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आसीस-आहुत
आसीस-स्त्री० आशीर्वाद ।
आस्वाद-पु० [सं०] रस, स्वाद, मजा; रसानुभव, चखना। आसु*-सर्व ० इसका । अ० दे० 'आशु' । -ग-वि० दे० आस्वादन-पु० [सं०] रस,स्वाद लेना, चखना; खाना । 'आशुग'। -तोष-पु० दे० 'आशुतोष' ।
आस्वादित-वि० [सं०] चखा, स्वाद लिया, खाया हुआ। आसुर-वि० [सं०] असुरका; असुर-संबंधी। पु. वह
आस्वाद्य-वि० [सं०] चखने, स्वाद लेने योग्य; मजेदार । विवाह जिसमें वर कन्याके पिता-माताको धन देकर | आह-अ० कुश, शोक, वेदना आदिका सूचक उद्गार, हाय। कन्या खरीदता है; * असुर ।
स्त्री० दुःख, पीड़ा प्रकट करनेवाली ध्वनि, कलपने, करा आसुरी-स्त्री० * असुर-स्त्री, दानवी ।-वि० स्त्री० [सं०]
हनेकी आवाज; हाय, ठंढी साँसः शाप । * पु० साहस असुरकी; असुर-संबंधिनी; असुरोचित । -चिकित्सा- जोर, बल; क्रोध; ललकार । मु०-करना-कलपना। स्त्री० शल्य-चिकित्सा। -माया-स्त्री० असुरोंकी माया।
-खींचना-टॅढी साँसके साथ आह करना, कलपना। -संपत्-स्त्री० बुरे तरीकेसे प्राप्त किया हुआ धन ।
-पड़ना-शाप पड़ना, किसीको सताने, रुलानेका फल आसूदगी-स्त्री० [फा०] आसूदा होना; तृप्ति । -
मिलना । -भरना-दे० 'आह खींचना'। -मारनाआसूदा-वि० [फा०] तृप्त, संतुष्ट; सम्पन्न ।
ठंढी साँस खींचना । -लेना-सतानेका फल अपने ऊपर आसेक-पु० [सं०] भिगाना, तर करना, सिंचन करना।
लेना। आसेचन-पु० [सं०] दे० 'आसेक' ।
आहट-स्त्री०किसीके चलने, हिलने आदिसे होनेवाली आसेध-पु० [सं०] (अटैचमेंट) कर्ज या जुर्माने आदिकी
हल्की आवाज, चाप; किसीकी उपस्थितिका अनुमान वसूलीके लिए न्यायालयकी आज्ञासे किसीकी संपत्तिपर |
करानेवाली ध्वनि टोह । मु०-लेना-आहट पाने, टोह अधिकार किया जाना, कुकी।
लेनेके लिए कान लगाये रहना। आसेधक-वि० [सं०] कैद करनेवाला, रोक रखनेवाला। आहत-वि० [स] जिसपर प्रहार, आघात किय आसेब-पु० [फा०] चोट; कष्ट; बाधा; प्रेतबाधा।
बजाया हुआ; घायल; रोंदा हुआ हटाया, निकाला हुआ आसोज(जा) -पु० आश्विन मास ।
गुणित; व्याघात दोषयुक्त, असंगत (वाक्य)। आसौं*-अ० इस साल ।
आहतोपचारी दल-पु० [सं०] (ऐंबूलेंसकोर) घायलोंका भास्तरण-पु० [सं०] फैलाना; बिछाना; दरी; गहा
उपचार करनेवाले डाक्टरों, कंपाउंडरों, परिचारकों
आदिका दल, परिचारण-दल । आस्तिक-वि० [सं०] ईश्वर और परलोकको माननेवाला; | आहनन-पु० [सं०] मारना, पीटना; डंडा। वेदको माननेवाला; धर्मनिष्ठ । पु० ईश्वर तथा परलोकमें आहर* -पु० समय; दिन; युद्ध; पशुओंके धोने आदिके विश्वास करनेवाला व्यक्ति ।
लिए बना हुआ जलाधार । आस्तिकता-स्त्री०, -आस्तिकत्व-पु० [सं०] दे० आहरण-पु० [सं०] लेना; छीन लेना; उठा ले जाना। 'आस्तिक्य' ।
हटाना। आस्तिक्य-पु०[सं०] ईश्वर आदि में विश्वास धार्मिकता। आहरन-पु० निहाई । आस्तीन-स्त्री० [फा०] सिले कपड़ेका बाँहपरका भाग, आहर्ता (1)-वि० [सं०] आहरण करनेवाला; छीनने, बाँही । मु०-का सॉप-मित्र बनकर शत्रुता करनेवाला, लेनेवाला; लानेवाला। दोस्तनुमा दुश्मन । -चढ़ाना-लड़नेको तैयार होना आहवन-पु० [सं०] यज्ञ होम करना; हवि । किसी कामके लिए तैयार होना ।
आहवनीय-वि० [सं०] आहुति देने योग्य । आस्ते*-अ० दे० 'आहिस्ता'।
आहाँ*-स्त्री० दुहाई, पुकार, आह्वान ।अनिषेध-सूचक आस्थगन-पु० [सं०] (अबेएंस) कुछ समयके लिए स्थगित शब्द।। कर देना या लागू न करना।
आहा-अ० हर्ष, आश्चर्य व्यक्त करनेवाला उद्गार, अहाहा । आस्था-स्त्री० [सं०] आदर; विश्वास; श्रद्धा; आलंबन, आहार-पु० [सं०] ग्रहण, लेना; खाना, भोजन; खानेकी सहारा सभा; वादा; आशा स्थिति प्रयल।
वस्तु । -विज्ञान-पु० वह विज्ञान जिसमें खाद्य पदार्थोके आस्थान-पु० [सं०] स्थान; सभा; सभागृह; दरबारः गुण-दोष, योग, पोषणतत्त्व, वर्गीकरण आदिका विचार 'मनोरंजनका स्थान; श्रद्धा, आस्था।
किया गया हो। -विहार-पु० भोजन, शयन, श्रम आस्पद-पु० [सं०] स्थान; अधिष्ठान, आलंबन, पद, अल्ल, आदि; रहन-सहन । कुलकी उपाधिः काम; कुंटलीमें दशम स्थान ।
आहारी (रिन् )-वि० [सं०] ग्रहण करनेवाला; खानेआस्फालन-पु० [सं०] हिलाना; फड़फड़ाना, घमंड। - वाला; एकत्र करनेवाला। आस्फोट-पु० [सं०] ताली बजाने या ताल ठोकनेकी| आहार्य-वि० [सं०] ग्रहण करने, लेने, छीनने, खाने आवाज; रगड़ या धक्का; हिलना; काँपना।
योग्य । पु० नायक-नायिकाका एक दूसरेका भेस बनाना । आस्मारक-पु० [सं०] ( मेमोरियल ) वह रचना, कार्य, | आहिंडन-पु० [सं०] (वैसी) वेधर-द्वारके, बेमतलब भवन इत्यादि जिसका लक्ष्य किसीकी याद बनाये रखना इधर-उधर भटकना, बेकार घूमना, आवारागर्दी। हो; कही हुई बातों आदिका मरण दिलानेके लिए किसी आहिस्ता-अ० [फा०] धीरेसे धीरे-धीरे धीमी आवाजसे । अधिकारीके पास भेजा गया पत्रक ।
| -आहिस्ता-अ० धीरे-धीरे; क्रमशः। आस्य-पु० [सं०] मुंह, चेहरा ।
आहत-वि० [सं०] देवादिके लिए हविरूपमें अर्पित.
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