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आश्रयी-आसीन सहायता; सहारा; संरक्षक ।
आसना*-अ० क्रि० होना।। आश्रयी (यिन)-वि० [सं०] आश्रय लेनेवाला। आसनी-स्त्री० छोटा आसन, बैठनेभरका बिछावन । आश्रित-वि० [सं० (किसीके सहारे) ठहरा, टिका हुआ; आसन्न-वि० [सं०] पास आया हुआ; उपस्थितप्राय: लगा, अवलंबित; अधीन; जो भरण-पोषणके लिए किसीपर। सटा हुआ। -कोण-पु० (ऐडजेसेंट) वे कोण जो एक ही अवलंवित हो।
विदुपर एक उभयनिष्ठ भुजाके दोनों ओर बने हों। - आश्लिष्ट-वि० [सं०]लगा, जुड़ा हुआ; संबद्ध आलिंगित ।। प्रसवा-वि० स्त्री० जिसे आज-कलमें ही बच्चा होनेवाला आश्लेष-पु० [सं०] लगाव, संबंध; आलिंगन ।
हो । -भूत-पु० भूत कालका वह भेद जिससे क्रियाकी आश्वस्त-वि० [सं०] आश्वास-प्राप्त, जिसका डर दूर कर | पूर्णता और भूतकालकी निकटता सूचित होती हो (व्या०)। दिया गया हो; जिसे ढाढ़स बंधाया गया हो; उत्साहित । -मरण,-मृत्यु-वि०जिसकी मृत्यु पास आ गयी हो, आश्वासक-वि० [सं०] आश्वासन देनेवाला।
कुछ ही देरका मेहमान । आश्वासन-पु० [सं०]. दिलासा देना; भयनिवारण; आस-पास-अ० अगल-बगल, चारों ओर करीब, पासमें । प्रोत्साहन ।
आसमान(माँ)-पु० [फा०] आकाश; स्वर्ग । मु०-के आश्विन-पु० [सं०] वह महीना जिसमें चंद्रमा अश्विनी तारे तोड़ना-दुस्साध्य, अनहोनी बात कर डालना । नक्षत्रके पास रहता है, कार ।
-छूना-बहुत ऊँचा होना, गगनचुंबी होना ।-जमीनके आश्विनेय-पु० [सं०] अश्विनीकुमार; नकुल-सहदेव । कुलाबे मिलाना-दूनकी हाँकना,लंबी-चौड़ी बातें करना । आषाढ-पु० [सं०] असाढ़का महीना।
-झाँकना,-ताकना-धमंड करना ।-टूटना-अचानक आषाढी-स्त्री० [सं०] आषाढकी पर्णिमा; इस दिन होने- भारी विपद् आ पड़ना, दैवकोप होना। -दिखानावाला कृत्य ।
कुश्ती में प्रतिद्वंद्वीको चित कर देना। -पर उड़ना, आसंग-पु० [सं०] आसक्ति, लगाव साथ संलग्नता। -पर चढ़ना-गर्वसे इतराना, मिजाज बहुत बढ़ जाना। आसंगी(गिन)-वि० [सं०] आसक्त संबद्ध ।
-पर चढ़ाना-अति प्रशंसाके द्वारा मिज़ाज बिगाड़ देना। आसंजन-पु० [सं०] बाँधना; धारण करना; उलझ जाना; -पर थूकना-बड़े आदमीको निंदित करनेके प्रयत्नमें संबंध; मूठ ।
स्वयं निंदित होना। -फटना-अचानक भारी विपद् आसंदिका-स्त्री [सं०] छोटी कुरसी; मचिया ।
आ पड़ना, दैवकोप होना। -में छेद होना-वर्षाका आसंदी-स्त्री० [सं०] मचिया; आराम-कुरसी; वेदी। न थमना, लगातार अतिवृष्टि होना। -में थिगली या आस-स्त्री० आशा भरोसा; सहारा कामना; * दिशा। थूनी लगाना-कठिन, अनहोनी बात करना। -सिरसु०-होना-आशा या सहारा होना; गर्भ रहना। पर उठा लेना बहुत शोर, ऊधम, कोलाहल मचाना । आसकतां-स्त्री० सुस्ती, आलस्य ।
-सिरपर टूट पड़ना-दैवकोप होना, अचानक कोई आसकती-वि. आलसी।
भारी विपद् आ पड़ना । -से गिरना,-से टपकनाआसक्त-वि० [सं०] आसक्तियुक्ता मनका प्रबल लगाव
(किसी चीजका) अपने आप उपस्थित हो जाना । -से रखनेवाला, अनुरक्त फँसा हुआ, लिप्त (विषयासक्त)। बातें करना-आसमान छूना। आसक्ति-स्त्री० [सं०] मनका लगाव अनुराग, लगन ।
आसमानी-वि० [फा०] आसमानका; आसमानके रंगका आसति-स्त्री० सत्य; आसक्ति समीपता मुक्ति । दैवी । स्त्री० हलका नीला रंग ताड़ी। आसतीन-स्त्री० दे० 'आस्तीन'।
आसमुद्र-अ० [सं०] समुद्रतक । आसते*-अ० दे० 'आहिस्ता'।।
आसय-पु० दे० 'आशय'। आसतोष-वि०, पु० दे० 'आशुतोष' ।
आसर*-पु० दे० 'आशर'। आसत्ति-स्त्री० [सं०] निकट संबंध, समीपता; मेल; वाक्यमें आसरना*-स० कि० आश्रय लेना । संबद्ध पदोंका पास-पास रहना; लाभ, प्राप्ति।
आसरा-पु० सहारा; अवलंब भरोसा; आशा प्रतीक्षा । आसथान*-पु० दे० 'आस्थान'।
आसव-पु० [सं०] मद्य रस; पुष्परसः अधरामृत; फल आसन-पु० [सं०] बैठना; वह चीज जिसपर बैठा जाय | आदिके खमीरसे तैयार किया हुआ अर्क; मद्यपात्र । (चटाई, कुरसी आदि); बैठनेकादंग रुकना रहनाः फेंकनाः आसा*-स्त्री० दे० 'आशा' । पु० दे० 'असा'। हठयोगके अंदर बैठने और विभिन्न अंगोंके व्यायामकी आसाइश-स्त्री० [फा०] सुख, आराम: विधियाँ रतिक्रियाकी कोई विधि । मु०-उखड़ना-जम
आसाढ़-पु० दे० 'आषाढ'। कर न बैठ सकना, डगमगाना ।-करना-योगके अनुसार आसादित-वि० [सं०] लब्ध, प्राप्त रखा हुआ। शरीरको विशेष स्थितिमें रखना; टिकना । -कसना
आसान-वि० [फा०] सहल, सुगम, सीधा। अंगोंको तोड़-मरोड़कर बैठना । -छोड़ना-उठकर चल | आसानी-स्त्री० [फा०] सहल होना, सुगमता । देना । -जमाना-जमकर, अडिग भावसे बैठना अपनी | आसार-पु० [अ०] पदचिह्न चिह्न, लक्षण बँडहर । स्थिति, अधिकार दृढ़ कर लेना; डेरा डालना ।-डिगना, आसिख(खा)*-स्त्री० आशीर्वाद । -डोलना-चित्तका विचलित हो जाना: मनमें भय या आसिरवचन-पु० आशीर्वाद । घबराहट पैदा हो जाना; मन ललचाना। -मारना,- आसी*वि०खानेवाला (आशी) । लगाना-आसन जमाना, जमकर बैठना ।
| आसीन-वि० [सं०] बैठा हुआ।
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