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उज - पु० [सं०] झोपड़ी, कुटी ।
उटड़पा, उटड़ा, उटहड़ा - पु० गाड़ीका अगला हिस्सा जमीनपर टिकानेके लिए जूएके नीचे लगी लकड़ी ! उगना - अ० क्रि० बैठनेमें किसी चीजका सहारा लेना; थकावट मिटाने के लिए बैठे-बैठे थोड़ा सो लेना । उगाना - स० क्रि० किवाड़ोंको बिना साँकल-सिटकिनी के बंद करना जिससे वे केवल धकेलनेसे खुल जायें; किसी चीजको दूसरी चीजके सहारे टिकाना ।
उठना- अ० क्रि० ऊपर की ओर जाना, ऊँचाईमें बढ़ना, जुड़-जुड़कर ऊँचा होना; लेटे हुएका बैठना; बैठेका खड़ा, होना; जागना; शय्या छोड़ना; मनमें उपजना ( विचार, शंका इ० ); याद आना; अचानक उपस्थित होना (आँधी, पीड़ा इ०); उगना; खमीर या सड़न पैदा होनेसे उफनना; निर्माण होना; खर्च होना; बिकना; भाड़े या लगानपर जाना; कुछ काल या सदाके लिए बंद होना; अंत होना; चलना, प्रस्थान करना; मरना; (गाय आदिका) मस्तीपर आना; उन्नति करना, ऊँची स्थितिको प्राप्त होना; रोगमुक्त होना; आमदा होना; उभरना (छपने में अक्षर आदिका) । मु० उठ खड़ा होना - चलनेको तैयार होना । ( दुनिया से ) उठ जाना - मर जाना, चल बसना । उठती जवानी - किशोरावस्था, उभरती हुई जवानी । उठते-बैठते - हर वक्त | उठना-बैठना-साथ, मेल-जोल । उठा बैठी- उठने-बैठने की कसरत; हैरानी । उठल्लू - वि० एक स्थानपर जमकर न रहनेवाला, जो कहीं टिके नहीं । मु० - का चूल्हा - बेमतलब घूमनेवाला । उठाईगीरा - पु० जो छोटी-मोटी चीजें उठाकर चलता बने,
उचक्का ।
उठान - स्त्री० उठनेकी क्रिया; बाढ़; आरंभ; खपत; ऊँचाई । उठाना - स० क्रि० नीचेसे ऊपर ले जाना; लेटे हुएको बैठाना; बैठे हुएको खड़ा करना; जगाना; ऊपर लेना, वहन या धारण करना; हटा या निकाल देना; अंगीकार करना; छेड़ना, आरंभ करना; कुछ काल या सदा के लिए बंद करना; अंत करना; खर्च करना; भोगना; भाड़ेपर देना; बनाना, निर्माण करना; कसम खानेके लिए हाथमें लेना (गंगाजल, तुलसी आदि । ) मु०-उठा रखनाकसर रखना, छोड़ रखना या बाकी रखना । उठाव - पु० उठा, उभरा हुआ भाग; उठान । उठौआ - वि० जो उठाया जा सके; जो दूसरी जगह ले जाया जा सके ।
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उठौनी - स्त्री० उठानेकी उजरत; पेशगी दिया हुआ मूल्य, दादनी; पुरहत; उधार लेन-देन; ब्याह पक्का करनेके लिए कन्यापक्षको दिया जानेवाला धन; पूजा आदिके निमित्त अलग रखा हुआ धन; मृतक संबंधी एक रीति; एक तरहकी धानके खेतकी जोताई; प्रसूताकी शुश्रूषा । उड़कू - वि० उड़नेवाला; चलने-फिरनेवाला । उड़* - पु० दे० 'उड्डु' । -पति, पाल, - राज - पु० दे० 'उडुपति' ।
उड़द - पु० दे० 'उरद' ।
उड़न-स्त्री० उड़नेकी क्रिया, उड़ान । - खटोला - पु० उड़नेवाला खटोला, विमान ।-छू - वि० गायब, लापता ।
