________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धातुसंग्रह. वात, उ. 10. सुखसेवनयोः गती च. 1 सु५ 42\, 2 सेवयु, 3 . वात यति-ते सुप छ. वावृत्, (उ) आ. 4. विवरणे. वि१२९५ 42, 3. वावृत्यते करेछ. वावृत्य- माना (वरना). वाश, (3) आ. 4. शब्द. 2004 ४२यो. वाश्यते काकः 425 2006 422. 1 वाशः, 2 वाशितम् (52226). वास, उ. 10. उपसेवायाम्. स्नेहपूर्विका सेवा उपसेवा. 123 सेपर्यु, 2 वास भावपी. वासयति-ते स्ने सेवछे. वासकः, 1 वासना, 2 वास: (सुगंध), वासित: (वधा२५), पटवासः= ५७वास (सुगंधि ), अधिवासनम् (ध માત્યાદિવડે સંસ્કાર), वाह, (2) आ. 1. प्रयत्ने. प्रयत्न ४२यो. वाहते प्रयत्न 422. वाहनम्. विच, (ई. र) उ. 7. पृथग्भावे. लिन 42j, वि३४२यो. विनक्ति-विक्ते वि 422. विवेकः, विवेकी (इन्) विवेचनम्, विविक्तम् (मत). विच्छ, (अ) प. 6. गती. or. विच्छायति जयछ. विच्छ, (अ) उ. 10. भाषार्थे भासाथै च. 1 मोस, 2 सीपयु, य. विच्छयति-ते मोमछ. विज, (ई. र् ) उ. 3. पृथग्भावे. मिन ५२यु, विव४२यो. बेक्ति-वैविक्ते देहात्मानं ज्ञानी साना हात्मानो वियरेछ. विज, (ओ. ई) आ. 6. भयचलनयोः. 1 , 72j, 2 Aण, जगा 2. उत्पूर्वः -- उद्दिजते खलासाधुः साधु ५५था छ इ०. उद्देगः, उद्देगी (४न्), 1 आवेगः, 2 वेगः, 3 संवेगः (125). विन, (ओ. ई) प. 7. भयचलनयोः. 1 मा, 72j, 2 Ang, l यj. विनक्ति लोक दो रेछ. उदिमः (al), विद, (अ) प. 1. शब्द आक्रोशे च. 1 2144 ४२वो, 2 27'. वेटति 206 रेछे. विटपः (२॥प्रति२॥ विस्तार). विड्, (अ) प. 1. आक्रोशे. 27. वेडति २छे. बिडाल: (खा). विडंब, उ. 10. विडंबने. 1 मनु४२६५ 427, 30 लेवो. 2 मप्रति 4] ४२वी. विडंबयति -- ते मनु४२१५ ४२छे इ०, विडंबनम्, विडंबना. For Private And Personal Use Only