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॥ श्री वर्द्धमान सत्य नीति- हर्षसूरि जेनग्रन्थमाला पुष्प नं० १८ ॥ ॐ ही अहं श्री संखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः ॥
चान्द्रकुल तपागच्छ संविग्नशाखाग्रणी जिनागमरहस्थवेदी सुविहिताचार्य श्रीविजयहर्षसूरीश्वर पादपद्येभ्यो नमः ॥
पूर्वाचार्यप्रणीता
॥ श्री गौतमपृच्छा ॥
॥ मूल टीका कथा टिप्पणी समेता च ॥ आचार्य श्री विजयहर्षसूरीश्वर-प्रशिष्य मुनिराजश्रीत्रैलोक्यविजय सदुपदेशेन
-द्रव्यसहायक
मारवाड सादडी निवासी शेठ इन्द्रचंदजी अगरचंदजी.
वीर संयतः २४८३- सत्य सं. २५७) प्रत ६२५ [वि० २०१३ -सं. १९५७
: मुद्रक :
पं. मफतलाल झवेरचंद गांधी, नयन प्रिंटींग प्रेस, का. २-६१ ढींकवावाडी - अहमदाबाद.
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