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स्तुतिसंग्रहः
श्रीदे० चैत्य० श्रीधर्म० संघाचारविधी ॥३९॥
| सावणचउदसीइ वयं ॥ १०२ ॥ एवं देविंदमुणिंदवंदिओ संतिनाहतित्थयरो । ससिहरसधम्मकित्ती भवेसि भत्रियाण संतिकरो ॥१०३ ।। पत्र १७२
सो आह सामि! एसो अट्ठावयपव्वओ जयपसिद्धो। इह दससहस्समुणिवरसहिओ सिद्धो रिसहनाहो ।। ९५ ॥ एयस्सुवरि सिरिभरहकारियं एगजोयणपमाणं । जिणभवणमस्थि कलियं चउवीमजिणिंदपडिमाहिं ।।१६।। तह एगो मह थूभो नवनवईभायनवनवइथूभो । संति इह सामि ! इक्खागसेसमुणीणं तिथूभा य॥९७॥ तह सत्तुंजयसिद्धा भरहवंसनिवई सुबुद्धिणा सिट्ठा । जह सगरसुयाणऽट्ठावएत्थ तह कित्तियं थुणिमो ॥ ९८। (इह अट्ठावयसेले सगरसुयाणं सुबुद्धिमचिवेण । जह भरहवंसजनिवा सिट्ठा तह किंचि कित्तेमि) ॥९९|| आइच्चजसाइ सिवे चउदसलक्खा उ एगु सबढे । एवं जा इक्किका असंख इय दुगतिगाईवि ।। १.००। जा पन्नासमसंखा तो सब्बटुंमि लक्खचउदसगं । एगो सिवे तहेव य अस्संखा जाव पण्णासं ।। १०१ ॥ तो दो लक्खा मुक्खे दुलक्ख सव्वढि मुक्खि लक्खतियं । इय इगलक्खुत्तरिया जा लक्ख असंख दोसु समा ।।१०२।। तो इगु सिवे सव्वढि दुन्निति सिमि चउर सबढे । इय एगुत्तखुड़ी जाव असंखा पुढो दोसु ॥१०३॥ तो इगु मुक्खे सव्वढि तिन्नि पण मुक्खि इय दुरुत्तरिया। जा दोसुऽविय असंखा एमेव तिउत्तरा सेढी ।।१०४॥ विसमुत्तरसेढीर हिटुवरि ठविय अउणतीसतिया । पढमे नत्थि क्खेवो सेसेसु सिया इमो खेवो ॥१०५।। दुग पण नवगं तेरस सतरस बावीस छच्च अद्वैव । बारस चउदस तह अट्ठवीस छब्बीस पणवीसा ॥१०६॥ एगारस तेवीसा सीयाला सयरि सत्तहत्तरिया । इगदुगसत्तासीई इगहत्तरिमेव बावट्ठी ।।१०७॥ अउणुत्तरि चउ(ग्रंथ३००) वीसा छायाला तह सयं तु छब्बीसा । मेलित्तु इगंतरिया सिद्धीए तह य सबढे ॥१.०८॥ अंतिल्लंक आई ठविउ बीयाइ
MORNIA
॥३९॥.
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