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भनगारधर्मामृतवषिणी टीकाअ० १६ सुकुमारिकानिरूपणम् माणीए इभेयारूवे अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था, जयाणं अहं अगारवासमझे वसामि तया णं अहं अप्पवसा, जया णं अहं मुंडे भवित्ता पम्वइया तया णं अहं परवसा, पुद्धि च णं मम समाणीओ आढायंति२ इयाणि नो आढ़ति२ तं सेयं खलु मम कलं पाउ० गोवालियाणं अंतियाओ पडिनिक्खभित्ता पाडिएकं उवस्सयं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए तिकट्ट एवं संपेहेइ संहिता कलं पा० गोवालियागं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता पडिएकं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, तएणं सा सूमालिया अज्जा अणोहट्रिया अनिवारिया सच्छंदमई अभिक्खणं अभिक्खणं हत्थे धोवेइ जाव चेएइ तत्थ वि य णं पासस्था पासत्थविहारो ओसग्णा ओमण्गविहारी कुसोलार संसत्तार बहुणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ अदमासियाए सलेहणाए तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिकंता कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे अण्णयरंसि विमाणंसि देवगणियत्ताए उववण्णा, तत्थेगइयाणं देवीणं नव पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं सूमालियाए देवीए नव पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता ॥ सू० १५ ॥
टीका-'तएणं सा' इत्यादि । ततः खलु सा सुकुमारिका आर्या ' सरीर 'तएणं सा सूमालिया अजा' इत्यादि ॥ टीकार्थ-(तएणं) इस के बाद (सा सूमालियाए अज्जा सरीर बसा
'तएण' सा सूमालिया अमा' इत्यादिAथ-(तएण) त्या२५०ी ( सा सूमालिया अज्जा सरीरबउमा जाया यावि
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