________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है काले सुघोषाघंटाया, नादोऽभूदमरालये // उद्घोषणातथाकारि, नाकिना नैगमेषिणा 208 / / बभूव भरतेक्षेत्रे, श्रीनमेरहतो जनिः // इंद्रो यास्यति हेमाद्रौ, स्नात्रं कर्तुं जिनेशितुः२०९ | // 29 // आगंतव्यंसुरैस्तत्र, श्रुत्वेयुद्घोषणामसौ // सुरैःसाकंसुरंद्रेण, स्वर्णशैलगिरि ययौ // 210 // सर्वैःसुरेंद्रैस्तत्रार्हजन्मस्नात्रमहोत्सवे // कृते सौधर्महरिणा, जिनोवायै समर्पितः // 211 // * कृत्वा नंदीश्वरेयात्रां, व्यावृत्तःसुरनायकः॥ मार्गे व्रजनिहायातः, प्रासादोपरि संस्थितः 212 / - स्वकारितमिदं दृष्ट्वा , धनदत्तामरस्तदा।। विशेषतः प्रभुं पार्श्वदेवं प्रणमतिस्म सः // 213 / / - साकं सुरैःसुरेंद्रोऽपि, विदधेऽत्रजिनार्चनम् // काव्यान्येतानि पूजाया, धनदत्तामरोऽपठत्।। / एकविंशतिकाव्यानि, सा नि हरिनामतः॥ काव्याद्रं च तदाकार्षीत्, स्वपूजाख्यापकं सुरः। ततःस्वर्ग गतेस्वर्गिलोके सोऽप्यमरश्चिरम् ॥सुख भुक्त्वा दिवश्युत्वा, मंत्रिनहमिहाभवम् / अप्रणम्य प्रभु पार्श्व, भोजनं न करिष्यते। स्थाध्यता तदिहादूरे, नवीन हस्तिनापुरम्।।२१७॥ // श्रुत्वेति सकले लोके, परमानंदमेदुरे // गुणवर्मा नृपस्तस्थौ, मवीने हस्तिनापुरे ॥२१वा // 21 // - सोऽन्यदा निशिनिद्राणः, कस्याश्चित्करुगस्वरम् // श्रुत्वा गच्छन् पुरोऽद्राक्षी द्रुदतींसुदती वने।।। For Private and Personal Use Only