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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आहुति-इंद्रानी होमा हुआ । पु० अतिथि सत्कार; भूतयज्ञ । कता पड़नेपर संचालकों द्वारा हिस्सेदारोंसे माँगा जाय । आहुति-स्त्री० [सं०] यशादिके समय हवनसामग्री आह्निक-वि० [सं०] दैनिक एक दिन या प्रतिदिनका। अग्निमें डालना; हवनसामग्री; उतनी हवनसामग्री जो -कर्म(न)-पु० नित्यकर्म । एक बारमें अग्निमें डाली जाय; बलि; ललकार । आह्लाद-पु० [सं०] हर्ष, आनंद, खुशी। आहुती*-स्त्री० यज्ञाग्निमें हवनसामग्री डालना; हवनके | आह्लादित-वि० [सं०] आहादयुक्त, आनंदित । रूपमें डाली जानेवाली वस्तु । आह्वान-पु० [सं०] बुलाना; पुकार, बुलावा; देवताका आइत-वि० [सं०] बुलाया, पुकारा, न्योता हुआ।-पूजी- आवाहन; अदालतमें हाजिर होनेका आदेश, तलबनामा स्त्री० [हिं०] (कॉल्ड अप कैपिटल) किसी कारखाने, ललकार, चुनौती; नाम ।-पत्र-पु०(समंस) न्यायालय में कंपनी आदिके बिके हुए हिस्सोंका वह अंश जो आवश्य-। उपस्थित होनेका आदेश, समन । भारानी क० ईसा गेदुरी, इ-देवनागरी वर्णमालाका तीसरा (स्वर) वर्ण । इसका । स्त्री० चंद्रमाकी कला; अमृता; गुडुची। -कांत-पु० उच्चारण-स्थान तालु है। चंद्रकांत मणि । -कांता-स्त्री० रात्रि केतकी। -ज,इंगला-स्त्री० इडा नामकी नाडी। नंदन,-पुत्र-पु० बुध ग्रह । -भूषण, भृत्-मौलि,इंगित-पु० [सं०] संकेत, इशारा; अभिप्राय; मनका भाव शेखर-पु० शिव । -मणि-पु० चंद्रकांत मणि, मोती। बतानेवाली अंगचेष्टा । वि० जिसकी ओर संकेत किया -रेखा, लेखा-स्त्री० चंद्रमाकी कला; अमृता; गुडुची । जाय; चलित, कंपित । -वदना-स्त्री० चंद्रमुखी; एक वर्णवृत्त । -वल्ली-स्त्री० इंगुद-पु०, इंगुदी-स्त्री० [सं०] हिंगोटका पेड़। सोमलता । -वासर-पु० सोमवार । -व्रत-पु० इंगुर*-पु० दे० 'ईगुर'। चांद्रायण व्रत। हुँगुरीटी-स्त्री० ईगुर या सेंदुर रखनेकी डिबिया । | इंदुआ-पु० दे० 'इंदुरी' । इंच-स्त्री० [अं०] फुटका बारहवाँ भाग, तीन जौकी लंबाई । मती-स्त्री० [सं०] पूर्णिमा; अजकी पत्नी । इचना*-अ० क्रि० खिचना । इंदूर-पु० [सं०] चूहा। इंजन-पु० एंजिन कल, यंत्र; भाप आदिकी शक्तिको चालक | इंद्र-पु० [सं०] देवराज; अंतरिक्षका देवता; वर्षाका देवता शक्तिमें बदल देनेवाला यंत्र; रेलवे इंजन; देह (ला०)। मेध; राजा, अधिपति श्रेष्ठ, प्रधान व्यक्ति आदि (कवींद्र); इंजीनियर-पु० [अं०] इंजन बनानेवाला; यंत्रविशेषज्ञ छप्पय छंदका एक भेद; १४ की संख्या; आत्मा । नहर, पुल आदिके नकशे बनाने और उनके निर्माणकी -गोप-पु० बीरबहूटी।