________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ज्ञाताधर्मकथासूत्रे
1
शिविकास दुरूढं समारूढं सत् मित्रज्ञातिपरिवृतं स्थापत्यापुत्रस्य अन्तिके समीपे प्रादुर्भूतम् उपस्थितम् । ततः खलु स कृष्णवासुदेवोऽन्तिके 'पाउन्भवमाणं' प्रादुर्भवत् पुरुषसहस्रं पश्यति, दृष्ट्वा कौटुम्बिक पुरुषान् आदेशकारिणः पुरुषान शब्दयति, शब्दयित्वा एवं = त्रक्ष्यमाणप्रकारेण अवादीत् यथा मेघस्य निष्क्रमणाभिषेकः, तथैव 'सेयापीए हिं' श्वेतपीतैः जलपूर्णरूप्य सुवर्णमयैः कलशैः कृष्णवासुदेवः दीक्षोत्सुकं पुरुषसहस्रसहितं - स्थापत्या पुत्रं स्नपयति, स्नपयित्वा यावद्द्यलङ्कारविभूषितं कृत्वा पुरुषसहस्रवाहिनीं शिविकामारो कृष्णवासुदेवः द्वारावतीनगरी मध्यभागेन गत्वा - अर्हतोऽरिष्टनेमेः छत्रोपरिन्छ छत्रत्रयं पताकातिपताकां = पताको परिपताकां पुरुष वृन्दैः सह पश्चति । 'विज्नाहरवारणे' विद्याधरचारणात् विद्याधरान् = मुहं) निष्क्रमण के सन्मुख हो गये अर्थात् दीक्षित होने के लिए तैयार हो गये ( व्हायं ) उन्होंनेस्नात करके ( सव्वालंकर विभूसियं ) सब प्रकार के अलंकारो से अपने २ शरीर को विभूषित किया (पत्तेयं २पुरिसहस्वाहिणी सिबियास दुरूढं समाणं मित्तणाइपरिवुड ) बाद में मित्रादि परिजनों से युक्त हुआ प्रत्येक व्यक्ति उन मेंसे १ हजार पुरुषों को वहन करनेवाली शिबिकापर आरूढ होकर ( थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउन्भूयं ) स्थापत्या पुत्र के पास आया । ( तएण से कण्हे वासुदेवे पुरिससहस्समंनियं पाउदभवमाणं पासइ ) जब कृष्ण वासुदेव ने पुरुष सहस्रको स्थापत्यापुत्र के पास आया हुआ देखा तो (पासित्ता कोडुंबिय पुरिसे सहावेइ) देखकर उन्होंने कौटुंबिक पुरुषों को बुलाया (सद्दावित्ता एवं वयासी) बुलाकर उनसे ऐसा कहा - ( जहा मेहस्स निक्मणाभिसेओ तहेव सेया पीएहिं पहावे, हा वित्ता जाव अरहओ अरिट्टनेमिस्स छत्ता इच्छन्तं पडागाइपडागं पासइ - पासिता मणाभिमुह ) निष्टुभाशु ( दीक्षा ) भाटे तैयार था गया. ( हायं ) तेथे। नहाया, ( सव्वा करविभूसिय) सधी लतनां धरेलांगोथी तेभने पोतानां शरीर शगुणार्थी (पत्तेय २ पुरिससहस्वाहिणी सित्रियासु दुरूद' समाण मित्तणाई परिवुड ) त्यार माह मित्र वगेरे पनि साथे तेथेामांथी हरे, दीक्षार्थी
डलर पुरुषो वहन उरे मेवी पाहाणी उपर सवार थने ( थावच्च । पुत्तस्स अत्तियां पाउडभूय' ) स्थापल्या पुत्रनी पासे भन्यो, (तएण से कहे वासुदेवे पुरिसहस्समंतिय पाउन्भवमाण' पासइ) कृष्णुवासुदेवे न्यारे मेम्डर पुरुषाने स्थापत्यापुत्रने त्यां वेद्या लेया ( पाक्षित कोडु बिय पुरिसे सहावेइ ) तेभाणे छोटुभिङ पुरुषाने मोलाव्या. ( सहा वित्त ए बयासी) गोसावीने तेमने B. ( जदा मेहस्व निक्खमणाभिसे ओ तत्र सेयापीएहिं ण्हावेइ हावित्ता जब अरहओ अgिने मिस्स छत्ताइच्छत पडागाइपडागं पाइ पासिता विज्जा
For Private And Personal Use Only