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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुण 6 . पुण्येन कर्करो रत्न, पुण्येन च विषं सुधा // सर्पः पुण्येन माला स्यात् कुमारस्य तथाभवत्।। कुमारोऽपि मुनिप्राह, पूर्वयेन हृतोऽस्म्यहम्।। स वाजो न स्थले दृष्टो, न च दृष्टं सरोवरम् / / चरित्र. कोहेतुः पोचिवान सूरिहॅमचूलस्य यः पिता ॥जातोऽस्ति व्यंतरस्तेन, पुरवासाय तत्कृतम् // लक्ष्मीधरो भवं श्रुत्वा, तदा जातिस्मृतिं ययौ // विशेषादार्हतं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ // I मुनि नत्वा गृहं गत्वा, राज्यं लक्ष्मीधरे सुते॥ निवेश्य श्रीधरो राजा, जगृहे संयम स्वयम् / अथ लक्ष्मीधरो भूपः, पालयन पृथिवी चिरम् // जिनपूजापवित्रात्मा, धर्मकर्म चकार सः॥ समयेऽथ सुते राज्यं, न्यस्य संयममग्रहीत् // विहितानशनः प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽभवत् // चिरं सुखान्यसौभुक्त्त्वा , देवलोकात्ततच्युतः॥सप्तमःशंखनामाभूत्तनयस्तवभूपते // 217 / / / / // इति पूजाधिकारे धननाथकथा / - -*(*16चूर्णपूजा कृता येन फलं तस्य प्रकाश्यते // चूर्णशब्देन कर्पूरो, ज्ञातव्योऽत्र मनीषिभिः॥ अस्त्यत्र नगरं रम्यं, भरते श्रीपुराभिधम् / / श्रीचंद्रो नृपतिस्तत्र, तस्य चंद्रावती प्रिया // तत्रैव नगरे श्रेष्ठी, धन इत्यभिधानतः // प्रिया धनवती तस्य सती गुणवतीवभौ // 220 // 9 // For Private and Personal Use Only
SR No.020361
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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