________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir पखादेति उग्राभिः दंष्ट्राभिः क्षुसाः चूक्विनाः शिरोधरा ग्रीवा येषां तान् // 35 // नेशः मृताः 36 // स.टी. 08 तत: सिंहश्चखादोग्रदंष्ट्राक्षुमशिरोधरान्। असुरांस्तांस्तथा काली शिवदूती तथाऽपरान् // 35 // कौमारीशक्तिनिर्भिन्नाः केचिन्नेशर्महासुराः / ब्रह्माणी मन्त्रपूतन तोयेनान्ये निराकृताः // 36 // माहेश्वरी विशूलेन भिन्ना: पेतुस्तथा परे। वाराहीतुण्डघातेन केचिच्चूर्णीकृता भुवि // 37 // खण्ड खण्डञ्च चक्रण वैष्णया दानवाः कृताः / वजेण चैन्द्रीहस्ताग्रविमुक्तेन तथापरे // 38 // केचिदिनेशुरमुराः केचिन्नष्टा महाहवात् / भक्षिताश्चापरे- काली-शिवदूती-मृगाधिपः // 38 // इति मार्कण्डेयपुराणे सावर्णिके मन्वन्तरे देवीमाहाज्ये निशुंभबधो नाम नवमोऽध्यायः // 6 // .30 // 18 // विनेश: मृताः नष्टाः पलायिताः // 38 // इति गुप्तवत्यां मन्त्रव्याख्याने नवमोऽध्यायः ne For Private and Personal Use Only