________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ददावशून्यं सुरया पानपात्र धनाधिपः / शेषश्च सर्वनागेशो महामणिविभूषितम् // 26 // नागहारं ददौ तस्यै धत्ते यः पृथिवीमिमाम् / अन्यैरपि मुरैर्देवी भूषणैरायुधैस्तथा // 30 // सम्मानिता निनादोच्चैः सादृहासं मुहुर्मुहुः / तस्या नादेन घोरेण कृत्स्नमापूरितं नमः // 31 // अमायतातिमहता प्रतिशब्दो महानभूत् / चुनुभुः सकला लोकाः समुद्राश्च चकम्पिरे // 32 // चचाल वसुधा चेलुः सकलाश्च महीधराः / जयेति देवाश्च तदा तामूचुः सिंहवाहिनीम् // 33 // तुष्टुवुमनयश्चैनां भक्तिनम्रात्ममूर्तयः / दृष्ट्वा समस्तं संक्षुब्ध बैलोक्यममरारयः // 34 // सन्नदाखिलसैन्यास्त समुत्तस्थुरुदायुधाः / आः किमेतदिति क्रोधादाभाष्यमहिषासुरः // 35 // 28 // 30 // 31 // अमायता अपर्याप्ताधिकरण करण केन // 32 // 33 // 34 // 35 // For Private and Personal Use Only