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सविनआचार्यःप्रमुख संघसहित शासनदेवता आराधनार्थ काउसग्ग करेगा संघके काउसग्गसे शासनदेवता I आवेगी॥ युक्तिःसे राजाको उपदेश देवेगी तथापि नहीं मानेगा ॥ उस समय इन्द्रका आसन चलेगा । तब इन्द्र वृद्धःब्राह्मणका रूप करके जहां कलंकी राजा सिंहासनपर बैठा है वहां आवेगा। बाद कलंकीराजाको कहेगा अहो राजेन्द्र इन निरअपराधी साधुओंको क्योंरोका है ॥ इन्होंने तुम्हारा क्या अपराध किया है ॥ तब राजा कहेगा अहो ब्राह्मणः सब दर्शनीय मेरेको कर देवे है परन्तु यह जैनीभिक्षुः भिक्षाका छट्ठा भाग नही देवे है। ४ इससे मैंने इन्होंको रोका है। तब इन्द्रः कहेगा ये साधुः हैं ये भिक्षाभोजी हैं इन्होंसे छट्ठा भाग लेनेसे तुम्हारे क्या
वृद्धि होगी ॥ इससे इन्होंके पास तुमको भाग नहींमिलेगा ॥ इन्होंके पास कुछ नहींहै ॥ इन्होंका यह व्यवहार नहीं है भिक्षामें भाग देवै और तुम भिक्षाका भाग मांगते हो तुमको लाज नहींआती ॥ इनसाधुओंको छोड़दो।। अन्यथा तुमको बड़ा कष्ट होगा ॥ ऐसा इन्द्रःका बचन सुनके भी नहींछोडेगा ॥ तब भादवा सुदीअष्टमीको ज्येष्ठा 3 नक्षत्र में इन्द्रःक्रोध करके चपेटेके प्रहारसे कलंकीको मारेगा॥ कलंकी८६ वर्षका सर्व आयुः पालके नरक जावेगाबाद है कलंकीके पुत्रः दत्तको धर्मोपदेश देके इन्द्रराज्यमें स्थापेगा॥देवगुरू संघको नमस्कार करावेगा॥ इन्द्र अपने ठिकाने में
जावेगा। बाद दत्तराजा पिताके पापका फलजानके धर्म करनेमें तत्पर होगा ॥ तीर्थंकरोंकी पूजा नित्य करेगा ॥ सद्गुरूकी सेवा करेगा । जिनमंदिरोंसे पृथिवी शोभित करेगा। शत्रुजयतीर्थकी संघसहित यात्रा करके सत्तरहवां
Antonio
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