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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४० हाताधर्मकथाम मूलम्-तएणं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहणं राय० करयल एवं वयासो- एवं खलु देवाणुप्पिया ! हत्थिगाउरे नयरे पंचण्हं पंडवाणं दोवइए य देवीए कल्लाणकरे भविस्सइ तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं अणुगिण्हमाणा अकालपरिहीणं समोसरह, तएणं वासुदेवपामोक्खा पत्तेयंर जाव पहारेत्थ गमणाए । तएणं से पंडुराया कोडुंबियपुरिसे सदा० २ एवं वयासी-गच्छहणं तुम्भे देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरे पंचण्हं पंडवाणं पंच पासायडिसए कारेह अब्भुग्गयमूसिय वण्णओजाव पडिरूवे,तएणं ते कोडुंबियपुरिसा पडिसुणेति जाव करावेंति, तएणं से पंडुए पंचहिं पंडवेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हयगयसंपरिबुडे कंपिल्लपुराओ पडिनिक्खमइ२ जेणेव हथिणाउरे तेणेव उवागए, तएणं से पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता कोडुंबि० सदावेइ सहावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरस्स नयरस्स बहिया, वासुदेवपामुक्खाणं बहणं रायसहस्साणं आवासे कारेह अणेगखंभसय तहेव जाव पच्चप्पिणंति, तएणं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हस्थिणाउरे तेणेव उवागच्छइ, तएणं से पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता हट्टतुटे पहाए कयवलि जहा दुवए जाव जहारिहं आवासे दलयइ, तएणं ते वासुदेव पा० बहवे रायसहस्सा जेणेव For Private and Personal Use Only
SR No.020354
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages872
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size26 MB
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