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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरित्र / अन्यदा तत्र संप्राप्ता, जयशेखरसूरयः॥ धर्मोपदेशं गत्वासौ, शुश्राव सपरिच्छदः // 15 // गुण० आरामनंदिनीकुक्षिजातं नंदननामकम् // राजा न्यस्य सुतं राज्ये, तेषां पार्श्वेऽग्रहीव्रतम् / 1221// प्रपाल्य निरतीचारं, चारु चारित्रमुज्वलम् / विहितानशनः प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽभवत् / चिरं सुखान्यसौ भुक्त्वा, देवलोकात्ततश्चयुतः // तनयस्तव संजज्ञे, चक्रपाणिश्चतुर्दशः // // इति धूपपूजायां श्रीदत्तकथा समाप्ता. // गीतपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते // अस्ति जांबुनदं नाम, नगरं कुरुमंडले // F] महीपालाभिधो भूपस्तत्र रूपमनोभवः // तस्य रूपवती भार्या, नामतः परिणामतः // 8 तनुजो धनदत्तस्य, शंखस्तत्कुक्षिमागतः। समये स तयामूत, पिता चक्रे महोत्सवम् // र मकरध्वज इत्याख्या, प्रीत्या तस्मै ददौ पिता ॥गीतप्रिय इति पोचे, जनैर्गीतप्रियत्वतः // क्रमेण वर्द्धमानोऽसौ, कलाकौशल्यबंधुरः // लसल्लावण्यलीलावांस्तारं तारुण्यमाप सः // // 122 गीतं शुश्राव जैनेंद्र, श्रुत्वासौ मुदितोऽभवत् // गीतानियैश्च गीयंते, तेभ्यो दानं परं ददौ // For Private and Personal Use Only
SR No.020361
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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