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उटज - उड्डयन
उड़ना - अ० क्रि० पंख के सहारे हवामें चलना-फिरना; विमान आदिपर बैठकर आकाशमार्गसे यात्रा करना; हवा के साथ डोलना-फिरना ( पत्ता, धूल आदि ); बिखरना; फैलना; फहराना, लहराना; नष्ट, लुप्त होना; फीका पड़ना; कटकर अलग हो जाना; खर्च होना; ( आनंदपूर्वक ) भोगा जाना; पड़ना, लगना ( जूते, बेंत इ० ); छलाँग भरना, घोड़ेका चौफाल कूदना; उछलकर लाँघ जाना; बहुत तेजीसे जाना, भागना; धोखा, चकमा देना; बात उड़ाना; इतराना; बहानेबाजी करना । उड़ती खबर - स्त्री० सुनी सुनायी खबर । उड़प - पु० एक तरहका नाच; उडुप | उड़सना* - अ० क्रि० उठना, भंग होना ।
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उडाँक (कू) *- वि० उड़नेवाला; जिसमें उड़नेकी योग्यता हो । उड़ाइक * - पु० ( गुड्डी आदि ) उड़ानेवाला । उड़ाऊ - वि० पैसा बर्बाद करनेवाला, फुजूलखर्च । - पनपु० फुजूलखचीं । उड़ाक - वि० उड़ानेवाला; पतंग उड़ानेवाला । उड़ाका - पु० उड़नेवाला; हवाई जहाजपर उड़नेवाला; हवाई जहाजका चालक । उड़ाकू - वि० उड़नेवाला; उड़ने में समर्थ । उड़ान - स्त्री० उड़नेकी क्रिया; उड़नेकी सामर्थ्य की सीमा; हवाई जहाज आदि एक उड़ान में जहाँतक जा सकें; (लंबी) छलाँग; * कलाई ।
उड़ाना-स० क्रि० उड़नेकी क्रिया कराना, उड़नेवाले प्राणी, वस्तुको चलाना; लहराना, फहराना; बिखेरना, फैलाना; गायब करना; सफाईसे चुराना; झटक लेना; नष्ट करना, मिटा देना; अलग कर देना, काटकर फेंक देना; बारूद, गोले आदिसे नष्ट कर देना; खर्च करना; भोगना; (चिड़ियों आदिको भगा देना; मारना; तेजी से दौड़ाना; लगाना; चकमा, भुलावा देना; चुपकेचुपके कौशल से कुछ सीख लेना छितरा जाना । उड़ायक* - वि० दे० 'उड़ाइक' | उड़ास * - स्त्री० वासस्थान ।
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* अ० क्रि० उड़ना;
उड़ासना - स०क्रि० (बिस्तरा आदि) समेटना, उठाना; "भगाना, उदवासना; उजाड़ना ।
उड़िया - पु० उड़ीसाका निवासी । स्त्री० उड़ीसा की भाषा । उड़ी - स्त्री० मालखंभकी एक कसरत; कलाबाजी । उदुंबर - पु० [सं०] गूलर; दरवाजेकी चौखट । उडु - पु० [सं०] नक्षत्र; जल । -५ -५० चंद्रमा वरुण; एक तरहकी नाव, मेला; एक तरहका पानपात्र । - पतिराज - पु० चंद्रमा वरुण । - पथ - पु० आकाश | उ. डुस - पु० खटमल |
उड़ेरना* - स० क्रि० दे० 'उड़ेलना' ।
लड़ेलना-स० क्रि० तरल पदार्थको एक वर्तन से दूसरे बर्तनमें ढालना या जमीनपर गिराना ।
उड़ैनी* - स्त्री० जुगनू - 'साम रैन जनु चलै उड़नी' - प० । उड़ौहा*- * - वि० उड़नेवाला ।
उड्डयन- पु० [सं०] उड़ना । - विभाग पु० हवाई जहाजों आदि की व्यवस्था करनेवाला सरकारी विभाग ।
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