटना, अचंभेकी बात ।
विष्णु । स्त्री० सद्गुण । उदमदना*-अ० क्रि० उन्मत्त होना, सुध-बुध खो देना। उदारता-स्त्री० [सं०] दानशीलता; उदार स्वभाव । उदमाती-वि० स्त्री० मस्तीसे भरी हुई, मस्तानी । उदाराशय-वि० [सं०] ऊँचे दिलवाला। उदमाद*-पु० उन्माद, मस्ती।
उदावत-पु० [सं०] बड़ी आँतका एकरोग,काँच, गुदग्रह। उदमान-वि० मतवाला; उन्मत्त ।
उदास-पु० * दुःख । वि०जिसका मन उचटा रहता हो, उदमानना*-अ० क्रि० उन्मत्त होना ।
खिन्न; दुःखी; उदासीन; तटस्थ । उदय-पु० [सं०] (सूर्यादिका) उगना, निकलना, आकाश- उदासना-अ० वि० उदास होना । * स० क्रि० उजाड़ना; में ऊपरकी ओर उठना; प्रकट होना; बढ़ती, उत्थान समेटना (बिस्तर)। सृष्टि; उद्गमस्थान; उदयाचल, -गढ़*-पु० उदयगिरि । उदासिल -वि० उदासीन । -गिरि-पर्वत,-शैल-पु० पूर्वका एक (कल्पित) पर्वत उदासी-स्त्री० रंजीदगी, खिन्नता । जिसके पीछेसे सूर्यका उगना माना जाता है।
उदासी (सिन)-वि० [सं०] तटस्थ, निरपेक्ष; विरक्त । पु० उदयना*-अ० कि० उदय होना ।
संन्यासी, विरागी; नानकशाही साधु । उदयाचल-पु० [सं०] उदयगिरि ।
उदासीन-वि० [सं०] विरक्त; तटस्थ; निष्पक्ष । पु० अजउदया तिथि-स्त्री० [सं०] सूर्योदयकालमें वर्तमान तिथि । नवी; तटस्थ व्यक्ति या नरेशः अभियोगसे असंबद्ध व्यक्ति । उदयादि-पु० [सं०] उदयगिरि ।
-भागीदार-पु० (स्लीपिंग पार्टनर) ऐसा साझेदार उदयान -पु० उद्यान, बाग।
जिसने कारखाने या व्यवसाय आदिमें रुपया तो लगाया उदयी (यिन)-वि० [सं०] उगता हुआ, उठता हुआ;| हो पर जो प्रबंधादिमें दिलचस्पी न लेता हो। प्रवाहित होनेवाला; उन्नतिशील ।
उदासीनता-स्त्री० [सं०] विरक्ति; तटस्थता, निरपेक्षिता । उदरभर*-वि० दे० 'उदरंभरि'।
उदाहरण-पु० [सं०] दृष्टांत, मिसाल; अनुकरणके योग्य उदरंभरि-वि० [सं०] अपना ही पेट पालनेवाला; पेटुः । कार्य; वाक्यके पाँच अवयवों मेंसे तीसरा (न्या०); एक स्वार्थी।
अर्थालंकार, जिसमें कोई सामान्य कथन करनेके बाद उदर-पु० [सं०] पेट; वस्तुका भीतरी भाग; अंतर; विजा- बानगीके तौरपर कोई बात कही जाय । तीय द्रव्य एकत्र होने या जलोदर आदिके कारण पेटका उदाहृत-वि० [सं०] कथित, वर्णित; जिसका दृष्टांत दिया बढ़ना । -ज्वाला-स्त्री० पेटकी आग, भूख । -दास- गया हो। पु० पैदाइशी गुलाम, वह दास जिसके माँ-बाप भी दास उदित-वि० [सं०] उगा हुआ, निकला हुआ; प्रकट, प्रकारहे हों। -रेखा-स्त्री० त्रिबली। -वृद्धि-स्त्री० रोगके शित; ऊँचा; बदिया। -यौवना-स्त्री० मुग्धा नायिकाका कारण पेटका बढ़ना। -सपी न)-वि० पेटके बल एक भेद। रेंगनेवाला।
उदीची-स्त्री० [सं०] उत्तर दिशा । उदरना*-अ०क्रि० विदीर्ण होना; (मेड़, दीवार आदिका) उदीचीन-वि० [सं०] उत्तरी; उत्तराभिमुख ।
कटकर अलग हो जाना; टूट जाना; नष्ट होना; गिरना। उदीच्य-वि० [सं०] उत्तरका रहनेवाला। उदराग्नि-स्त्री० [सं०] जठराग्नि, पाचनशक्ति । उदीपन*-पु० दे० 'उद्दीपन' । उदरामय-पु० [सं०] पेटकी बीमारी।
उदीपित*-वि० दे० 'उद्दीप्त' । उदरावर्त-पु० [सं०] नाभि ।
उदीयमान-वि० [सं०] उगता, उदय होता हुआ । उदरी (रिन्)-वि० [सं०] बड़ी तोंदवाला ।
उदीरण-पु० [सं०] कथन, उच्चारण, बोलना। उदवना*-अ० क्रि० उदय होना ।
उदीरित-वि० [सं०] कहा हुआ। उदवाह-पु० दे० 'उद्वाह'।
उदुंबर-पु० [सं०] दे० 'उडुंबर'।
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