SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- - २६० माताधर्मकथाङ्गसूत्र उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चाउघंटं आसरहं ठवेइ ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहिता मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते पायविहारचारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामुक्खे य दस दसारे जाव बलवगसाहस्सीओ करयल तं चेव जाव समोसरह । तएणं से कण्हे वासुदेवे तस्स दूयस्स अंतिए एयम सोच्चा निसम्म हट्ट जाव हियएतं दूयं सका इ सम्माणेइ सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ ॥ सू० १७ ॥ टीका-'तए से ' इत्यादि । ततस्तदनन्तरं स द्रुपदो राजा दूत शब्दयति, शब्दयित्वा एवमवादीत्-गच्छ खलु त्वं हे देवानुप्रिय ! द्वारवती द्वारकां नगरीम् , तत्र खलु त्वं कृष्णं वासुदेवं, समुद्रविजयप्रमुखान् दश दशान्,ि बलदेवप्रमुखान् पञ्च महावीरान् , उग्रसेनप्रमुखान् षोडश राजसहस्त्राणि, प्रद्युम्नप्रमुखाः अर्थचतुर्थीः कुमारकोटीः प्रद्युम्नप्रमुखान् सार्वत्रिकोटिराजकुमारान् , साम्बप्रमुखाः पष्टिदुर्दान्तसाहस्रीः साम्बप्रमुखान् पष्टिसहस्रदुर्दान्तान् , वीरसेनप्रमुखान् एकविंशतिवीरपुरुषसाहस्रीः वीरसेनप्रमुखान् एकविंशतिसहस्रवीरपुरुषान , महासेन 'तएणं से दुवए' इत्यादि । टीकार्थ-(तएणं से दुवए राया दूयं सदावेह, सद्दावित्ता एवं वयासी गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! बारवइं नयरि-तत्थणं तुमं कण्हं वासुदेवं समु. द्दविजय पामोक्खे दसदसारे बलदेव पामोक्खे पंचमहावीरे उग्गसेन पामोक्खे सोलसरायसहस्से पज्जुण्णपामोक्खाओ अदुवाओ कुमारकोड़ीओ संबपामोक्खाओ सटि दुईत साहस्सीओ वीरसेन पामोक्खाओ इक्कवीसं 'तएण से दुवए' इत्यादि 2010-(तएण से दुवए राया दूयं सहावेइ, सहावित्ता एवं वयासी-गच्छ णं तुम देवाणुप्पिया ! वोरवई नयरि-तत्थण तुमं कण्हं वासुदेवंसमुद विजयपामोक्खे दसदसारे बलदेवपामोक्खे पंच महावीरे उग्गसेनपामोक्खे सोलसरायसहस्से पज्जुण्णपामुक्खाओ अधुढ़ाओ कुमारकोडीओ संबपामोक्खाओ सट्ठि दुईत साहस्सीओ वीर सेन पामोक्खाओ इकत्रीसं वीरपुरिससाहस्सीओ महसेनपामोक्खाओ छप्पन बलव For Private and Personal Use Only
SR No.020354
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages872
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy