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उड्डीयमान-उत्कर्ण
१०२ उडीयमान-वि० [सं०] उड़नेवाला; उड़ता हुआ। उतार-पु० उतरनेकी क्रिया; चढ़ावका उलटा, ढाल; उत. उढ़कना-अ० क्रि० ठोकर खाना सहारा लेना; रुकना।। रनेका क्रम, घटाव; भाटा; वह जगह जहाँसे नदी हलकर उढ़काना-स० कि० सहारा देकर खड़ा करना, भिडाना। पार की जा सके; (विषमंत्रका) प्रभाव दूर करनेवाली दवा, उढ़ना*-स० क्रि० बाहर निकालना।
युक्ति; उतारन; *उतारा। -चढ़ाव-पु० ऊँचाई-नीचाई; उढरना -अ० क्रि० स्त्रीका परपुरुषके साथ निकल जाना ।। हानि-लाभ । उदरी-स्त्री० भगाकर लायी हुई स्त्री, रखेली
उतारन-पु० पहना हुआ पुराना कपड़ा जो नौकर आदिको उढ़ाना-स० कि० दे० 'ओढ़ाना'।
दे दिया जाय; न्योछावर, निकृष्ट वस्तु । उढ़ारना-स० क्रि० दूसरेकी स्त्रीको भगा लाना।
उतारना-स० क्रि० ऊपरसे नीचे लाना; पहनी हुई चीजउदावनी, उढ़ौनी-स्त्री० दे० 'ओढ़नी'।
को अलग करना; दूर करना; मंत्रादि पढ़कर प्रभाव दूर उतंक*-वि० ऊँचा।
करना; निकाल लेना (मलाई आदि); काटकर जुदा कर उतंग*-वि० ऊँचा, उत्तुंग ।
देना; कमीकी ओर लाना, घटाना; (साँचे आदिपर चढ़ी उतंत*-वि० बड़ा, सयाना, जवान ।
वस्तुको) तैयार कर लेना; पका लेना; खींचना, उरेहना; उत*-अ० उधर, वहाँ।
नकल करना; पटाना, चुकाना; कस ढीला करना; मुकाउतन*-अ० उधर ।
बलेमें लाना; पार पहुँचाना, प्यादेको बढ़ाकर बड़ा मोहरा उतना-वि० उस मात्राका; उस कदर । अ० उस मात्रामें । बनाना; तीलमें पूरा कर देना; टिकाना, ठहरनेका प्रबंध उतपन्न*-वि० दे० 'उत्पन्न ।
करना; न्योछावर करना; सिर या चेहरेके चारों ओर उतपानना*-स० क्रि० उपजाना । अ० क्रि० उपजना, घुमाना (आरती आदि); उतारा करना; वसूल करना उत्पन्न होना।
(चंदा आदि); अर्क खींचना निकालना; तोड़ना। उतमंग*-पु० दे० 'उत्तमांग'।
उतारा-पु० रोग या प्रेतबाधाकी निवृत्तिके लिए पीड़ित उतर-पु० दे० 'उत्तर'।
व्यक्तिपर कोई चीज वारकर चौराहे आदिपर धर देना; उतरना-स्त्री० उतारा, पुराने कपड़े। -पुतरन-स्त्री० इस क्रियामें व्यवहृत सामग्री; * टिकना पड़ावः नदी उतारे हुए पुराने कपड़े।
पार करना। उतरना-अ० कि० ऊपरसे नीचे आना, ह्रास, बिगाड़की उतारू-वि० उद्यत, आमादा ।
ओर आना; ढलना; घटना; फीका, हलका पड़ना; दूर | उताल*-अ० शीघ्र । स्त्री० शीघ्रता । होना (ज्वर, क्रोध आदि); हटना भोगकाल समाप्त होना उताली*-स्त्री० शीघ्रता, फुर्ती । (मास, नक्षत्र आदिका); कटकर अलग होना; पके फलोंका | उतावल*-अ० शीघ्रतापूर्वक, जल्द । तोड़ा जाना; (साँचे आदिपर चढ़ी चीजका) बनकर तैयार उतावला-वि० उतावली करनेवाला, जल्दबाज; बेसब्र । होना; पार होना; टिकना, ठहरना सिद्ध होना, निकलना; उतावली-स्त्री० जल्दी, जल्दबाजी; अधीरता । वि० स्त्री० प्रवेश करना; वसूल होना; ढीला होना; खिंचना, अंकित जल्दी मचानेवाली, अधीर । होना; नकल होना तौलमें ठीक आना; जन्म लेना अखाड़े में | उताह (हि)ल*-अ० दे० 'उतावल' कुश्तीके लिए आना; प्यादेका कोई बड़ा मोहरा बनना उतृण*-वि० उऋण, ऋणमुक्त । (शतरंज); पकती हुई चीजका तैयार होना; बच्चोंका मर| उतै-अ० उस ओर, वहाँ । जाना; भर आना (नजला आदि); उधड़ना घटित होना ।। उतैला*-वि० उतावला । उतरवाना-स० क्रि० 'उतारना'का प्रे० रूप ।
उत्, उद्-उप० [सं०] यह शब्दोंके पहले लगकर ऊपर उतराई-स्त्री० उतरनेकी क्रिया; चढ़ाईका उलटा, ढाल; (उद्गमन), अतिक्रमण ( उत्क्रांत), उत्कर्ष (उद्बोधन), नदीके पार उतारनेका भाड़ा, खेवा; पुलका महसूल । । प्राबल्य (उद्बल),प्राधान्य (उद्दिष्ट), अभाव (उत्पथ), विकास उतराना-अ० क्रि० पानीके ऊपर रहना, बहना या आना (उत्फुल्ल, शक्ति (उत्साह) आदिका सूचन करता है। उफनना; हर जगह देख पड़ना; छा जाना; पीछे-पीछे | उत्कंठ-वि० [सं०] गरदन ऊपर किये हुए, उग्रीव लगे फिरना।
उद्यत; उत्कंठायुक्त। उतरायल-वि० उतारा हुआ; पहना हुआ।
उत्कंठा-स्त्री० [सं०] विलंब न सह सकनेवाली इच्छा, उतरावना*-स० क्रि० 'उतारना'का प्रे० रूप ।
लालसा बेचैनी; प्रियसे मिलनेकी उत्सुकता । उतरीहां -अ० उत्तरकी और । वि० उत्तरका
उत्कंठित-वि० [सं०] उत्कंठायुक्त, उत्सुक अधीर । उतरिन*-वि० ऋणमुक्त।
उत्कंठिता-स्त्री० [सं०] प्रियमिलनके लिए बेचैन नायिका; उतलाना*-अ० क्रि० उतावली करना ।
संकेतस्थलपर प्रियके न मिलनेसे चिंता करनेवाली नायिका । उतल्ला*-अ० दे० 'उताइल'।
उत्कंधर-वि० [सं०] जिसने गरदन ऊपर उठायी हो, उतहसकंटा-स्त्री० उत्कंठा ।
- उग्रीव । उताह(य)ल*-अ० उतावलीके साथ, जल्दी-जल्दी । वि० उत्कच-वि० [सं०] जिसके बाल खड़े हों; गंजा। उतावला।
उत्कट-वि० [सं०] तीव्र; उग्र प्रबल; विकट । उताइ(य)ली*-स्त्री० उतावली
उत्कर्ण-वि० [सं०] जो कान खड़े किये हुए हो; सुननेको उतान-वि० चित, पीठके बल लेटा हुआ ।
उत्सुक।
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