________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है। मुनिः पूर्वभवं प्रोचे, नगरे हस्तिनापुरे॥श्रेष्ठिनो धनदत्तस्य, सुदत्ताख्यः सुतोऽजनि 234 / / गुण पूजायां क्रियमाणायां, यदनेन जिनेशितुः॥ विहितं वस्त्रयुगलारोपणं भावशालिना 235 चरित्र. // 4 // तेन पुण्येन भूपाल, त्वत्कुलेऽसौ समागतः // वस्त्रद्वयं प्रदत्तेऽस्मै, श्रीदेवी च नवनवम् / / | इति श्रुत्वा कुमारोऽथ, जातिस्मृतिमुपागतः। विशेषादार्हतं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ।।२३७। काले राज्यं पितुः प्राप्य, पालयित्वा चिरं भुवम्॥ प्रपाल्य संयमं प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽभवत् // चिरं सौख्यान्यसौ भुक्त्वा, देवलोकात्ततच्युतः।तृतीयो हरिनामाभूत्तनयस्तव भूपते // 239 // // इति वस्त्रयुगलपूजाधिकारे सुदत्तकथा // वासपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते॥अत्रास्ति भरतक्षेत्रे, मथुरानगरी किल // 24 // भूपतिर्वा सवस्तत्र, नवीन इव वासवः॥जयंती वल्लभा तस्य, जयंती रूपतः श्रियम् // 24 // || अन्यदा नारदः शौक्ल्यजितशारदवारिदः // पारदद्युतिरायासीदीक्षितु भूपसंपदम् // 242 // || राज्ञा संमान्य स प्रोचे, किमप्याश्चर्यमीक्षितम् / सोऽवादीद्भूपतेभूमिर्विविधाश्चर्यसंकुला // 4 // इत्युक्त्वा सहसोत्पत्य, जयंती नृपवल्लभाम् ।।वीक्षितुं स ययौ किंतु, स तया नोपलक्षितः // | For Private and Personal Use Only