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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टी० अ० १६ द्रौपदीचरितवर्णनम् सहि दुसाहसीओ वीरसेणपाभोक्खाओ इक्कीसं वीरपुरिससाहसीओ महसेणपामोक्खाओ छप्पन्नं वलवगसाहस्सीओ अन्नेय वहवे राईसरतलवरमाडंबिय कोडुंबिय इन्भसिट्टिसेणाइत्थवाहपभिइओ करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं अंजलि मत्थए कट्टु जपणं विजएणं वद्धावेहि वद्धावित्ता एवं वयाहि एवं खलु देवाणुपिया ! कंपिल्लपुरे नयरे दुवयस्स रण्णो धूचाए चुहणीए देवीए अन्तयाए घट्टज्जुणकुमारस्स भगिणीए दोवईए रायवरकण्णाए सयंवरे भविस्सइ तं णं तुम्भे देवाशुपिया ! दुवयं रावं अणुगिण्हेमाणा अकालपरिहीणं चेन कंपिल्लपुरे नयरे समोसरह, तपणं से दूए करयल जाव कट्टु दुवयस्स रण्णो एयमहं पडिसुर्णेति पडिणित्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कोडुंबिय पुरिसे सदावेइ सदावित्त एवं वयासी - विप्पामेव भो देवाणुपिया ! घाउघंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्टवेह जाव उबटुवेंति, उवट्ठवित्ता तएण से दूए पहाए जाव अलंकार० सरीरे चाउग्घंटं आसरहं दुरुह दुरुहिता बहिं पुरिसेहिं सन्नद्ध जाव गहियाऽऽउह पहरणेहिं सद्धि संपरिबुडे कंपिल्लपुरं नयरं मज्झं मज्झेणं निग्गच्छइ पंचालजणवयस्स मज्झं मज्झेणं जेणेव देसवंते तेणेव उवागच्छइ, सुरट्टाजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव बारवइ नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता बारवई नयरिं मज्झं मज्झेणं अणुपविसइ अणुपविसित्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स बाहिरिया
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