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भाताधर्मकथासूचे साओ विदिसाओ पूरयंती वयणमिणं बेति सा साकलुसा ॥३॥ होल-वसुल-गोल-णाह-दइत रमण-कंत-सामिय--णिग्घिण णिच्छक्क । थिण्ण णिक्किव अकयण्णुय सिढिल भाव निल्लज्ज प्लुक्ख अकलुण जिणरक्खियं मज्झं हिययरक्खगा! ॥ ४ ॥णह जुज्जसि एक्कियं अणाहं अबंधवं तुज्झचलणओवायकारियं उज्झिउ महणणं । गुणसंकर ! अहं तुमं बिहूणा ण समस्थावि जीविडं खणंपि ॥ ५॥ इमस्त उ अणेगझसमगरविविह सावयसयाउलघरस्स। रयणागरस्स मज्झे अप्पाणं वहेमि तुझं पुरओ एहि णियत्ताहि जइसिकुविओ खमाहि एक्कावराहं मे ॥ ६॥ तुज्झ य विगयघणविमलससिमंडलागारं सस्सिरीयं सारयनवकमलकुमुयकुवलयविमलदलनिकरसरिसनिभनयणं वयणं पिवासागयाए सद्धो मे पेच्छिउं जे अवलोएहि ताइओ ममं णाह जो ते पच्छामि वयणकमलं ॥७॥ एवं सप्पणय. सरलमहुराई पुणोर कलुणाई वयणाई जंपमाणी सा पावा मग्गओ समण्णेइ पावहियया ॥८॥ तएणं से जिणरक्खिए चलमाणे तेणेव भूसणरवेणं कण्णसुहमणोहरेणं तेहि य सप्पणयसरलमहुरभणिएहिं संजायविणराए रयणदीवस्स देवयाए तीसे सुंदरथणजहणवयणकरचरणनयणलावन्नरूवजोवणसिरिं च दिव्वं सरभसउवगृहियाइं विव्वोयविलसियाणि य विहसिय सकडक्खदिटिनिस्ससियमलियउवललियठियगमणपणयखिज्जियपासाइयाणि य सरमाणे रागमोहियमई अवसे
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