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- अर्थः ॥ जयनासे चलना जयनासे खड़ारहना जयनासे बैठना ॥ जयनासे सोना जयनासे भोजन करताहुआ और बोलता हुआ पापकर्म नहीं बांधे ॥१॥ इसप्रकारसे पवित्रचारित्रपाले ॥ तथा विशेषसे छद्र अटमादि तपकिया उसकी संख्या लिखतेहैं ॥
जनिते द्वेशते षष्ठे, अष्टमानां शतं तथा । चतुष्टयं चतुर्मास्या, एकं पाण्मासिकं तपः॥१॥ __ स मौनैकादशीतिथ्यास्तपस्तपन् विशेषतः। पाठको द्वादशाङ्गीनां शुद्धां दीक्षामपालयत् ॥ २॥ ___ अर्थः-दोसौ छट्टयाने वेला, एकसौ अट्ठम याने तेला, चार चौमासीतप एक छमासी तप इतना विशेष तपकिया ॥१॥ सुव्रतमुनिः विशेषसे मौनएकादशीका तपकरताहुआ द्वादशाङ्गीका अध्ययन किया ॥ शुद्धदीक्षा 8 पालताभया ॥२॥ एकदा मौन एकादशीकेदिन सुव्रतसाधुः मौनसहित तपकिया है ॥ उसकी परीक्षाकवास्ते कोई मिथ्यादृष्टिदेव कोई साधुःके कानों में बहुत वेदना उत्पन्नकरी बहुत इलाजकिया तथापि शान्ति भई नहीं तब उस देवने साधुओंके आगे कहा इस साधुकी वेदना सुव्रतमुनिःकी औषधसे मिटेगी ॥ जो यह सुव्रतमुनिः खस्थानसे बाहिर जाके औषध लाकेइलाज करेगा ॥ ऐसा सुनके वह साधुः सुव्रतमुनिःके पासमें आके उपचारकेवास्ते कहा ॥ सुव्रतमुनि मौनी एकादशीको अपने ठिकानेसे बाहिर नहीं जावे ॥ बाद देवके प्रभावसे है पीड़ित साधुःने सुव्रतसाधुके मस्तकमें प्रहारदिया॥ बहुत वेदना उत्पन्नभई परन्तु मुनिःने सही और विचारने लगा।
RIKARANASANA
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