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(१५. ) हों तो उनको २७ दिन का और दूसरे चूल्हे पर बनी हुई रसोई जीमते हों तो १२ दिन का सूतक लगता है। ८९. मृतक सम्बन्धी संक्षिप्त सूतकविचार ।
१ जन्मते ही पुत्र, पुत्री मर जाय तो एक दिन का, दो तीन महिना तक के ही बालक, बालिका मर जाय तो तीन दिन का, चार मास से ग्यारह मास तक के होकर मर जाय तो पांच दिन का और एक साल से आठ साल तक के होकर मर जाय तो आठ दिन का सूतक उस के कुटुम्बियों को तथा उन के साथ में जीमनेवाले सम्बन्धियों को लगता है।
२ अपने अपने घर जीमनेवाले कुटुम्बियों के पुत्र, पुत्री जन्मते ही मर जाय तो तीन पीढ़ी तक चार प्रहर का, तीन मास तक के होकर मर जाय तो बारह प्रहर का, ग्यारह मास तक के होकर मर जाय तो बीस प्रहर का और आठ वर्ष तक के होकर मर जाय तो चार दिन का सूतक लगता है । सात पीढ़ी तक के कुटुम्बियों को एक दिन का सूतक समझना ।
३ जिस घर में आठ वर्ष उपरांत के बालक बालिका मर जाय तो बारह दिन का सूतक जानना । मृतक के पास सोनेवाले, उसको छूनेवाले और लास को उठा ले जानेवालों को तीन दिन का सूतक है, लेकिन नियमवाले हों तो वे दूर से प्रभुदर्शन तथा मनमें प्रतिक्रमण कर सकते हैं । स्थापनाचार्य, माला या पुस्तक के भेले नहीं होना चाहिये।
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