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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६ प्रश्न-दानादि क्रियाएं तो पुण्य की अभिलाषा से होती हैं अतः इनका फल पुण्य भले मिले, परन्तु हिंसादि क्रिया करने वालों को कहां पाप की यानी प्रशुभ कर्म-लाभ की अभिलाषा होती है ? फिर उसे ऐसा फल क्यों मिले ? उत्तर-फलजनन में अभिलाषा का नियम नहीं कि यह हो तभी फल मिले । खेती में बिना इच्छा के अनजान में भी कहीं बीज पड़ गए हों तो उनमें से फसल पैदा होती ही हैं । अतः नियम इतना ही कि अभिलाषा हो या न हो, परन्तु कारण सामग्री जहां हो वहां कार्य अवश्य होता है । व्यवहार में स्पष्ट दिखाई देता है कि प्राशंसा-आकांक्षा-विहीन कृत सेवा ऊंचा फल देती है। तो अशुभ कर्म की इच्छा न होने पर भी हिंसादि क्रिया ये देती ही है, ऐसा क्यों न माना जाय ? शुभ-अशुभ क्रिया का अदृश्य फल ही न हो तो सभी जीवों को जीवन का अन्त होने पर मोक्ष ही मिल जाय । क्योंकि जब अदृश्य फल कर्म है ही नहीं, तब इस जीवन के बाद कर्म बिना जीवों का भावी विचित्र संसार किस प्रकार चले ? अब यदि 'दानादि शुभ क्रियाओं का तो दृश्य फल नहीं होने से अदृश्य फल शुभ कर्म होता है, परन्तु हिंसादि क्रियाओं का दृश्य फल मांस प्राप्ति प्रादि ही है ऐसा मानकर मन मना लो, और हिंसादि का अदृश्य फल ही न मानो, तब तो अकेली हिंसादि अशुभ क्रिया वाले का तो मोक्ष ही होगा ! और दानादि शुभ क्रिया करने वाले को इसका अदृश्य फल शुभ कर्म भोगने के लिए संसार में रहना पड़ेगा ! और फिर भवान्तर में भी पुनः दानादि करेगा, तो उससे नये शुभ कम, नया भव,....इस प्रकार संसार में जकड़ा ही रहेगा। किंतु यह कल्पना मात्र है। हकीकत में यों तो हिंसकादि सब के सब मुक्त हो जाने से अब इतने हिंसक असत्यभाषी आदि क्यों दिखाई पड़ते ? और दानी आदि ही रह जाने से दुनिया में मात्र सुखी ही सुखी दिखाई पड़ते ! किंतु ऐसा है नहीं, दुनिया में दुःखी ही बहुत दीखते है । इससे पता चलता है कि हिंसादि प्रत्येक क्रिया का दृश्य फल होने पर भी अदृश्य फल कर्म तो होता ही है। इसीलिये ऐसे पाप करने वाले बहुत सों के हिसाब से दुःखी भी बहुत होते हैं । For Private and Personal Use Only
SR No.020336
Book TitleGandharwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuvijay
PublisherJain Sahitya Mandal Prakashan
Publication Year
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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