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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 66 ८३० हाताधर्म कथां वणे उज्जाणे कमलस्स गाहावइस्स कमलसिरीए भारियाए कमला दारिया पासस्स० अंतिए निक्खता कालस्म पिसायकुमारिंदस्त अग्गमहिसी अद्धपलिओवमं ठिई, एवं सेसा वि अज्झयणा दाहिणिल्लाणं वाणमंतररिंदाणं भाणियव्त्राओ सव्वाओ नागपुरे सहस्संबवणे उज्जाणे माया पिया धूया सरिसनामया, ठिई अद्धपलिओवमं ॥ सू० १० ॥ ॥ पंचमो वग्गो समन्तो ॥ ५ ॥ टोका - पंचमत्रग्गस्स ' पञ्चमवर्गस्य उत्क्षेपकः । सुधर्मस्वामी माह एवं खलु जम्बू ! इत्यादि, यावत् द्वात्रिंशद् अध्ययनानि कमलादि नामकानि प्रज्ञतानि तद्यथा - तेषां नामानि गाथा चतुष्टयेन प्राह , कमला १ कमलप्रभा २ चैत्र, उत्पला ३ च सुदर्शना ४ । रूपवती ५ बहुरूपा ६, सुरूपा ७ सुभगा ८ ऽपि च ॥ १ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -: पंचम वर्ग प्रारंभः पंचम वग्गस्स उक्खेवओ ' इत्यादि । टीकार्थ - (पंचमवग्गस्स उवक्खेवओ) हे भदंत ! पांचवें वर्ग का उत्क्षेपक प्रारंभ का स्वरूप श्रमण भगवान् महावीर ने किस प्रकार से प्ररूपित किया है ? इस प्रकार जंबूस्वामी के पूछने पर सुधर्मास्वामी ने उनसे इस प्रकार कहा - ( एवं खलु जंबू ! ) हे जंबू ! सुनो वह इस तरह से है - ( जाव बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता-तं जहा (१) कमला (२) कमलप्पभा चेव, (३) उप्पला य (४) सुदंसणा । (५) रुबाई (६) बरुवा (७) सुरुवा (८) सुभगाविय, । (९) पुण्णा (१०) बहुपुत्तिया चेव (११) उत्तमा (१२) तारयाविय । (१३) पउमा (१४) वसुमती चैव (१५) कणगा (१६) कणभा (१७) वसा (१८) के उमई चेव (१९) वइरसेणा (२०) रहપાંચમા વર્ગ પ્રારંભ. 'पंचम वग्गस्स उक्खैवओ' इत्यादि टीडार्थ - ( पंचम वग्गहस उक्खेत्रओ) डे लहन्त ! भावना ઉત્સેપક-પ્રાર’ભ-નું સ્વરૂપ શ્રમણુ ભગવાન મહાવીર કેવી રીતે પ્રરૂપિત કયુ" છે ? એ પ્રમાણે જંબૂ સ્વામીના પ્રશ્ન કર્યા બાદ સુધર્માં સ્વામીએ તેમને आ प्रभाणे॒ उद्धुं है-( एवं खलु जंबू ! ) हे भू ! सांलो, ते या प्रमाणे छे( जाव बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता- तं जहा (१) कमला (२) कमलप्पभा क्षेत्र, (६) उप्पलाय, (४) सुदंसणा (५) रूववई (६) बहुरुवा (७) सुरूवा (८) For Private and Personal Use Only
SR No.020354
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages872
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size26 MB
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