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हाताधर्मकथागतो दिभिदृष्टा=अवलोकितः अपराधः असत्यवचनादिरूपो यस्याः सा तथोक्ता 'सुयणकुलकन्नगाविच ' सुजनकुलकन्यकेव-कुलवतीकन्येव ‘णिगुंजमाणी' विगुञ्जन्ती =अव्यक्तशब्दकुर्वती, अधोनमन्ती वा, 'वीचीमहारसयतालियाविव' वीचीपहारशतताडितेव=भनेकशतजलतरङ्गमहारैस्ताडितेव ‘घुम्ममाणी' घूर्णमाना=थरथरेति कम्पमाना, 'गगणतलाओ ' गतनतलात् 'गलियबंधणाविव ' गलितबन्धनेव-त्रुटितवन्धनेव-आकाशात् टित्वा पतितेवदृश्यमानेत्यर्थः, रोयमाणीविव सलिलगंठिविप्पइरमाणघोरंसुवाए है णवबहू उवरयभत्तुया ' रूदतीवसलिलग्रन्थिविपकिरद् घोरांश्रुपातैनववधूरुपरतभर्तका, ‘उवरयभत्तुया' उपरतभर्तृका-मृतभतुका नववधूरिव-नवपरिणीता वनितेव-सलिलभिन्नाग्रन्थियः सलिलग्रन्थिय!= सलिलार्द्रग्रन्थयः, तेभ्योविकिरन्तः क्षरन्तिः, जलबिन्दवः तएव घोराश्रुपातास्तैः सुयण कुलकन्नगाविव ) या गुरुजनों द्वारा जिसका असत्य वचनादिरूप अपराध देख लिया गया है ऐसी कोई कुलवंती कन्या ही मानों लज्जावश नीचे की ओर झुकी जा रही है। (वीचीपहार सयतालीया विव घुम्ममाणी) हजारों जलतरंगो के प्रहोरों से ताडित होने की वजह से ही मानो थर थर कैंपती हुई वह नौका (गगणतलाओ गलियवंधणा विव) ऐसी दिखलाई दे रही थी कि बन्धन टूट जाने से आकाश से गिर सी पड़ी हो।
अर्थात्-जिस प्रकार बंधन टूट जाने से कोई वस्तु ऊपर से नीचे गिर पड़ती है-उसी तरह यह नौका भी अपना बंधन टूट जाने से मानों आकाश से-ऊपर से-नीचे गिर पड़ी हैं। (रोयमागीविव सलिल गठि विप्पइरमाण धोरंसुवाएहिं णवबहू उपर यभत्तुया ) जिस प्रकार अपने पतिदेव के मरजाने पर नवोढा आँसुओं को वहाती हुई रोती है એલવું વગેરે અપરાધ જાણી ગયા છે તેવી કોઈ લાજથી મેં નીચું ઘાલીને
गवती अन्या ती जय, (वीचीपहारसयतालिया विव घुम्ममाणो) | मानसाना प्रशिथी मथने २२ २२ ती ते नाव (गगणातलाओ गलिय वधणा विव) वी सागती खती हरी तूटरी पाथी मामाथी નીચે પડી ગઈ હોય.
એટલે કે જેમ બંધન તૂટી જવાથી કોઈ વસ્તુ ઉપરથી નીચે આવી પડે છે તેવી જ રીતે જાણે કે આ નાવ પણ બંધન તૂટી જવાથી આકાશમાંથી નીચે પડી ગઈ ન હોય? (रोयमाणीविव सलिल गंठिविप्पइरमाणा घोरंमुवाएहिं णवबहू उपरयभत्तुया)
પિતાના પતિના મૃત્યુ પામ્યા બાદ જેમ કોઈ નવોઢા-જુવાન પત્ની
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