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कथाक्र
संगइएणं देवेणं अमरकंकाणयरिं साहरिया, तरणं से कण्हे वासुदेवे पंचाहि पंडवेहिं सद्वि अप्पछडे छहिं रहेहि अमरकंकं रायहाणि दोवईए देवीए कूवं हव्वमागए, तएणं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउमणाभेणं रण्णा सद्धि संगामे संगामेमाणस्स अयं संखसद्दे तव मुहवाया० इव वीइं भवइ, तरणं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं वंदइ२ एवं वयासी - गच्छामि णं अहं भंते! कण्हे वासुदेवे उत्तमपुरिसं सरिसपुरिसं पासामि, तरणं मुनिसुव्वए अरहा कविले वासुदेवे एवं वयासी - नो खलु देवाशुप्पिया ! एवं भूयं वा३ जण्णं अरहंतो वा अरहंत पासइ anant वा चक्कवहिं पासइ बलदेवा वा बलदेवं पासइ वासुदेवो वा वासुदेवं पासइ, तहविय णं तुमं कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुहं मज्झंमज्झेणं वीइवयमाणस्स सेयापीयाई धयग्गाई पासिहिंसि, तणं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्त्रयं वंदइ नमसइ वंदित्ता न मंसित्ता हत्थिखंधं दुरूहइ दुरूहित्ता सिग्घं२ जेणेव वेलाउले तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुदं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणस्स सेयापीयाई धयग्गाई पासइ पासित्ता एवं वयइ-एसणं मम सरिस पुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वासुदेवे लवणसमुदं मज्झं मज्झेणं वीइवयइत्तिकट्टु पंचजन्नं संखं परामुसइ परामुसित्ता मुहवायपूरियं करेइ, तपणं से कण्हे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्स संखसद्दं आयन्नेइ आयन्नित्ता पंचजन्नं जाव पूरियं करेइ, तपणं दोवि वासुदेवा संखसदसा
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