________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 15 // मिथुने पुत्रः पुत्री चेति भावभगिनीयुगले // 16 // 17 // 18 // 18 // अत्र स्वयमिति पदं स्वकीय महाविद्या महावाणी भारती वाक् सरस्वती। आया ब्राह्मी महाधेनुर्वेदगर्भामुरेश्वरी // 15 // अथोवाच महालक्ष्मीर्महाकाली सरस्वतीम् / युवां जनयतां देव्यौ मिथुने खानुरूपतः // 16 // इत्युक्ता ते महालक्ष्मीः ससर्ज मिथुनं खयम् / हिरण्यगर्भी रुचिरौ स्त्रीपुंसी कमलासनौ // 17 // ब्रह्मन् विधे विरञ्चेति धातरित्याहतं नरम् / श्रीः पद्म कमले लक्ष्मोत्याह मातास्त्रियञ्च ताम् // 18 // महाकाली भारतौ च मिथुने सृजतिम्म ह / एतयोरपि रूपाणि नामानि च वदामि ते // 16 // नीलकण्ठं रक्तबाहुं श्वेताङ्गं चन्द्रशेखरम् / जनयामास पुरुषं महाकाली सितां स्त्रियम् // 20 // मेव श्रीनामकं व्यष्ट्यन्तर्गतं रूपान्तरं त्वेत्यर्थकमिति केचिद व्याचक्षते, महालक्ष्मीरिति व्यथ्या एव नामेति च वदतामस्माकं तु नायं लेशः // 17 // 18 // 18 // 20 // For Private and Personal Use Only