-चाप-पु० इंद्रधनुष् । -जाल निगरानी करनेवाला। -पु० जादू, नजरबंदीके काम; हाथकी सफाईके काम इंजील-स्त्री० [यू०] ईसाइयोंकी धर्मपुस्तक, बाइबिल । बाजीगरी; अर्जुनका एक अस्त्र; एक रणकौशल । -जालिक इंदुरी*-स्त्री०, इंडवा-पु० गेंडुरी, बिड़ई । -पु० इंद्रजाल करनेवाली, जादूगर, बाजीगर ।। -जित् इंतितकाल-पु० [अ०] हस्तांतरित होना; मरना, मृत्यु । -वि० इंद्रको जीतनेवाला। पु० मेघनाद । -जी-पु० इंति(त)ख़ाब-पु० [अ०] छाँटना; चुनाव; खसरे- [हिं०] दे० 'इंद्रयव' । -दमन-पु० बाढ़में नदीके पानीखतियौनीके किसी कागजकी वाजान्ता नकल । का किसी वट, पीपल या कुंडतक पहुँच जाना; मेघनाद । इंति(त)जाम-पु० [अ०] प्रबंध करना; व्यवस्था, उपाय । -धनुष-पु० बरसातमें आकाशमें अक्सर दिखाई देने इंति(त)ज़ार-पु० [अ०] प्रतीक्षा करना, राह देखना । वाला सतरंगा अर्द्धवृत्त । -नील-पु० नीलकांत मणि । इति(त)हा-स्त्री० [अ०] अंत, समाप्ति; सीमा; अति । -नेत्र-पु० इंद्रकी आँखें; एक हजारकी संख्या (इंद्रकी -पसंद-वि० अतिवादी, 'एक्सट्रीमिस्ट' । [-कर देना- आँखोंकी गिनतीसे)। -प्रहरण-पु० वज्र । -मखअति करना, हद कर देना।] पु० इंद्रकी तुष्टिके लिए किया जानेवाला एक यश-मद इंति(तहाई-वि० [अ०] अतिशय, हद दर्जेकी । -पु० पहली वर्षासे मछलियोंको होनेवाला एक रोग । इंद, इंदर-* पु० दे० 'इंद्र'। -यव-पु० कुटजका बीज, इंद्रजी। -लोक-पु० स्वर्ग । इंदराज-पु० [फा०] बही या हिसाबमें चढ़ाया जान।। -वज्रा-स्त्री० एक वर्णवृत्त ।-वधू-स्त्री० बीरबहूटी। इंदव-पु० एक वृत्त; * दे० 'इंदु'। -वारुणी-स्त्री० इंद्रायन । -व्रत-पु० राजाका प्रजाके इंदारा-पु० कूप । समृद्धिसाधनमें इंद्रका अनुसरण करना, जो जल बरसाकर हुँदारुन-पु० एक लता और उसका फल जो देखने में सुंदर संपूर्ण प्राणियोंका पोषण करता है। -सारथि-पु० पर स्वादमें बहुत कड़वा होता है (यह विष है, पर दवाके मातलि; वायु ।-सुत,-सूनु-पु० जयंत; अर्जुन; बालि । काम आता है), इंद्रायन । -सेनानी-पु० कात्तिकेय । -का अखाड़ा-इंद्रसभा इंदिरा-स्त्री० [सं०] लक्ष्मी; कांति, शोभा । -मंदिर- नाच-रंगकी खूब जमी हुई महफिल । -की परीपु० विष्णु; नील कमल । -रमण-पु० विष्णु । अप्सरा अति रूपवती स्त्री। इंदि(दी)वर-पु० [सं०] नील कमल । इंद्राणी-स्त्री० [सं०] इंद्रकी पत्नी; दुर्गा; इंद्रायन । इंद-पु० [सं०] चंद्रभा एककी संख्या कपूर । -कला- | इंद्रानी*-स्त्री* दे० 'इंद्राणी' । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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